बिहार में गंगा का कहर: कहीं डूबे गांव तो कहीं बह गई सब्ज़ी की फसल, किसान परेशान

बिहार में गंगा का कहर: कहीं डूबे गांव तो कहीं बह गई सब्ज़ी की फसल, किसान परेशान

गंगा नदी के कटाव और जलस्तर में वृद्धि से पटना, भोजपुर सहित कई क्षेत्रों में फसलें बर्बाद. गांव उजड़ने लगे, लोग पलायन को मजबूर. प्रशासनिक सुविधाओं पर सवाल. वहीं, किसानों का कहना है कि सब्जी की खेती की लागत भी नहीं निकली.

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बिहार में गंगा का कहर: कहीं डूबे गांव तो कहीं बह गई सब्ज़ी की फसल, किसान परेशानबिहार में गंगा का कहर

बिहार की ज़मीन एक बार फिर गंगा सहित अन्य नदियों की उठती लहरों के सामने बेबस नज़र आ रही है. मॉनसून हर साल उम्मीदें और आफत साथ लेकर आता है, लेकिन इस बार तबाही कुछ जल्दी दस्तक दी है. गंगा के बढ़ते जलस्तर ने न सिर्फ खेतों में लगे फसलों को निगल रहा है. बल्कि, किनारे बसे कई गांवों की खुशहाली भी निगल रहा है. भोजपुर के शाहपुर प्रखंड के जवइनिया गांव में जहां कभी खुशहाली बसती थी. आज वहां सिर्फ गंगा नदी से होने वाले कटाव से लोगों का डूबता आशियाना और खामोशी है. उधर, पटना के दियारा क्षेत्र में सब्जी की फसलें पानी में समा गई हैं और शहर में महंगी होती सब्ज़ियां अब इस त्रासदी की खामोश गवाही बन रही हैं. बिहार में बाढ़ कोई नई बात नहीं, लेकिन हर बार यह दर्द नया होता है. 

कभी गांव में थी खुशहाली, अब खामोशी और पलायन

भोजपुर जिले के जवइनिया गांव में रहने वाले लोग इन दिनों गांव छोड़कर दूसरे स्थानों पर जाने को मजबूर हैं. गंगा नदी का बढ़ता जलस्तर और कटाव गांव के कई घरों को अपने में समाहित कर चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कटाव अभी भी जारी है. वहीं, प्रशासन द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. लेकिन, गांव का समाप्त होता अस्तित्व देखकर लोग काफी चिंतित हैं. उनका कहना है कि इस तरह की स्थिति हर साल बनती है, लेकिन इसका कोई ठोस समाधान प्रशासन या सरकार द्वारा अभी तक नहीं निकाला गया है.

गंगा के बढ़ते जलस्तर से सब्ज़ी की खेती प्रभावित

राजधानी पटना की गंगा नदी के किनारे दियारा इलाकों में खेती करने वाले विनोद महतो कहते हैं कि इस इलाके में काफ़ी बड़े क्षेत्र में सब्ज़ियों की खेती होती है, जो राजधानी पटना की सब्ज़ियों की ज़रूरत और दाम को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाती है. लेकिन, गंगा नदी के बढ़े जलस्तर की वजह से पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है जिसका परिणाम यह है कि जो मक्का  6 से 7 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, वह अब 15 से 20 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, भिंडी, बोदी सहित अन्य सब्जियों के दाम भी बढ़ गए हैं.

मई में दाम ने रुलाया, अब गंगा सब कुछ लेकर चली गई

गंगा के किनारे सब्ज़ी की खेती करने वाले किसान बिजेंद्र महतो, मुन्ना राय सहित अन्य किसान कहते हैं कि मई के महीने में टमाटर का दाम कम होने की वजह से पूरी फसल की जुताई करवा दी थी और उसकी जगह मक्का, भिंडी, नेनुआ, बोड़ी सहित अन्य फसलों की खेती की. जब फसल तैयार हुई और तोड़ने का समय आया, उसी दौरान गंगा के बढ़ते जलस्तर ने पूरी फसल को अपने में समाहित कर लिया. हालत यह है कि लागत भी नहीं निकल पाई है. वहीं, आगे कहते हैं कि गंगा नदी में बाढ़ तो हर साल आती है, लेकिन इस बार समय से थोड़ा पहले जलस्तर बढ़ने की वजह से पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है.

नदियों के बढ़ते जलस्तर के बीच बिहार में मॉनसून की कम वर्षा

बिहार में इन दिनों गंगा नदी समेत कई नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है, फिर भी राज्य में मॉनसून सीज़न में होने वाली सामान्य वर्षा बहुत कम हुई है. मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक आशीष कुमार कहते हैं कि मॉनसून सीज़न के महीने जून और जुलाई के दौरान सामान्यतः करीब 405 मिमी वर्षा होनी चाहिए, लेकिन अभी तक पूरे राज्य में केवल लगभग 235 मिमी के आसपास ही वर्षा हो पाई है. वहीं, आने वाले एक से दो दिनों में दक्षिण बिहार के कुछ इलाकों में वर्षा होने की संभावना है, जबकि उत्तर बिहार में वर्षा नहीं होने की स्थिति बनी हुई है.

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