जलवायु परिवर्तन के बुरे असर दिखाई देने लगे हैं. आम लोग भी इस असर को देख और समझ रहे हैं. बीते साल हीट वेव के चलते फसल को नुकसान हुआ था, तो इस साल कोल्ड वेव के चलते सरसों को नुकसान पहुंचा है. इसके चलते बारिश का चक्र बहुत बिगड़ा है. खेती को पानी की बहुत जरूरत है. धान की फसल में पानी की जरूरत किसी से छिपी नहीं है. अगर किसान फसल चक्र में बदलाव करें तो पानी की समस्या को कंट्रोल और कम दोनों ही किया जा सकता है. यह कहना है एडीजी, एग्रोनॉमी, एग्रोफारेस्ट्री एंड क्लाकइमेट चेंज, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) राजवीर सिंह का. किसान तक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में कम पानी में होने वाली फसलें कारगर हैं.
उन्हाेंने बताया कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने और उससे अपनी खेती को बचाने का ये एक एक रास्ता है. इसके लिए जरूरी है हम खेती करने के तौर-तरीकों में बदलाव लाने के साथ फसल चक्र में भी बदलाव लाएं. वक्त से सभी काम करें. ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी को खेती में शामिल करें.
ये भी पढ़ें- CIRG: बकरियों को हरा चारा खिलाते समय रखें इन बातों का खयाल, नहीं होंगी बीमार
एग्रीकल्चर मशीनरी ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट, हिसार के कृषि दर्शन एक्सपो में बतौर मुख्या अतिथि आए एडीजी राजवीर सिंह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का असर लगातार बढ़ रहा है. साउथ एशिया जिसमे भारत भी शामिल है, वहां ज्यादा है. खेती में पानी का इस्तेमाल 80 फीसदी तक है. इसलिए यह तय है कि पानी एक बड़ी समस्या बनेगा. लेकिन इस समस्या से निपटा जा सकता है. जरूरत है कि किसान जागरुक हों. पारंपरिक फसलों से अलग हटकर सोचना होगा. अपने इलाके में पानी की समस्या को देखते हुए ऐसी फसलों का चुनाव करें जिसमे कम पानी की जरूरत हो.
ये भी पढ़ें- Goat Farming: जरूरी नहीं बकरी मैदान में चरने जाए, खूंटे पर बांधकर भी पाल सकते हैं, जानें कैसे
एडीजी राजवीर सिंह ने बताया कि आज देश ही नहीं विदेशों में भी मोटे अनाज यानि मिलेट्स की बात हो रही है. 2023 को मिलेट्स ईयर के नाम से मनाया जा रहा है. दूसरे अनाज की तुलना में यह सुपर फूड है. मोटे अनाज हमारी पहचान रहे हैं. हमे एक बार फिर उसी तरफ लौटना होगा. मोटे अनाज में कई फसल ऐसी हैं जो मौजूदा फसल के मुकाबले 50 फीसद पानी की जरूरत में ही हो जाएंगी. अगर धान की बात करें तो मोटे अनाज 20 फीसद पानी में हो जाएंगे. इसमे पानी ही नहीं वक्त की भी बचत होगी. सही बात तो यह है कि जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में मोटे अनाज वाली फसलें बहुत ही अहम रोल निभाएंगी.
ये भी पढ़ें-
अडानी कंपनी मथुरा में गौशाला के साथ मिलकर बनाएगी CNG, जानें प्लान
CIRG की इस रिसर्च से 50 किलो का हो जाएगा 25 किलो वाला बकरा, जानें कैसे
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today