कहा जाता है कि जहां न पौधे हैं और न ही पेड़, वहां जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. शायद यह भी एक कारण है कि पृथ्वी के अलावा किसी और ग्रह पर जीवन संभव नहीं है. जिंदा रहने के लिए हमें खाने-पीने के साथ-साथ ऑक्सीजन की भी जरूरत होती है. जो हमें सिर्फ और सिर्फ पेड़-पौधों से ही मिलता है. ऐसे में यदि वृक्ष न हो तो जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. लेकिन इस धरती पर कई देश ऐसे भी हैं जहां पेड़ों की संख्या नगण्य है लेकिन फिर भी जीवन संभव है.
हैरान करने वाली बात यह है कि इन देशों में आपको सीमित संख्या में ही पेड़ देखने को मिलेंगे. यह सीमित संख्या भी इतनी कम होती है कि इसकी उपस्थिति या अनुपस्थिति को समान माना जा सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं उन देशों के बारे में जहां पेड़ों की संख्या ना के बराबर होते हुए भी लोग रह रहे हैं.
ग्रीनलैंड का नाम सुनते ही किसी के भी मन में पेड़, जंगल और सुकून देने वाली हरियाली जैसा कुछ हरा-भरा ख्याल मन में आता होगा. अगर आपके मन में भी ऐसी ही तस्वीर बन रही है कि ग्रीनलैंड पूरी तरह हरा-भरा होगा, जहां चारों तरफ पेड़-पौधे, घने जंगल या बगीचे होंगे, तो बता दें कि आप गलत सोच रहे हैं. वास्तव में, ग्रीनलैंड के हजारों मील की भूमि में पेड़-पौधे नहीं हैं. यहां पर पेड़ों की संख्या ना के बराबर है. दुनिया के सबसे बड़े द्वीप के रूप में, ग्रीनलैंड ज्यादातर बर्फ और बर्फ से ढका हुआ है, जिस वजह से पेड़ों की संख्या बहुत कम है.
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कतर बहुत समृद्ध और सुरक्षित देश है. यहां तक कि कतर की एयरलाइंस भी दुनिया की सबसे बड़ी एयरलाइंस में शामिल हैं. यहां आपको बड़ी संख्या में गगनचुंबी इमारतें और घर देखने को मिल जाएंगे. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस देश में आपको पेड़ों कि संख्या बहुत कम दिखेगी. आपको यहां दूर-दूर तक कोई पेड़ नहीं दिखाई देंगे. हैरानी की बात है कि इतने समृद्ध देश में एक भी पेड़ नहीं है. शुष्क जलवायु और जल स्रोतों की कमी के कारण पेड़ों के विकास में कठिनाई होती है. कतर में आप जहां भी नजर दौड़ाएंगे आपको सिर्फ रेगिस्तान ही देखने को मिलेगा. साल में मुश्किल से बारिश होती है. हालाँकि, 40,000 से अधिक पेड़ों के साथ एक मानव निर्मित वन बनाने का काम चल रहा है. जो इस दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल होगा.
नेचर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंसानों ने पिछले 12,000 सालों में पृथ्वी पर छह ट्रिलियन पेड़ों में से आधे से ज्यादा काट दिए हैं. आबादी बढ़ने और उनकी सुख सुविधाओं को पूरा करने के लिए जंगलों को तेजी से काटा जा रहा है. यूरोप और अमेरिका में हजारों एकड़ जंगल जला दिए गए. संयुक्त राष्ट्र बार-बार चेतावनी देता है, लेकिन उन्हें बचाने के लिए कहीं कोई वास्तविक प्रयास नहीं होता है. जिसका परिणाम जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के रूप में हम सबको झेलना पड़ रहा है.
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