अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाकर दोगुना यानी 50 फीसदी कर दिया है. दोनों देशों के बीच एक ट्रेड डील की उम्मीद है लेकिन कृषि सेक्टर इसमें सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है. टैरिफ की मुश्किलें और ट्रेड डील में कई तरह की अड़चनों के बावजूद अमेरिका को भारत का कृषि निर्यात अपने सर्वोच्च स्तर पर बना हुआ है. एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के बीच कृषि उपज का व्यापार वास्तव में तेजी से बढ़ रहा है और इस वर्ष यह एक नया रिकॉर्ड छूने के लिए तैयार है.
अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़ों पर अगर यकीन करें तो जनवरी-जून 2025 के दौरान, भारत का अमेरिका से कृषि उत्पादों का आयात 1,693.2 मिलियन डॉलर रहा. यह आंकड़ा पिछले कैलेंडर वर्ष के इन्हीं छह महीनों के 1,135.8 मिलियन डॉलर से 49.1 फीसदी ज्यादा है. इससे अलग अमेरिका को भारत का कृषि निर्यात भी 24.1 प्रतिशत तक बढ़ा है. निर्यात जनवरी-जून 2024 के 2,798.9 मिलियन डॉलर से बढ़कर जनवरी-जून 2025 में 3,472.7 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.
अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने बुधवार को भारत से आयात होने वाली चीजों पर टैरिफ को दोगुना करके 50 फीसदी करने का खास आदेश साइन कर दिया है. इसका प्रभाव अभी देखा जाना बाकी है लेकिन अब तक के रुझान से पता चलता है कि दोतरफा कृषि व्यापार कम से कम पिछले उच्चतम स्तर को पार कर गया है. अगर यही दर बरकरार रही तो एक अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2025 में भारत का अमेरिका को कृषि निर्यात 7.7 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो सकता है. साथ ही अमेरिका का भारत को कृषि निर्यात 3.5 बिलियन डॉलर से अधिक हो सकता है.
भारत को अमेरिका के निर्यात में मेवे - मुख्य तौर पर बादाम और पिस्ता- का योगदान सबसे ज्यादा रहा है. इनकी कीमत साल 2024 में 1.1 बिलियन डॉलर से ज्यादा थी. इस साल के पहले छह महीनों के दौरान इसमें 42.8 फीसदी का इजाफा हुआ है. जबकि तीन और बड़े आयातों में इथेनॉल, सोयाबीन तेल और कपास शामिल हैं. पिछले साल अमेरिका से भारत को 42 करोड़ डॉलर से ज़्यादा मूल्य का इथेनॉल निर्यात मुख्य तौर पर अल्कोहल-बेस्ड रसायनों, दवाओं और बाकी औद्योगिक उपयोगों के निर्माण के लिए किया गया था. अमेरिका चाहता है कि भारत, ईंधन के इस्तेमाल, यानी पेट्रोल और डीजल में मिलाने के लिए भी इथेनॉल का आयात शुरू करे. भारत इसका उतना ही विरोध कर रहा है, जितना कि वह जेनेटिकली मोडीफाइड (जीएम) मक्का और सोयाबीन के आयात का कर रहा है.
अमेरिकी किसान ज्यादा से ज्यादा सिर्फ जीएम मक्का (मक्का) और सोयाबीन उगाते हैं. भारत वर्तमान में जीएम मक्का और सोयाबीन से बनने वाले नॉन-फ्यूल इथेनॉल और तेल के आयात की मंजूरी देता है. लेकिन साबुत अनाज और तिलहन के आयात की मंजूरी अभी भारत ने नहीं दी है. हालांकि भारत की ओर से जीएम फसलों पर सहमति न देने के कारण दोनों पक्षों के बीच व्यापार वार्ता अटकी हुई है, फिर भी मक्का से मिले इथेनॉल और सोयाबीन तेल, दोनों के अमेरिकी निर्यात में भारत को अच्छा खासा इजाफा हुआ है. इस साल अमेरिका से सोयाबीन तेल के निर्यात में भारी वृद्धि के बाद माना जा रहा है कि 31 मई को भारत ने इंपोर्ट ड्यूटी को 27.5 प्रतिशत से घटाकर 16.5 फीसदी करने के का जो फैसला लिया है, वह बरकरार रहेगा. भारत के प्राकृतिक रेशे का शुद्ध आयातक बनने के कारण अमेरिका से कपास का निर्यात भी बढ़ रहा है.
भारत का अमेरिका को कृषि निर्यात कुछ हद तक काफी विविधता वाला है. जहां समुद्री भोजन (मुख्यतः फ्रोजन झींगा) सबसे प्रमुख वस्तु रहा है, वहीं अन्य वस्तुएं जैसे, मसालों और एसेंशियल ऑयल से लेकर बासमती चावल, प्रोसेस्ड फूड और सब्जियाँ और बेक्ड फूड प्रॉडक्ट्स भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. हर साल इनका निर्यात मूल्य 200 मिलियन डॉलर से ज्यादा है.
अगर हम समुद्री खाद्य पदार्थों की बात करें तो 2024 में भारत का 2,483.8 मिलियन डॉलर का निर्यात कनाडा (3,956.9 मिलियन डॉलर) और चिली (3,030.1 मिलियन डॉलर) से थोड़ा ही पीछे था, और इंडोनेशिया (1,907.9 मिलियन डॉलर), वियतनाम (1,790.4 मिलियन डॉलर) और इक्वाडोर (1,616.4 मिलियन डॉलर) से आगे था. फिलहाल, भारत पर लगाया गया 50 फीसदी टैरिफ इन सभी प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा है. अमेरिका, चिली से 10 फीसदी, इक्वाडोर से 15 फीसदी, इंडोनेशिया से 19 फीसदी,, वियतनाम से 20 फीसदी और कनाडा से 35 फीसदी टैरिफ वसूलता है.
भारत से समुद्री खाद्य पदार्थों का निर्यात जनवरी-जून में साल-दर-साल 32.5 प्रतिशत की दर से तेजी से बढ़ा है लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो टैरिफ के अंतर के कारण इसे बनाए रखना मुश्किल होगा. लेकिन सच्चाई यही है कि भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार तेजी से बढ़ा रहा है और मौजूदा टैरिफ की टेंशन के बीच यही एक राहत की खबर हो सकती है.
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