फसलों से बेहतर उपज का मुख्य आधार उत्तम बीज, सही उर्वरक और रासायनिक दवाओं का उपयोग है. खासकर रबी सीजन की बुवाई के समय किसान बड़ी मात्रा में गेहूं, चना, सरसों, मटर और मक्का सहित सब्जी व चारे वाली फसलों के बीजों की खरीदारी करते हैं. ऐसे समय में अक्सर बाजारों में मिलावट या नकली बीज मिलने का खतरा बना रहता है. ऐसे में किसान ठगी का शिकार हो सकते हैं. अगर किसान नकली या खराब बीज खरीद कर बोते हैं, तो बीजों से अंकुरण दर कम हो जाती है. इससे फसल की वृद्धि प्रभावित होती है और खेतों में पौधों की संख्या कम हो जाती है. खराब बीज के जमाव सही न होने से फसल की उपज में भी भारी गिरावट आती है. इसलिए बीज, खरीदते समय किसानों को हमेशा सावधानियां बरतनी चाहिए, ताकि आप नुकसान से बच सकें.
रबी सीजन के लिए बीजों की खरीदारी करते समय सुनिश्चित करें कि बीज शुद्ध हो. इसके लिए हमेशा खरीदारी करते समय चौकन्ना और सतर्क रहें कि किसी जिस बीज की खरीदारी करना चाह रहे हैं, उसमें दूसरी फसल के बीज या घास आदि की मिलावट न हो. बीजों का अंकुरण प्रतिशत 80-90 फीसदी होना चाहिए. बीज की श्रेणी पहचानने के लिए टैग की जांच करें. प्रजनक बीज के लिए सुनहरा टैग, आधार बीज के लिए सफेद टैग और प्रमाणित बीज के लिए नीला टैग होता है. बीज के बैग पर अंकित एक्सपायरी डेट जरूर देखें. अगर एक्सपायरी डेट खत्म हो गई है, तो वह बीज नहीं खरीदें. बीज खरीदने के बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि बीजों की अंकुरण क्षमता मानक स्तर की है या नहीं, इसके लिए अंकुरण परीक्षण जरूरी होता है.
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जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों को देखते हुए, किसानों को रबी के मौसम में फसलो की खेती के लिए जलवायु सहनशील किस्मों के बीज खरीदने पर ध्यान देना चाहिए. तापमान में वृद्धि, सूखे की स्थितियां और जैसी समस्याओं के कारण फसलों की उपज में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. ऐसी स्थिति में पारंपरिक फसलें वातावरण में होने वाले बदलावों को सहन नहीं कर पाती हैं, जिससे किसानों को आशानुरूप उपज नहीं मिल पाती है. जलवायु सहनशील किस्में अधिक गर्मी को सहन करने में सक्षम होती हैं, जिससे फसल की वृद्धि पर इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की समस्या लगातार बढ़ रही है. जलवायु सहनशील बीजों की किस्में कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देती हैं, जिससे सूखे जैसी परिस्थितियों में भी किसान को नुकसान कम होता है.
जलवायु परिवर्तन के कारण नई बीमारियों और कीटों का प्रकोप बढ़ता है. जलवायु सहनशील किस्में इन समस्याओं के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं, जिससे फसल सुरक्षा में मदद मिलती है. किस्मों के चयन के लिए कृषि वैज्ञानिकों या विशेषज्ञों से सलाह लें, ताकि फसल का चयन स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप हो. इस तरह की जलवायु सहनशील फसल किस्मों का उपयोग करके किसान न केवल अपने उत्पादन को स्थिर कर सकते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से भी अपनी आजीविका सुरक्षित रख सकते हैं.
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