कटहल की सब्जी से लेकर अचार तक की चर्चा दूर-दूर तक है. इस सब्जी की दीवानगी का आलम तो आपको अपने आस-पड़ोस में भी देखने को मिल जाएगा. देखा ही होगा आपने जब लोग इंतजार करते हैं कि कोई अच्छी सी कटहल की सब्जी बनाकर खिला दे. आखिर कटहल को काटना, छीलना और बनाना इतना आसान जो नहीं होता है. कटहल को लेकर यही दीवानगी है कि इस पर अब कटहल नाम से ही एक फिल्म बन चुकी है और इसमें मुद्दा है कटहल चोरी होने का. फिल्म मजेदार है आप जाकर देख सकते हैं, मगर थोड़ी जानकारी होना भी तो मजेदार ही होता है ना. आखिर जानिए तो सही कि कटहल की खेती कैसे होती है, कहां होती है... और फिल्म की कहानी में कटहल क्या कहता है
कटहल एक ट्रोपिकल फल है जो ज्यादातर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में उगाया जाता है. यह एक पेड़ पर उगने वाला सबसे बड़ा फल है, जिसका वजन 1 किलो से लेकर लगभग 50 किलो तक हो सकता है. औसतन कटहल का वजन लगभग 5 से 7 किलो तक का होता है. कटहल का पेड़ बड़ा और सदाबहार होता है. इस पेड़ की ऊंचाई 20 से 30 मीटर (65 से 98 फीट) तक हो सकती है. कटहल के पेड़ पर छोटे, पीले-हरे, नर और मादा फूल लगते हैं. नर फूल लंबे स्पाइक्स पर पैदा होते हैं, जबकि मादा फूल बड़े होते हैं और पेड़ के तने के पास विकसित होते हैं. ऐसे में मधुमक्खियों के द्वारा कटहल के फूल का परागण होता है और फिर पेड़ों में फल लगता है.
कटहल के उगने की बात करें तो इसे उगने के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (tropical and subtropical area) की जरूरत होती है. जहां की जलवायु गर्म और आर्द्र होती है. कटहल अच्छे से उग सके इसके लिए उन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और उचित धूप की जरूरत होती है. उचित देखभाल के साथ कटहल का पेड़ रोपण के तीन से चार साल के भीतर फल देना शुरू कर सकता है.कटहल की खेती पश्चिमी घाट के मैदानी इलाकों, उत्तर पूर्व के पर्वतीय क्षेत्रों, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिसा, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बंगाल में की जाती है. यह लगभग सभी प्रकार की जलवायु परिस्थितियों में उगने के लिए सक्षम होती है.
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एक बार पेड़ लगाने के बाद यह कई सालों तक फल देता है. अब तो कटहल की ऐसी किस्में आ गई हैं जो पूरे साल फल देती हैं. हालांकि पारंपरिक कटहल के फल की बात करें तो फरवरी मार्च के महीने में इसमें फूल लगने शुरू होते हैं. अप्रैल-मई के महीने में यह सब्जी के तौर पर खाने के लिए तैयार होता है. इसके बाद जुलाई के मौसम से यह पकना शुरू हो जाता है. कटहल का पौधा लगाने के लिए कोई खास तैयारी नहीं करनी होती है. दूसरे पेड़ लगाने की तरह ही इसकी भी तैयारी होती है.
कटहल के पौधे तैयार करने के लिए पके हुए कटहल के ताजे बीज की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. उसके बाद थोड़ा बड़ा होने पर इसे ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. इसके अलावा बडिंग तकनीक और ग्राफ्टिंग तकनीक से भी इसके पौधे तैयार किए जा सकते हैं. इसे लगाने के लिए गड्ढे की गहराई चार से पांच सेमी तक होनी चाहिए. साथ ही गड्ढे में गोबर खाद डालना बेहद जरूरी है.
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आमदनी और लागत की बात करें तो कटहल का पौधा नर्सरी में मिलता है जिसकी कीमत 25 रुपये से शुरू होती है. इसके अलावा पकी हुई कटहल से पौधा तैयार करने में कोई लागत नहीं आती है. आमदनी की बात करें तो एक सामान्य पेड़ में अगर अच्छा फलन होता है तो 10-15 हजार रुपये की कमाई प्रति पेड़ हो जाती है. यह पेड़ के आकार और फलन पर निर्भर करता है. इसके फल में बीमारी ना के बराबर होती है और कीटों का प्रकोप भी बेहद कम होता है.
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मथुरा में विधायक के घर से दो कटहल चोरी हो जाते हैं. विधायक के लिए चुनौती ये है कि उसके मंत्री बनने की चाबी भी कटहल ही है. अगर वह बड़े नेताओं को कटहल का अचार खिला दे तो वह मंत्री बन सकता है. इसके लिए पुलिस में एफआईआर कराई जाती है. पुलिस महकमे को लगने लगा है कि कटहल की तलाश की जा रही है. लेकिन तभी पता चलता है कि एक लड़की भी गायब है तो क्या उस लड़की ने कटहल चुरा लिए हैं. इसी पड़ताल में यह कहानी कई दिलचस्प मोड़ लेती है.
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