पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को पांच साल तक और विस्तार करने को लेकर भारत को डब्ल्यूटीओ कृषि समिति की बैठक में इसके सदस्य देशों की ओर से कई सवालों का सामना करना पड़ सकता है. डब्ल्यूटीओ के प्रमुख सदस्य देशों में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड और यूरोपीय संघ आदि शामिल हैं. सीओए की बैठक में भारत सामने इन देशों ने सवालों की झड़ी लगा दी है, जिनमें से ज्यादातर सवाल उसकी एमएसपी की प्रतिबद्धताओं और निर्यात प्रतिबंधों को लेकर है. कनाडा ने अपने निवेदन में भारत से पूछा है कि क्या विस्तारित पीएमजीकेएवाई के तहत खरीद मौजूदा बाजार मूल्य की बजाय सरकारी मूल्य के तहत की जाएगी. क्या उसने अपने डब्ल्यूटीओ पर इस दृष्टिकोण के प्रभाव पर विचार किया है.
मौजूदा बाजार कीमतों पर खरीद का मामला इस आधार पर बनाते हुए कि "यह अपनी प्रभावशीलता को बनाए रखते हुए व्यापार विकृतियों को कम करेगा. कनाडा ने कहा कि यदि भारत सरकारी कीमतों पर खरीद करता है, तो उसे कारण बताना चाहिए.साथ ही कृषि पर डब्ल्यूटीओ के समझौते के अनुसार, विकासशील देश उपज के उत्पादन मूल्य के 10 प्रतिशत से अधिक कृषि सब्सिडी नहीं दे सकते. निर्धारित सीमा से अधिक सब्सिडी को ट्रेड प्रैक्टिस के खिलाफ माना जाता है. हालांकि, की काट के लिए 'पीस क्लॉज’ की एक व्यवस्था है. जिसके तहत उत्पादन लागत के 10 फीसदी से अधिक सब्सिडी देने पर दूसरा कोई देश इसका इसका विरोध नहीं करेगा.
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दरअसल, डब्ल्यूटीओ के कुछ सदस्य देश मुफ्त खाद्यान्न योजना और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कारणों से परेशान हैं. क्योंकि इससे सरकारी खरीद और घरेलू खपत दोनों बढ़ेगी. जिससे निर्यात बाधित होगा और इसके सदस्य देशों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, दिसंबर 2013 में बाली मंत्रिस्तरीय बैठक में, 'पीस क्लॉज’ के तहत विकासशील देशों को 10 फीसदी की सीमा का उल्लंघन करने की अनुमति दी गई है. समस्या यह है कि 'पीस क्लॉज’ सूचनाओं और डेटा जमा करने के साथ-साथ अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा की रक्षा से संबंधित कठिन शर्तों से भरा हुआ है, जिन्हें विकासशील देशों के लिए पूरी तरह से पूरा करना मुश्किल हो सकता है.
चावल पर 10 प्रतिशत सब्सिडी सीमा का उल्लंघन करने के लिए भारत पहले ही डब्ल्यूटीओ में 'पीस क्लॉज’ लागू कर चुका है. भारत सरकार ने कहा है कि वह अपने खरीदे गए स्टॉक से चावल का निर्यात नहीं करता है और वह अपने पूरे घरेलू समर्थन अधिसूचनाओं पर सभी आवश्यक जानकारी जमा कर रहा है. डब्ल्यूटीओ सीओए की बैठक में, भारत को यह भी बताना पड़ सकता है कि उसने गैर-बासमती चावल की उपलब्धता को लेकर चिंताओं का हवाला देते हुए किस आधार पर निर्यात प्रतिबंध लगाया. चूंकि भारत ने कहा है कि निर्यात शुल्क और प्रतिबंध शामिल अस्थायी हैं.
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