आमों के बीच भला मजनू और करीना क्या कर रहे थे, अगर आप भी यही सोच रहे हैं तो आपको बता दें कि यह दरअसल आम की उन किस्मों के नाम हैं जिन्हें दिल्ली में आयोजित आम महोत्सव में प्रदर्शित किया गया था. सुहाग सिंदूरी जो अपने गहरे लाल रंग के लिए मशहूर है उसके बीच ही मजनू, करीना जैसी चंचल किस्में भी यहां पर मौजूद थीं. सुहाग सुंदरी का नाम बताया जाता है कि एक किसान की बेटी के नाम पर रखा गया है. इस आम महोत्सव का आयोजन दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में हो रहा है और यह 34वां आम महोत्सव है जिसमें 400 से ज्यादा अनोखे आमों की किस्में प्रदर्शित की गई हैं.
दिल्ली पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक चलेगा, जिसका उद्घाटन शुक्रवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने किया. उन्होंने आमों को भारत के गांवों, संस्कृति और गर्मियों की यादों में निहित 'एक भावनात्मक अनुभव' बताया. उन्होंने कहा, 'आम सिर्फ एक फल नहीं है - यह हमारी विरासत का हिस्सा है.' इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली के लोगों से अपने परिवारों को लाने और देश की आम की विरासत का स्वाद लेने की अपील की.
गुप्ता ने कहा, 'भारत में, आम सिर्फ एक फल नहीं है बल्कि यह हमें हमारे गांवों, हमारी परंपराओं और गर्मियों की यादों की गर्माहट की याद दिलाता है. यह महोत्सव हमारे मेहनती किसानों को समर्पित है, जिनकी मेहनत आमों की मिठास को हमारी मेजों तक पहुंचाती है.' मुख्यमंत्री के अनुसार यह उत्सव वह स्थान है जहां स्वाद स्मृतियों से मिलते हैं, तथा संस्कृति समुदाय से मिलती है. हम सभी को इस मिठास का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करते हैं. वहीं दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने इस उत्सव को 'भारतीय किसानों की कड़ी मेहनत' का सम्मान बताया.
मिश्रा ने बताया कि विजिटर्स की सुविधा के लिए दिल्ली सरकार ने तीन दिनों तक आईएनए मेट्रो स्टेशन से त्यागराज स्टेडियम तक फ्री शटल सर्विस की व्यवस्था की है. प्रदर्शनी में रखे गए आमों में लोकप्रिय आम्रपाली, लंगड़ा और दशहरी से लेकर टोटा परी, करेला, टॉमी एटकिन, मोदी, कोकिला, हाथी और मलिका जैसे विचित्र, कम प्रसिद्ध प्रकार शामिल हैं - दशहरी और नीलम का हाइब्रिड वर्जन. कुछ आम अंगूर से बड़े नहीं हैं, जबकि कुछ वजन वजन दो किलोग्राम तक का है.
इस कार्यक्रम में अचार, जूस, चटनी, पापड़ और आम के पौधे भी शामिल हैं, साथ ही पारंपरिक खेती, बागवानी अनुसंधान और जैविक उत्पादों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी भी है. उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के किसान और उत्पादक अपनी बेशकीमती किस्मों को दिल्ली लेकर आए हैं. इस मैंगो फेस्टिवल की शुरुआत सन् 1988 में की गई थी और आज यह हर साल गर्मियों में दिल्ली के निवासियों के लिए एक मौसमी आकर्षण बन गया है. महोत्सव के दौरान आम खाने की प्रतियोगिताएं, लाइव लोक प्रदर्शन और हथकरघा और हस्तशिल्प स्टॉल शामिल हैं.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today