एक सॉइल हेल्थ कार्ड कितने साल तक कारगर होता है, दोबारा नया कब बनवाना है जरूरी?

एक सॉइल हेल्थ कार्ड कितने साल तक कारगर होता है, दोबारा नया कब बनवाना है जरूरी?

किसानों के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड बहुत जरूरी चीज है. यह ऐसा कार्ड है जिससे खेत की मिट्टी के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है. किसान इस कार्ड के माध्यम से समझ सकता है कि उसे कौन सी फसल लगानी है और कौन नहीं. इस कार्ड से खेत में मौजूद पोषक तत्व और उनकी कमी के बारे में पता चल जाता है.

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एक सॉइल हेल्थ कार्ड कितने साल तक कारगर होता है, दोबारा नया कब बनवाना है जरूरी?किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड से बड़ी मदद मिलती है

सॉइल हेल्थ कार्ड यानी मिट्टी की सेहत बताने वाला कार्ड खेती में बहुत जरूरी होता है. हिंदी में इसे मृदा स्वास्थ्य कार्ड कहते हैं. जैसा कि नाम से साफ है, यह कार्ड मिट्टी के स्वास्थ्य यानी सेहत के बारे में जानकारी देता है. यह बात सबको पता है, मगर क्या ये जानकारी है कि कोई सॉइल हेल्थ कार्ड कितने साल तक मान्य रहता है. दूसरे शब्दों में कहें तो वह कार्ड कितने साल तक कारगर रहता है? यह जानकारी रखना बेहद जरूरी है क्योंकि इसी से आपकी मिट्टी की सेहत और उत्पादन आदि का सीधा रिश्ता है.

दरअसल, किसानों को दिया जाने वाला मृदा स्वास्थ्य कार्ड तीन साल के लिए मान्य होता है. फिर किसान को दूसरा कार्ड बनवा लेना चाहिए. किसी एक कार्ड की मियाद तीन साल होती है जिसके आधार पर किसान को उसके खेत की मिट्टी के बारे में जानकारी दी जाती है. उस मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी जाती है. मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी होती है, उसे पूरा करने की सलाह दी जाती है. फिर उसी आधार पर फसलों के चयन की सलाह दी जाती है. इसलिए, तीन साल बाद किसानों को दूसरे कार्ड की जरूरत पड़ सकती है.

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मृदा स्वास्थ्य कार्ड की विशेषता

इस योजना को केंद्र सरकार के जरिये चलाया जाता है. सरकार इस योजना के अंतर्गत सभी किसानों को शामिल कर रही है. यह योजना देश के सभी भागों को कवर करेगी जिसमें किसानों को स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा. मृदा कार्ड के रूप में किसानों को एक रिपोर्ट मिलेगी और इस रिपोर्ट में उनके खेत की मिट्टी के बारे में सारी जानकारी होगी. हर खेत को प्रत्येक तीन साल में एक बार मृदा कार्ड मिलेगा. इस कार्ड में खेत की पूरी डिटेल रहेगी.

इस कार्ड में 12 अलग-अलग पैरामीटर्स के आधार पर मिट्टी की जांच की जाती है और उसी आधार पर रिपोर्ट दी जाती है. इसमें अलग-अलग पोषक तत्वों की खुराक के बारे में जानकारी दी जाती है. इस कार्ड के जरिये किसानों को खाद और उर्वरकों के बारे में सलाह दी जाती है कि वे अपने खेत में कैसे और कितना इस्तेमाल करें. कार्ड के जरिये किसानों को यह भी बताया जाता है कि वे बेहतर पैदावार के लिए क्या और कैसे सुधार करें.

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कार्ड से किसानों की मदद

सॉइल हेल्थ कार्ड से किसानों को यह पता चल जाता है कि उनकी मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है और इसलिए उन्हें कौन सी फसल लगानी चाहिए. उन्हें यह भी पता चल जाएगा कि उन्हें किस खाद की जरूरत है. इसलिए, अंततः फसल की पैदावार में वृद्धि होगी और इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा. उनकी आय में वृद्धि होगी.

 

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