सर्दी के मौसम में धूप सेहत के लिए वरदान हो जाती है. धूप सेंकने से अवसाद यानी विंटर डिप्रेशन बीमारी से बचने में मदद मिलती है. शरीर में धूप की कमी से दिमाग में सेरोटोनिन रसायन का स्तर काम हो जाता है जिसके चलते मन का मौसम बदलने लगता है. इन दिनों अस्पतालों में विंटर डिप्रेशन(winter depression) के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. धूप की वजह से इस तरह के डिसऑर्डर बढ़ रहे हैं. मेरठ मेडिकल कॉलेज में इस तरह की सौ से ज्यादा मरीज अब तक आ चुके हैं. वहीं चिकित्सकों के द्वारा इस बीमारी के बचाव के लिए 10 मिनट तक सुबह धूप में बैठने की सलाह भी दी जा रही है. वही बादाम, अखरोट के साथ-साथ मूंगफली के सेवन से भी इस बीमारी में फायदा होता है.
सर्दी के मौसम में 100 में से दो लोगों में विंटर डिप्रेशन के लक्षण पाए जाते हैं. इस बीमारी से पीड़ित लोग पूरे साल ठीक रहते हैं लेकिन जैसे ही सर्दियां शुरू होती है उनमें सुबह उठने में परेशानी होती है. ऐसे व्यक्तियों को नींद ज्यादा आती है और भूख भी ज्यादा लगती है. सर्दी के मौसम में मीठा खाने का ज्यादा मन करता है जिसके चलते उसका वजन बढ़ जाता है और काम करने में मन नहीं लगता है. सर्दी के इस अवसाद से पीड़ित व्यक्तियों को चिकित्सकों के द्वारा धूप सेंकने की सलाह दी जा रही है जिससे इस तरह की बीमारी ठीक होती है. मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण पाल ने बताया की विंटर डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को सूरज की रोशनी देने से वह ठीक हो जाता है. ठंड के मौसम में हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन हो सकता है. ऐसे में खान-पान में भी सुधार करके बीमारी से बचा जा सकता है.
सर्दी के मौसम में धूप सेंकने से शरीर में एंडोर्फिन्स नामक हार्मोन्स का स्राव होता है जो हमारे मूड को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. ये हार्मोन्स शरीर और दिमाग को आराम पहुंचाते हैं और तनाव को कम करने में सहायक होते हैं. सूरज की रोशनी में रहकर हमारा मन ज्यादा शांत और प्रसन्न रहता है.
सर्दी के मौसम में सुबह की धूप ज्यादा फायदेमंद रहती है. धूप सेंकने से जहां शरीर में विटामिन डी की पूर्ति होती है. इसके साथ ही सर्दी के मौसम में होने वाले अवसाद में भी फायदा होता है. चिकित्सकों ने बताया की माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को भी धूप सेंकने से फायदा होता है. विंटर डिप्रेशन के चलते शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है. यह बीमारी विटामिन डी की कमी से भी होती है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों में दिल और दिमाग पर असर पड़ता है. ऐसे में उन्हें मधुमेह का भी खतरा बढ़ जाता है.
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