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मुर्गियों को दी जाने वाली दवाइयां इंसानों केे ल‍िए क‍ितनी खतरनाक? एक्सपर्ट ने ये द‍िया जवाब

मुर्गियों को दी जाने वाली दवाइयां इंसानों केे ल‍िए क‍ितनी खतरनाक? एक्सपर्ट ने ये द‍िया जवाब

सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से आ रही खबरें बताती हैं कि मुर्गों को जल्दी बड़ा करने और मुर्गियों से ज्यादा अंडे लेने के लिए उन्हें एंटी बॉयोटिक दवाइयां खिलाई जा रही हैं. यही दवाईयां मुर्गे और अंडे खाने वाले इंसानों के शरीर में भी असर दिखा रही हैं. जबकि पोल्ट्री एसोसिएशन ऐसी खबरों को सिरे से खारिज कर रही हैं तो साइंटिस्ट इस पर कुछ और ही बोल रहे हैं.  

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पोल्ट्री फार्म का प्रतीकात्मक फोटो. पोल्ट्री फार्म का प्रतीकात्मक फोटो.

मुर्गे और मुर्गियों की दवाईयां इंसानों के लिए खतरा बन रही हैं. ब्रॉयलर मुर्गे का वजन बढ़ाने के लिए और अंडे ज्यादा और अच्छे मिलें इसके लिए मुर्गियों को तरह-तरह की दवाइयां दी जा रही हैं. इतना नहीं अंडे और मुर्गे खाने वाले इंसानों के लिए यह दवाइयां खतरा बन रही हैं. गाहे-बगाहे सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें सामने आती हैं. लेकिन, इस तरह की खबरों के पीछे हकीकत कुछ और ही है. इस बारे में जब किसान तक ने सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बरेली के डायरेक्टर और पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष से बात की तो उन्होंने यह खुलासा किया. 

मंदी के साथ ही पोल्ट्री कारोबारियों को सोशल मीडिया का सामना भी करना पड़ता है. यहां पोल्ट्री कारोबार से जुड़ी कुछ ऐसी बातें सामने आती हैं जिनका कोई आधार नहीं होता है. लेकिन पोल्ट्री फेडरेशन उसका भी सामना करती है. वहीं बर्ड फ्लू के चलते तो पूरे के पूरे पोल्ट्री फार्म को मुर्गे-मुर्गियों से साफ कर दिया जाता है. एक झटके में 2 लाख करोड़ रुपये करीब का यह कारोबार जमीन पर आ जाता है. 

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सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टी्ट्यूट के डायरेक्टर ने किया यह खुलासा 

सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टी्ट्यूट के डायरेक्टर अशोक कुमार तिवारी ने किसान तक को फोन पर बताया कि अभी तक किसी भी तरह की रिसर्च और जांच से यह साबित नहीं हुआ है कि मुर्गे मुर्गियों को एंटी बॉयोटिक खिलाने से उनका वजन बढ़ता हो या फिर ज्यादा अंडे देती हों. पोल्ट्री फार्म क्यों कि बहुत महंगा कारोबार है और मुर्गियां बहुत ही सेंसेटिव होती हैं तो कुछ लोग जिनकी संख्या बहुत ही कम है, वो चोरी-छिपे मुर्गियों को एंटी बॉयोटिक दवाई खिलाते हैं. यह दवाई इसलिए होती है कि जिससे मुर्गियां बीमार न पड़ें. क्योंकि ऐसे लोगों को डर रहता है कि मुर्गियों में कोई बीमारी न आ जाए. 

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क्योंकि बीमारी आ गई तो वो दूसरी मुर्गियों में भी फैल सकती है और बड़ी तदाद में मुर्गियां मर भी सकती हैं. हालांकि इस तरह की दवाईयों पर सरकार ने बैन लगाया हुआ है. बावजूद इसके ना की बराबर संख्या वाले पोल्ट्री फार्मर इस तरह की दवाइयों का चोरी से इस्तेमाल कर रहे हैं. उनका मकसद इतना होता है कि मुर्गियां बीमारी से बची रहें. क्योंकि बीमारी से बचेंगी तभी उनकी ग्रोथ होगी. लेकिन वजन बढ़ने से कोई कोई मतलब नहीं है. 

पोल्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष ने किया ये दावा 

पोल्ट्री फेड फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रनपाल डांडा ने किसान तक को बताया कि सोशल मीडिया की कुछ भ्रामक खबरें जैसे दवाइयां खिलाकर ब्रॉयलर चिकन का वजन बढ़ाया जा सकता है, अंडे देने वाली लेयर मुर्गी से ज्यादा और अच्छे अंडे लिए जा सकते हैं, लेकिन इस तरह की दवाइयां अंडे-मुर्गे खाने वालों को नुकसान पहुंचाती हैं का कोई आधार नहीं है. यह 100 फीसद बेसिर-पैर की खबरें हैं. मैं दावा करता हूं कि कोई मुझे ऐसी एंटी बॉयोटिक बता दें जो मुर्गों का वजन बढ़ाने के लिए दी जा रही है. 

उन्होंने कहा क‍ि परेशानी यह है कि आजकल सोशल मीडिया पर कुछ बिना पढ़ें-लिखे ही बातें करते हैं. जबकि उस विषय के बारे में उन्हें कोई नॉलेज नहीं होती है. अगर हम एक हेल्दी मुर्गी जो बीमार भी नहीं है को एंटी बॉयोटिक खिलाएंगे तो वो उस पर क्या असर करेगी. जबकि हकीकत यह है कि मुर्गियों को बीमारी से बचाने के लिए हम उनका वैक्सीनेशन कराते हैं. बीमार होने पर दवाई देते हैं. इसके अलावा पूरी तरह से शाकाहारी फीड दिया जाता है. अगर हम इस तरह से महंगी-महंगी दवाईयां मुर्गियों को खिलाने लगे तो 100 रुपये किलो बिक रहे ब्रॉयलर चिकन में से उसका खर्चा कैसे निकलेगा. 

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