गायों की देखभाल के लिए राज्यर सरकारों समेत केन्द्र सरकार भी गौशालाओं को वित्तीय सहायता देती है. हर साल अलग-अलग योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये की मदद दी जाती है. इसके लिए केन्द्र में एनीमल वेलफेयर बोर्ड भी बना हुआ है. यहां गौशालाओं का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. साल 2019 तक करीब 500 गौशालाएं बोर्ड में रजिस्टर्ड थीं. गौशाला में शेड के साथ-साथ बीमार गायों के लिए एम्बूलेंस खरीदने को भी ग्रांट जारी की जाती है.
साल 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की सड़कों पर और खेतों में 50 लाख छुट्टा गाय-बैल घूम रहे हैं. छुट्टा गाय-बैल की सबसे ज्यादा संख्या राजस्थान और यूपी में है दोनों राज्यों में कुल छुट्टा पशु संख्या के करीब 50 फीसद गाय-बैल सड़क और खेत में घूम रहे हैं. केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारें भी छुट्टा पशुओं के लिए तमाम तरह की करोड़ों रुपये सालाना वाली योजनाएं चला रही हैं.
शेल्टर हाउस-
अगर आपके पास जमीन है और आप गौशाला बनाना चाहते हैं तो केन्द्र सरकार आपको शेल्टर हाउस तैयार करने के लिए एक मुश्त रकम देती है. शेल्टर हाउस तैयार करने के लिए केन्द्र सरकार 9 लाख रुपये से लेकर 11.25 लाख रुपये तक की मदद करती है. यह योजना साल के 12 महीने चलती है. साल 2020-21 में 15 लोगों को शेल्टर हाउस तैयार करने के लिए 1.5 करोड़ रुपये जारी किए गए थे.
रेग्यूलर ग्रांट-
गायों की देखभाल के लिए एनीमल वेलफेयर बोर्ड रेग्यूंलर ग्रांट जारी करता है. यह ग्रांट भी हर साल जारी की जाती है. इस योजना के तहत एक गौशाला को 50 हजार रुपये दिए जाते हैं. साल 2020-21 में 174 गौशालाओं को रेग्यूलर ग्रांट के तहत पैसा जारी किया गया था. हर साल 80 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक जारी किए जाते हैं.
कैटल रेस्क्यू -
बीमार या परेशान हाल गाय सड़क पर या फिर कहीं और घूम रही है, फंसी हुई है तो उसे रेस्क्यू किया जाता है. सड़क से उठाकर गाय को गौशाला तक लाया जाता है. गाय-बैल को रेस्क्यू करने के लिए भी केन्द्र सरकार का बोर्ड ग्रांट जारी करता है. रेस्क्यूकिए गए गाय-बैल की संख्या के आधार पर यह ग्रांट मिलती है. 2 लाख रुपये से लेकर 10 लाख तक गौशालाओं को मिलते हैं. साल 2020-21 में इस योजना के तहत 8 गौशालाओं को करीब 45 लाख रुपये दिए गए थे.
एम्बूलेंस-
बीमार गायों के इलाज और उनकी आराम से देखभाल हो इसके लिए केन्द्रा सरकार एम्बूलेंस खरीदने को पैसा देती है. बीमार गायों को रेस्यूता करने और उन्हें इलाज के लिए एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने में कोई परेशानी न हो इसके लिए एम्बू्लेंस खरीदी जाती हैं. साल 2020-21 में केन्द्र सरकार ने एम्बूलेंस खरीदने के लिए 11 गौशालाओं को करीब 50 लाख रुपये दिए थे.
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