Fertilizer Crisis: महाराष्ट्र की ठाणे ग्रामीण पुलिस ने एक छापेमारी में 78 लाख रुपये मूल्य का यूरिया स्टॉक जब्त किया है. इसके साथ ही उर्वरक के कथित अवैध उपयोग के संबंध में 11 लोगों को भी धर दबोचा है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि यूरिया बैगों से लदे दो ट्रक भी पकड़े गए हैं.
Soybean Seed Issue: महाराष्ट्र के अमरावती जिले में खरीफ सीजन की शुरुआत में किसानों को बड़ा झटका लगा है. तिवसा तहसील के शिरजगांव, मोझरी और अनकवाडी गांवों में 60 हेक्टेयर क्षेत्र में बोए गए बापना कंपनी के सोयाबीन बीज अंकुरित नहीं हुए. बीज खराब और बोगस पाए गए, जिससे किसानों की मेहनत और लागत बर्बाद हो गई.
किसान राहुल कव्हर के मुताबिक, चिया सीड्स की बुवाई के लिए अक्टूबर और नवंबर महीने का मौसम सबसे अच्छा मना जाता है. चिया की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं. मगर अच्छे उत्पादन के लिए बढ़िया जलनिकास वाली हल्की भुरभुरी और रेतीली मिट्टी उपयुक्त होती है. चिया कि बुवाई करने के बाद फसल पर किसी भी प्रकार के खाद या दवाइयों की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. इसके कारण इस फसल के लिए ज्यादा लागत भी नहीं लगती है.
अकोला जिले के तिलक रोड पर किसानों ने सड़क जाम कर अपना गुस्सा जाहिर किया. क्योंकि उन्हें अधिक उपज देने वाले और पसंदीदा कपास के बीज के लिए लंबी लाइन लगाने के बावजूद निराशा हाथ लगी है. पिछले चार दिनों से किसान बीज खरीदने के लिए सुबह से ही कृषि केंद्र पर लाइन लगा रहे हैं. लेकिन बीज के लिए मारामारी है.
इसके बावजूद किसानों को उनके पसंदीदा कपास किस्म के बीजों के लिए घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद सिर्फ एक या दो पैकेट ही बीज मिल पा रहा हैं. जिसकी वजह से किसान काफी परेशान हैं, क्योंकि खरीफ मौसम में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. ऐसे में बीज की कमी के कारण खेती कैसे सही समय पर हो पाएगी.
टोल फ्री नंबर पर मिलने वाली पूरी समस्या को राज्य स्तर पर रजिस्टर्ड किया जाएगा. इसके बाद जिला स्तर पर सूचना दी जायेगी. इससे शिकायत की हकीकत जानी जा सके. इसकी पड़ताल करने की जिम्मेदारी कृषि विभाग पर होगी. इससे ग्रामीण स्तर पर होने वाली गड़बड़ियों को तुरंत सुलझाने में मदद मिलेगी. यह टोल फ्री नंबर किसानों के लिए मददगार हो सकता है.
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि खरीफ सीजन के जून और जुलाई में यूरिया और डीएपी उर्वरकों की आवक मांग से कम रहने की आशंका है. इसलिए, संभावित कमी से बचने के लिए स्टॉक को रिजर्व किया जाना चाहिए. जिससे कि खाद की कमी पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके.
अकोला जिले में निगम के संभागीय कार्यालय में कार्यरत वाशिमकर नामक स्टोर कीपर के पास 38 बैग कीटनाशक मिलने के बाद आया है. मामले में आरोपी भंडारपाल को निलंबित किया गया है. महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि पुलिस में मामला दर्ज किया गया है. विभागीय जांच जारी है.
महाराष्ट्र के कुल प्याज उत्पादन का 65 फीसदी रबी सीजन में ही होता है. रबी सीजन का प्याज ही स्टोर किया जाता है. जबकि खरीफ और लेट खरीफ सीजन का प्याज स्टोर करने लायक नहीं होता. इस साल यह भी बड़ा सवाल है कि क्या पिछले दो साल के खराब अनुभव को देखते हुए किसान प्याज की खेती कम करेंगे?
महाराष्ट्र सरकार के प्रस्तावित कानून के खिलाफ आंदोलन पर एग्री इनपुट डीलर्स एसोसिएशन. कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने आश्वासन दिया कि इस कानून से राज्य में इनपुट विक्रेताओं को कोई परेशानी नहीं होगी. सामग्री बेचने वालों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा. उन्हें गवाह बनाया जाएगा और जांच में उनकी मदद ली जाएगी.
महाराष्ट्र सरकार खाद और बीज की बिक्री को आवश्यक वस्तु अधिनियम यानी कि Essential Commodities Act में शामिल करने जा रही है. इस कानून के लागू होते ही नकली खाद-बीज बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का रास्ता साफ हो जाएगा. दोषी विक्रेताओं को जल्दी जमानत नहीं नहीं मिलेगी.
महाराष्ट्र के अकोला में नकली खाद बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. यहां एक कंपनी ने मुर्गी दाना बनाने का लाइसेंस लिया था, लेकिन उसके बदले नकली खाद बनाने का काम होने लगा. कृषि विभाग को भनक लगते ही उसने छापेमारी की और कई बोरियां नकली खाद बरामद की.
महाराष्ट्र में नकली बीज बिक्री के मामले में कृषि अब्दुल सत्तार ने कहा कि किसानों के साथ हो रही ठगी को रोकने के लिए अब शिंदे-फडणवीस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि जो भी नाकी बीज किसानों को बेचता हुआ पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी जिसमे उसे 10 साल की सजा भी दी जाएगी.
Onion Seed: पहले विश्वविद्यालय प्याज के बीज ऑनलाइन बेच रहा था. इसलिए महज चार-पांच घंटे में ही सारे बीज बिक जा रहे थे. इसलिए इस वर्ष बिक्री ऑफलाइन और कैश मोड पर हो रही है. ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका फायदा हो.
महाराष्ट्र के अकोला जिले में किसान ने 20 एकड़ जमीन में काली मिट्टी पर पीली मिट्टी बिछाकर नया प्रयोग किया. किसान का ये प्रायोग सफल रहा है और आज किसान को इससे अच्छा उत्पादन और गुणवत्ता दोनों मिल रहा है.
खाद वितरण में अब तक कभी भी किसान से जाति नहीं पूछी गई थी. मगर अब पॉस मशीन अपडेट होने के बाद यह जनकारी मांगी जा रही है जिसे लेकर किसान नाराज हैं और अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. शुक्रवार को यह मामला महाराष्ट्र विधानसभा में गरमाया रहा. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और इसका जवाब मांगा.
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