महाराष्ट्र के अमरावती जिले के तिवसा तहसील के शिरजगांव, मोझरी, अनकवाडी सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को इस खरीफ सीजन की शुरुआत में ही बड़ा झटका लगा है. यहां करीब 60 हेक्टेयर क्षेत्र में बोए गए सोयाबीन के बीज अंकुरित ही नहीं हुए. जांच में सामने आया कि किसानों द्वारा जिस बीज कंपनी से बीज खरीदे गए, वे बीज निकृष्ट और बोगस निकले. इससे किसानों पर दुबारा बुआई का संकट मंडरा रहा है.
ग्रामीणों के अनुसार, शिरजगांव, मोझरी और अनकवाडी गांव के कई किसानों ने इस साल बापना कंपनी का सोयाबीन बीज खरीदा था, जिसका लॉट नंबर 000789 बताया जा रहा है. बीज कंपनी ने बेहतर उत्पादन का दावा करते हुए किसानों को इस बीज के लिए प्रेरित किया था, लेकिन पंद्रह दिन बीत जाने के बाद भी बीज अंकुरित नहीं हुआ.
किसान खेतों में पहुंचे तो देखा कि अन्य कंपनियों के बीजों से बोए गए खेतों में हरियाली नजर आ रही थी, लेकिन जिन किसानों ने ‘बापना कंपनी’ से बीज खरीदकर बोए थे, वो खेत बंजर पड़े थे. इससे किसानों को गहरा झटका लगा है. जानकारी के अनुसार, तिवसा तहसील के करीब 60 हेक्टेयर खेतों में यह बोगस बीज बोया गया था. एक किसान को प्रति एकड़ बीज, खाद और बुवाई पर लगभग 8 से 9 हजार रुपये खर्च आता है. कंपनी के एक बीज बैग की कीमत 3200 रुपये है.
किसानों का कहना है कि बीज न उगने के कारण न सिर्फ उनकी मेहनत और पैसा बर्बाद हुआ है, बल्कि अब उन्हें दुबारा बीज खरीदकर दोबारा पेरणी करनी पड़ेगी, जिससे आर्थिक संकट और गहरा गया है. किसान एकत्रित होकर अपने खेतों में कंपनी के एरिया मैनेजर और स्थानीय बीज विक्रेताओं को लेकर पहुंचे और उन्हें स्थिति दिखाई. बीज न अंकुरित होने की सच्चाई सामने आने के बाद कंपनी ने बोगस बीज होने की बात मानी और दो दिनों में नुकसान भरपाई का आश्वासन दिया.
किसानों ने इस पर फिलहाल औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई है, लेकिन अगर जल्द मुआवजा नहीं मिला तो वे प्रशासन और कृषि विभाग से कार्रवाई की मांग करेंगे. इस पूरे मामले में गुरुदेवनगर के बीज विक्रेता पंकज कांडलकर ने सफाई देते हुए कहा कि जैसे ही किसानों की शिकायतें सामने आईं, उन्होंने बापना कंपनी के बीजों की बिक्री तुरंत बंद कर दी और जिन किसानों ने बीज खरीदा लेकिन पेरणी नहीं की थी, उनके बीज वापस ले लिए गए हैं.
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