पॉस मशीन में खाद के लिए जाति पूछने पर किसानों में नाराजगी (सांकेतिक तस्वीर)महाराष्ट्र के सांगली जिले के कवठे पिरान गांव में एक अजब मामला सामने आया है. यहां किसान जब खाद खरीदने दुकान पर गए तो खाद का पंजीकरण करने वाली POS मशीन (पॉस मशीन) अगली स्टेप पर जाते ही किसान की जाति जानकारी मांगने लगी. यानी किसानों को जाति बताने पर ही खाद मिलने का सिस्टम बनाया गया. यह सब देखकर किसान सोच में पड़ गए क्योंकि यह सिस्टम उनके लिए पूरी तरह से नया था. यह वाकया कई किसानों के साथ हुआ जिसके बाद सबने एतराज दर्ज कराया और विरोध में उतर गए.
इस घटना पर दुकानदार का कहना है कि दो दिन पहले पॉस मशीन का सॉफ्टवेयर अपडेट हुआ है. खाद खरीदने के लिए पॉस मशीन जो भी किसान की जानकारी मांगती है, वह देना हमारे लिए बाध्य है. लेकिन किसान इस बात से नाराज और गुस्से में हैं. हैरानी तो इस बात की है कि राज्य के कृषि विभाग ने इस बात पर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. उनको इस बात की कोई जानकारी केंद्र सरकार ने नहीं दी है. पॉस मशीन से खाद वितरण का नियम केंद्र सरकार ने तय किया है और राज्य सरकार इस बारे में पूरी तरह से अनजान है.
किसान जब भी खाद की दुकान से यूरिया या और कोई खाद खरीदता है तो उसे कम दाम पर खाद मिलती है. ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार उस कंपनी को खाद पर सब्सिडी देती है. इसके लिए किसान को अपना नाम, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और खाद की कितनी बोरी चाहिए, उसका विवरण पॉस मशीन में भरना पड़ता है. कई किसान बिना पढ़े-लिखे होते हैं जिनका यह काम दुकानदार ही कर देते हैं.
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खाद वितरण में अब तक कभी भी किसान से जाति नहीं पूछी गई थी. मगर अब पॉस मशीन अपडेट होने के बाद यह जनकारी मांगी जा रही है जिसे लेकर किसान नाराज हैं और अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. शुक्रवार को यह मामला महाराष्ट्र विधानसभा में गरमाया रहा. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और इसका जवाब मांगा. आखिरकार पॉस मशीन में जाति का कॉलम रद्द करने की मांग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्र सरकार से की है.
नामदेव दिंडे नाम के एक किसान ने कहा, जब मैं खाद खरीदने के लिए दुकान पर गया तो मुझे यह जानकारी मिली कि मशीन में अपनी जाति की एंट्री करना अनिवार्य है. हम किसान हैं और यही हमारा धर्म है और यही जाति है. केंद्र की सरकार किसान-किसान में फूट डलवाना चाहती है. सभी किसान इस बात से नाराज हैं. और भी कई किसानों ने इस बारे में अपनी बात रखी और जाति पूछने के नियम पर नाराजगी जाहिर की.
दूसरी ओर खाद दुकानदार यशवंत खांबळे ने कहा कि जो भी अपडेटेड पॉश मशीन आई है, वह जिस तरह की जानकारी किसान से मांगेगी, उसे देना हमारे लिए अनिवार्य है. इसी मुद्दे पर कृषि अधिकारी विनायक पवार कहते हैं कि हमें इस बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है. जैसे ही इस बारे में जानकारी मिलेगी, खाद बेचने वाले दुकानदार को तुरंत अवगत कराएंगे.
ऐसा ही एक मामला कल्याण में सामने आया. बेमौसम बरसात और कृषि उत्पादों को औने-पौने दामों पर बेचने से परेशान किसान अब जाति बताने को लेकर नाराज चल रहे हैं. पॉस मशीन में जाति बताने की बाध्यता को लेकर किसानों और दुकानदारों में विवाद हो रहा है. सरकार रासायनिक खाद के लिए कंपनी को सब्सिडी देती है. सरकार ने खाद पर सब्सिडी देने के लिए ई-पॉस मशीन सिस्टम लगाया है.
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पिछले तीन दिनों से पॉस मशीन के सॉफ्टवेयर सिस्टम में अपडेट होने से किसानों से उनकी जाति पूछी जा रही है. दुकानदारों ने कहा कि बिना जाति अपडेट किए मशीन का काम आगे नहीं बढ़ता, इसलिए उन्हें जाति बतानी पड़ती है. किसानों की शिकायत है कि उनसे जाति के बारे में पूछना शर्मनाक है. किसानों की मांग है कि सरकार इसे तुरंत बदले.(सांगली से स्वाति और ठाणे से मिथिलेश गुप्ता की रिपोर्ट)
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