नकली बीजों की शिकायत इस टोलफ्री नंबर पर करें, सरकार तुरंत करेगी कार्रवाई

नकली बीजों की शिकायत इस टोलफ्री नंबर पर करें, सरकार तुरंत करेगी कार्रवाई

टोल फ्री नंबर पर म‍िलने वाली पूरी समस्या को राज्य स्तर पर रज‍िस्टर्ड क‍िया जाएगा. इसके बाद जिला स्तर पर सूचना दी जायेगी. इससे शिकायत की हकीकत जानी जा सके. इसकी पड़ताल करने की जिम्मेदारी कृषि विभाग पर होगी. इससे ग्रामीण स्तर पर होने वाली गड़बड़ियों को तुरंत सुलझाने में मदद मिलेगी. यह टोल फ्री नंबर किसानों के लिए मददगार हो सकता है.

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नकली बीजों की शिकायत इस टोलफ्री नंबर पर करें, सरकार तुरंत करेगी कार्रवाईकपास का बीज

महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में फर्जी बीजों की समस्या और बीज खरीदने पर दुकानदारों द्वारा ज्यादा पैसा ल‍िए जाने की शिकायतों को देखते हुए कृषि विभाग ने एक टोल फ्री नंबर जारी क‍िया है. जिले के किसान इस नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकेंगे. उनके नाम गोपनीय रखे जाएंगे. इस शिकायत पर तत्काल संज्ञान लिया जाएगा. शिकायत की जांच कर कार्रवाई की जाएगी. इस वर्ष के खरीफ सीजन में नौ लाख हेक्टेयर में कपास बोया जाने वाला है. इसके लिए जिले में कपास के बीज के 24 लाख पैकेट की जरूरत होगी. इसके साथ ही विभिन्न फसलों के बीज की भी आवश्यकता होगी. राज्य में नकली बीजों की समस्या की क‍िसान श‍िकायत करते रहे हैं. अब इस धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के ल‍िए कृष‍ि व‍िभाग ने टोल फ्री नंबर (9403229991 ) जारी क‍िया है. इस नंबर पर किसान कृषि संबंधी शिकायतें कर सकते हैं.

टोल फ्री नंबर पर म‍िलने वाली पूरी समस्या को राज्य स्तर पर रज‍िस्टर्ड क‍िया जाएगा. इसके बाद जिला स्तर पर सूचना दी जायेगी. इससे शिकायत की हकीकत जानी जा सके. इसकी पड़ताल करने की जिम्मेदारी कृषि विभाग पर होगी. इससे ग्रामीण स्तर पर होने वाली गड़बड़ियों को तुरंत सुलझाने में मदद मिलेगी. यह टोल फ्री नंबर किसानों के लिए मददगार हो सकता है. टोल फ्री नंबर से कृषि विभाग को धोखाधड़ी के बारे में शीघ्र जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी. साथ ही सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा. इससे यह टोल फ्री नंबर सभी के लिए उपयोगी माना जा रहा है.

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फर्जी बीटी और उर्वरक

जिले में फर्जी बीटी कपास के बीजों की बड़े पैमाने पर ब‍िक्री का अंदेशा है. ऐसा करने वालों पर कार्रवाई के ल‍िए एक छिपा हुआ रास्ता अपनाया जा है. टोल फ्री नंबर होने से किसान इस विषय पर गोपनीय जानकारी दे सकेंगे. इससे फर्जी बीटी कपास के बीजों और फर्जी उर्वरक व कीटनाशकों पर रोक लगेगी. क‍िसान इस समस्या से काफी परेशान हैं. अब इस चुनौती से न‍िपटने के ल‍िए कृष‍ि व‍िभाग ने नया फैसला ल‍िया है. 

इन जिलों में होती है सबसे ज्यादा खेती 

विदर्भ और मराठवाड़ा के पिछड़े इलाकों में सोयाबीन के बाद कपास सबसे लोकप्रिय फसल है, जिससे लाखों क‍िसानों की आजीविका चलती है. यहां के 115 तहसीलों को कपास उत्पादक क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया है. वहीं कपास उगाने वाली 115 तहसीलें राज्य के औरंगाबाद, जालना, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, बीड, बुलढाणा, अमरावती, नागपुर, अकोला, यवतमाल, वर्धा, चंद्रपुर, नासिक, धुले, नंदुरबार, जलगांव और अहमदनगर जिलों में हैं. महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक है.

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