उड़द और मूंग की फसलों में हानिकारक कीटों से समय रहते बचाव बेहद जरूरी है. फलीछेदक, माहू और सफेद मक्खी जैसे कीट भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. अगर इन कीटों से फसल को सुरक्षित रखने के लिए सही समय पर उचित उपाय नहीं किए जाएं तो भारी नुकसान हो सकता है. इन कीटों के प्रकोप से फसलों को कैसे बचाया जा सकता है, पौध सुरक्षा विशेषज्ञ ने सुझाव दिए हैं. आप भी पढ़िए.
गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है, जो देश के कई हिस्सों में उगाई जाती है. मॉनसून के मौसम में गन्ने की खेती के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, ताकि फसल अच्छी हो और पैदावार बढ़े. इसलिए जरूरी है कृषि वैज्ञानिकों के सुझावों को अपनाकर गन्ने की फसल को बरसात के मौसम में सुरक्षित और स्वस्थ रखें, जिससे गन्ने की पैदावार और फसल की गुणवत्ता दोनों बढ़ सके.
खाना बनाते समय ध्यान देने वाली बात है कि लोहे के बर्तन में किस तरह की सब्जियों को बनाया जा सकता है जो सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद हो. आज भी ज्यादातर लोग आयरन की कमी को दूर करने के लिए लोहे की कढ़ाई या पैन का इस्तेमाल भोजन बनाने में करते हैं. कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनको लोहे के बर्तन में बनाने से कई तरह की सेहत संबंधी परेशानी हो सकती है.
यूकेलिप्टस की खेती में लागत कम और मुनाफा काफी ज्यादा है. इसे उत्तर प्रदेश और बिहार में सफेदा भी बोला जाता है. यूकेलिप्टस का एक पेड़ तैयार होने के बाद लगभग 400 किलोग्राम लकड़ी मिलती है. बाजार में इस लकड़ी का मूल्य 7 रुपये प्रति किलो तक है. अगर एक हेक्टेयर में 3000 पेड़ को लगाया जाए तो इससे 6 से 7 साल में 72 लाख रुपये की कमाई हो सकती है.
बाजार में अलग-अलग आकार के पपीते इन दिनों बिकते हैं. लेकिन यह समझ नहीं आता है कि इन पपीतों को आखिर पेपर में ही क्यों लपेट के रखा जाता है. कुछ दुकानदार पपीते को अच्छी तरीके से पकाने के लिए रखते हैं जबकि कुछ का कहना है कि इस तरीके से पपीता ज्यादा समय तक खराब नहीं होता है जबकि वैज्ञानिकों का कुछ और ही मानना है.
बाराबंकी के सतरिख क्षेत्र में किसानों के बीच यह तकनीक तेज तेजी से मशहूर हो रही है. दो गांव में बायोफ्लोक तकनीक की मदद से किसान मछली पालन कर रहे हैं. एक टैंक में करीब 35 से 40 हजार रुपये की लागत आती है और इससे 4 महीने में ही लागत का पैसा डेढ़ से दोगुना तक मिल जाता है.
मिल्की मशरूम की खेती के लिए तापमान 35 से 40 डिग्री तक होना चाहिए. दूधिया मशरूम की खेती को आसानी से कमरे में भी किया जा सकता है. ऊंचे तापमान में मशरूम की यह किस्म अच्छी पैदावार देती है. इस खेती से किसान लागत से 10 गुना तक मुनाफा कमा सकते हैं.
पशुपालक दुधारू पशुओं को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन देकर दूध निकल रहे हैं तो वहीं किसान तरबूज लौकी बैगन जैसी सब्जियों की लंबाई बढ़ाने में इसका डोज बढ़ा रहे हैं. इस इंजेक्शन के लगने के बाद सब्जियों का आकर रातों-रात दो गुना हो जाता है. यही नहीं उनका वजन भी कुछ घंटे में ही बढ़ जाता है.
अयोध्या जनपद में एक ऐसा किसान है जिससे फसल तकनीक को सीखने के लिए वैज्ञानिक भी आते हैं. जनपद के सुहावल ब्लॉक के मकसुमपुर गांव के रहने वाले शोभाराम एक साथ खेत में पूरे साल भर की फसलों का मॉडल तैयार कर देते हैं जिससे कि उनके खेत से लगातार पूरे साल तक उत्पादन मिलता रहता है.
तेजी से बढ़ती गर्मी के कारण दिन के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. धूप भी अब तेज चटक होने लगी है जिसके कारण आंखों में जलन, चुभन और दर्द की समस्या बढ़ रही है. इन दिनों अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है. चिकित्सक भी मरीज को खान-पान का विशेष ध्यान रखने की सलाह दे रहे हैं.
हालिया शोध के मुताबिक आरओ की मदद से भले ही पानी शुद्ध हो जाता हो, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपकी सेहत को फायदा पहुंचाने वाले कई सारे जरूरी तत्व भी पानी से बाहर हो जाते हैं. इसकी वजह से आरओ से साफ किया हुआ पानी आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है.
पीपल और बरगद की तरह गूलर के पेड़ के हर भाग का अपना एक विशेष आयुर्वेदिक महत्व है. यहां तक कि पेड़ की लकड़ी को भी शुभ माना गया है. इसलिए धार्मिक कार्यों में गुलर की लकड़ी की पूजा होती है. गूलर को संस्कृत में उदुम्बर कहते हैं. इसके तने, पत्तों से लेकर फल और दूध के अपने अलग फायदे हैं.
अलीगढ़ के टप्पल का उटासनी संविलियन विद्यालय ऐसा है जहां के शिक्षकों ने कमाल कर दिया है. विद्यालय के पौन बीघा बंजर जमीन को पहले उपजाऊ बनाया फिर उसमें अब जैविक तरीके से 12 क्विंटल आलू उगाकर एक रिकॉर्ड बनाने का काम किया है.
उन्नाव जनपद में मक्के की फसल में तना छेदक कीट का हमला हुआ है. यहां के किसान अब बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं. जनपद में किसानों ने अगेती की मक्का की फसल लगाई है. अच्छे मूल्य के चलते जिले में अब बड़े पैमाने पर मक्के की खेती कर रहे हैं
अलीगढ़ जनपद के रहने वाले ऐसे ही एक युवा सतीश तोमर ने कोरोना काल के दौरान अच्छी खासी फार्मा की नौकरी को छोड़कर अपनी परंपरागत जमीन पर जैविक खेती शुरू की. आज वह कांट्रैक्ट फार्मिंग की मदद से 25 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अलग-अलग तरह की फसलों का उत्पादन कर रहे हैं.
मैनपुरी की रहने वाली एक महिला ने अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के बल पर कश्मीर के केसर को अपने घर में न सिर्फ उगाया बल्कि इससे महिलाओं को रोजगार भी दिया. शुभा भटनागर ने अपनी बहू मंजरी भटनागर के साथ मिलकर केसर की खेती के लिए ट्रेनिंग ली और फिर तकनीक की मदद से एक हॉल में केसर उगाने में सफलता प्राप्त की.
होली रंगों का त्यौहार है. ऐसे में रंग, अबीर और गुलाल के बिना इस त्यौहार की रौनक फीकी रहती है. लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली की बधाई देते हैं. बाजार में जहां एक तरफ हर्बल रंग और गुलाल उपलब्ध है वही सिंथेटिक रंगों की भरमार है . सिंथेटिक रंग भले ही आकर्षक लगते हैं लेकिन इनके प्रयोग से त्वचा में एलर्जी होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में चिकित्सकों का कहना है कि हर्बल रंगों से होली मनाये और सिंथेटिक रंगों से दूर रहे.
यूपी सहित देश के तमाम उत्तरी राज्यों में गेहूं की फसल पकने वाली है. ऐसे में कटाई के लिए फसल तैयार होने से पहले यूपी में योगी सरकार ने किसानों को Stubble Burning से रोकने के लिए खास जागरूकता मुहिम शुरू की है. इसमें किसानों से कहा जा रहा है कि यदि वे पराली जलाते हैं तो, अपनी किस्मत खाक करेंगे.
बैंगन की फसलों में फल और तना छेदक कीट किसानों के लिए बड़ी चुनौती हैं. इसके रोकथाम के लिए किसान भारी मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल नहीं है. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान मिर्जापुर के नक्कूपुर गांव में बैंगन के फल और तना छेदक कीडे़ को जैविक तरीके से खत्म करने पर काम कर रहा है.
पार्सले ऐसी ही एक सब्जी है जो काफी हद तक धनिया जैसी दिखती है. इसका इस्तेमाल सलाद, सब्जी, करी और सूप बनाने में किया जाता है. बाजार में इसकी अच्छी मांग है. इसके कई औषधीय फायदे भी हैं. पार्सले में एंटीऑक्सीडेंट, खनिज, विटामिन ,कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
मसालों का उपयोग ज्यादातर लोग रसोई में बनने वाले जायकों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है. मसालों खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ते हैं बल्कि सेहत से जुड़ी हुई कई बीमारियों के लिए भी यह फायदेमंद होते हैं. सही मात्रा में मसाले के सेवन से कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान के द्वारा 10 ऐसे ही मसालों पर विशेष तौर पर काम किया जाता है. मसाले के उत्पादन के साथ-साथ उनके स्वाद ,फ्लेवर और उनके आयुर्वेदिक महत्व पर भी संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा विशेष तौर पर काम किया जाता है
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