उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय में सरकार के निर्देश पर किचन गार्डन बनाए गए हैं. बीते 7 सालों से ज्यादातर स्कूलों के किचन गार्डन शोपीस बने हुए हैं. इनमें ना कोई सब्जियां उगाई जाती हैं, न ही औषधीय पौधे. जबकि सरकार का यह उद्देश्य था कि किचन गार्डन के माध्यम से पौष्टिक सब्जियों का प्रयोग मिड डे मील में किया जाए. अलीगढ़ के टप्पल में उटासानी संविलियन विद्यालय है जहां के शिक्षकों ने कमाल कर दिया है. विद्यालय के पौन बीघा बंजर जमीन को पहले उपजाऊ बनाया फिर उसमें अब जैविक तरीके से 12 क्विंटल आलू उगाकर एक रिकॉर्ड बनाया है. स्कूल के इस किचन गार्डन में बैंगन, हरी प्याज, हरी मिर्च, लहसुन, धनिया को सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है. अलीगढ़ के जिलाधिकारी भी इस स्कूल के शिक्षकों की खुलकर तारीफ कर रहे हैं.
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अलीगढ़ के टप्पल ब्लॉक के उटासनी संविलियन विद्यालय के शिक्षक न सिर्फ अपने छात्रों को पढ़ाई में आगे ले जा रहे हैं बल्कि यहां की बंजर जमीन को भी वे उपजाऊ बना रहे हैं. विद्यालय के पौन बीघा बंजर जमीन को शिक्षकों ने अपनी मेहनत से न सिर्फ उपजाऊ बनाया बल्कि इसमें इस साल 12 क्विंटल जैविक तरीके से आलू भी पैदा कर दिखाया. शिक्षकों की इस मेहनत को देखकर अब पूरे प्रदेश में इस स्कूल की चर्चा है. शिक्षकों के काम की तारीफ अब डीएम, सीडीओ और बेसिक शिक्षा अधिकारी भी अब खुलकर कर रहे हैं. स्कूल के किचन गार्डन में जैविक खाद की मदद से उग रही सब्जियों को मिड डे मील में प्रयोग किया जाता है, जबकि आलू को सब्जी और तहरी में प्रयोग किया जा रहा है. बाकी बचे हुए आलू को सेट भंडारण गृह में रखा गया है ताकि साल भर इसका प्रयोग छात्रों के हित में किया जा सके.
अलीगढ़ के उठासानी संविलियन विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवदत्त शर्मा का कहना है कि स्कूल के खेत में उगाई गई सब्जियों को मिड डे मील के भोजन में खिलाया जाता है. फसल में हर साल करीब 20000 रुपये की लागत आती है. इस काम में 15000 रुपये का खर्च मैं स्वयं वहन करता हूं. इसके अलावा 5000 दूसरे शिक्षक देते हैं. शिक्षण कार्य खत्म होने के बाद सब मिलजुल कर खेती करते हैं. इसमें छात्रों को भी सीखने का मौका मिलता है.
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