खरीफ दलहन फसलों में मुख्य रूप से उड़द और मूंग की खेती की जाती है. इस खरीफ सीजन में अब तक 63 लाख हेक्टेयर में उड़द और मूंग की बुवाई की जा चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में 3 लाख हेक्टेयर अधिक है. हालांकि, अच्छी पैदावार के लिए इन फसलों को कीट और रोगों से बचाना जरूरी है. इस खरीफ सीजन में उड़द और मूंग की फसल में फली छेदक, माहू और सफेद मक्खी जैसे कीट भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसकी वजह से फसल उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है. इसलिए, फसल की सुरक्षा के लिए इन कीटों की पहचान कर सही उपायों को अपनाना जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज, बिहार के प्रमुख और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह ने इन कीटों की पहचान और नियंत्रण के लिए कम खर्च और पर्यावरण-अनुकूल उपाय सुझाए हैं, जिससे किसान उड़द मूंग की फसल को इन हानिकारक कीटों से बचा सकें.
पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह ने कहा कि फली छेदक कीट की सुंडियां उड़द और मूंग की पत्तियों को खाती हैं और फलियों को भेदकर उनके अंदर के दानों को खा जाती हैं. इससे फसल को भारी नुकसान होता है. फली छेदक कीट की निगरानी के लिए प्रति हेक्टेयर 5 फेरोमोन ट्रैप लगाने चाहिए. इसके अलावा, टी आकार की 60-70 डंडियां प्रति हेक्टेयर लगानी चाहिए, जिससे पक्षी इन कीटों को खा सकें.
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नीम आधारित उत्पादों जैसे नीम बाण, नीम गोल्ड, अचूक, निमिन आदि का 3-4 मिली/लीटर पानी या नीम बीज सत का 5 मिली/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. फसल में गंभीर प्रकोप की स्थिति में 2-3 छिड़काव इण्डोक्साकार्ब 15.8% ई.सी या स्पाइनोसैड 45% एस.पी. केमिकल दवा 1 मिली के साथ 2 लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. फसल को इस कीट से सुरक्षित रखने के लिए, पहला छिड़काव तब करें जब फसल में 50 फीसदी फूल आ जाएं. दूसरा छिड़काव तब करें जब फसल में 50 फीसदी फलियां बन जाएं.
पौध सुरक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, उड़द और मूंग की फसल को माहू कीट के शिशु और प्रौढ़ पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और फूल झड़ जाते हैं. इससे फलियों की संख्या में कमी आ जाती है. नीम आधारित 3-4 मिली दवा को प्रति लीटर पानी या नीम बीज सत से बनी 5 मिली दवा को प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें माहू की गंभीर प्रकोप की स्थिति में रासायनिक दवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. का 3 मिली दवा को 10 लीटर पानी की दर से मिलकार छिड़काव करें.
डॉ.आर.पी. सिंह ने बताया कि सफेद मक्खी कीट फसल को नुकसान के साथ खतरनाक रोग पीला मोजैक रोग भी फैलाता है. सफेद मक्खी कीट उड़द और मूंग की फसल की पत्तियों और कोमल तनों से रस चूसते हैं, जिससे पीला मोजैक रोग फैलता है और पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं. साथ ही, मधुस्राव के कारण काली फफूंद उग आती है, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है. अगर जैविक नियंत्रण करना है तो नीम आधारित उत्पादों की 3-4 मिली दवा प्रति लीटर पानी या नीम बीज सत का 5 मिली दवा को प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.
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फसल पर सफेद मक्खी कीट के गंभीर प्रकोप का रासायनिक नियंत्रण करना है तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. की 3 मिली दवा को 10 लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करें. इस तरह इन उपायों को अपनाकर उड़द और मूंग की फसल को कीटों से बचा सकते हैं और बेहतर उपज प्राप्त कर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
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