भारत में वैसे तो कृषि के क्षेत्र में ढेर सारी संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन कुछ ऐसी खेती भी है जिनके माध्यम से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा कर अमीर बन सकते हैं. यूकेलिप्टस (सफेदा) की खेती में लागत कम और मुनाफा काफी ज्यादा है. इसे उत्तर प्रदेश और बिहार में सफेदा भी बोला जाता है. मुख्यतः ऑस्ट्रेलिया प्रजाति का पेड़ है. इसकी खेती से यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर की जाती है.
यूकेलिप्टस का एक पौधा 3 से लेकर 5 रुपये में मिलता है. वही इस पौधे को पूरी तरीके से तैयार होने में 5 से 8 वर्ष का समय लगता है. इसकी खेती से किसान बड़ी जल्दी अमीर बन सकते हैं. इसे पैसों का पेड़ भी कहा जाता है. इसके लिए कोई खास जलवायु की जरूरत भी नहीं पड़ती है. इन्हें कहीं भी उगाया जा सकता है. एक पेड़ से लगभग 400 किलो लकड़ी मिलती है जिसका बाजार मूल्य 30000 रुपये तक होता है. इस तरह आप समझ सकते हैं कि कम समय में लागत से सौ गुना तक यूकेलिप्टस की खेती से मुनाफा कमाया जा सकता है.
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यूकेलिप्टस का इस्तेमाल वर्तमान में प्लाईवुड उद्योग में सबसे ज्यादा किया जा रहा है. इसके साथ ही फर्नीचर, फलों की पेटियां, ईंधन के रूप में किया जाता है. यह पेड़ 5-7 साल में तैयार होने लगता है. यूकेलिप्टस के एक पेड़ से तैयार होने के बाद लगभग 400 किलोग्राम लकड़ी मिलती है. बाजार में इस लकड़ी का मूल्य 7 रुपये प्रति किलो तक है. अगर एक हेक्टेयर में 3000 पेड़ को लगाया जाए तो इससे 6 से 7 साल में 72 लाख रुपये की कमाई हो सकती है. कुछ लोग एक हेक्टेयर में 4000 पेड़ तक लगा देते हैं जिससे उनकी कमाई एक करोड़ रुपये तक हो सकती है.
यूकेलिप्टस या (सफेदा) की खेती करना बहुत ही आसान है. नर्सरी तैयार करने के बाद इसे जुलाई-अगस्त में खेतों में लगाया जाता है. इस पेड़ के पत्ते से लेकर जड़ की डिमांड भी खूब रहती है. आमतौर पर एक पेड़ की ऊंचाई 80 मीटर तक होती है. वही एक पेड़ से दूसरे पेड़ के बीच में डेढ़ मीटर की दूरी रखने की सलाह दी जाती है. 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में यूकेलिप्टस के 3000 पौधे लगाए जा सकते हैं. वैसे तो यूकेलिप्टस की कुल 6 प्रजातियां भारत में उगाई जाती हैं. सफेदा को उगाने में कोई खास लागत नहीं आती है. इसके लिए काली, बलुई, दोमट और रेतीली, ऊसर और बंजर सभी तरह की मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.
देश के भीतर यूकेलिप्टस (सफेदा) की डिमांड लगातार बढ़ रही है. बढ़ती हुई जनसंख्या और उनके लिए तैयार हो रहे घरों में फर्नीचर के साथ-साथ प्लाईवुड की डिमांड बढ़ रही है. देश में 2500 से ज्यादा प्लाईवुड की फैक्ट्री चल रही है. यूपी में बिजनौर में कुल 15 प्लाईवुड की फैक्ट्रियां हैं जहां पर हजारों क्विंटल लकड़ी की खरीद होती है. इन फैक्ट्रियों से प्लाईवुड बोर्ड और दरवाजा को तैयार किया जाता है.
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