ऑक्सीटोसिन एक हार्मोन है जिसका उपयोग गर्भवती महिलाओं के लिए किया जाता है. फिलहाल ऑक्सीटोसिन के बिना पर्ची के बिक्री पर रोक है इसके बावजूद मेडिकल की दुकानों से बिक्री जारी है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ऑक्सीटोसिन के धड़ल्ले से बढ़ते उपयोग से चिकित्सा चिंतित है. पशुपालक दुधारू पशुओं को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन देकर दूध निकाल रहे हैं तो वहीं किसान तरबूज ,लौकी, बैगन जैसी सब्जियों की लंबाई बढ़ाने में इसका डोज बढ़ा रहे हैं. इस इंजेक्शन के लगने के बाद सब्जियों का आकार रातों-रात दो गुना हो जाता है. यही उनका वजन भी कुछ घंटे में ही बढ़ जाता है. चिकित्सकों के अनुसार ऑक्सीटोसिन के सब्जी और दुधारू पशुओं के लिए हो रहे उपयोग से सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. बिना डॉक्टर की पर्ची पर इसकी बिक्री करना पूरी तरीके से गलत है.
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किसानों के द्वारा इन सब्जियों की लंबाई और वजन बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. शादियों के सीजन में लौकी ,तोरई , कद्दू और तरबूज की भरी मांग है लेकिन गर्मी के चलते इनका उत्पादन सीमित है. ऐसे में किस ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग करके कम समय में ज्यादा सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. सेहत के लिए फायदा पहुंचाने वाली हरी सब्जियां ऑक्सीटोसिन की डोज के चलते नुकसान पहुंचा रही हैं. इंजेक्शन लगने के कुछ घंटे में ही इन सब्जियों के आकार व वजन बढ़ने लगते हैं और चमक भी बढ़ जाती है. सब्जी उत्पादन के इस खेल में लोगों की सेहत फेल होने लगी है. कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लालच में किसान ऑक्सीटोसिन का प्रयोग करके आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं.
ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहा है. 20 से 22 रुपए एक इंजेक्शन की कीमत है लेकिन नियमों को दरकिनार कर मेडिकल स्टोर संचालकों के द्वारा इस इंजेक्शन की खुलेआम बिक्री हो रही है. ड्रग इंस्पेक्टर दीपक पांडे का कहना है कि ऑक्सीटोसिन एक हार्मोन है. इसे लव हार्मोन भी कहते हैं. सामाजिक संबंध , शिशु के जन्म और महिलाओं को होने वाली कई समस्याओं में ऑक्सीटोसिन की डोज दी जाती है. बिना डॉक्टर की पर्ची की बेचना बिल्कुल गलत है. अगर दुकानदार ऐसा कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. इसके लगातार बढ़ते उपयोग से कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है. डॉ अल्पना रानी का कहना है कि प्रीमेच्योर डिलीवरी के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है. शरीर में वैसे ऑक्सीटोसिन की जरूरत नहीं होती है लेकिन अगर इसका प्रयोग किया जाता है तो इसके कई सारे दुष्प्रभाव हैं. ऑक्सीटोसिन के उपयोग से पैदा होने वाले दूध के सेवन से बच्चों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा. हार्मोन बढ़ने से कम उम्र में ही बच्चे बड़े लगने लगे हैं.
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