भिंडी पर सफेद मक्खी और वायरस का हो सकता है अटैक, बचाव में अपनाएं ये 4 उपाय

भिंडी पर सफेद मक्खी और वायरस का हो सकता है अटैक, बचाव में अपनाएं ये 4 उपाय

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सफेद मक्‍खी के वायरस को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. ऐसे में इन्‍हें रोकने के लिए ऑर्गेनिक ट्रीटमेंट पर यकीन करना बेहतर रहेगा. उनका कहना है कि सफेद मक्‍खी के प्रकोप की शुरुआत में कीटनाशक का प्रयोग प्रभावशाली रहता है. लेकिन धीरे-धीरे सफेद मक्‍खी में हर कीटनाशक के लिए इम्‍युनिटी डेवलप हो जाती है.

Advertisement
भिंडी पर सफेद मक्खी और वायरस का हो सकता है अटैक, बचाव में अपनाएं ये 4 उपायसफेद मक्‍खी की वजह से हो जाती है पूरी फसल चौपट

भिंडी न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में बड़े ही चाव से खाई जाने वाली स‍ब्‍जी है. इसे कुछ देशों में लेडी फिंगर तो कुछ देशों में ओकरा के नाम से भी जाना जाता है. भिंडी स्‍वादिष्‍ट होने के अलावा कई तरह के पौष्टि तत्‍वों से भी भरपूर है.  भिंडी में मुख्‍य तौर पर कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन के साथ कई मिनिरल्‍स जैसे फॉस्‍फोरस, कैल्शियम, विटामिन-ए, रिबोफ्रलेविन और थाइमीन पाए जाते हैं. कई विशेषज्ञों की मानें तो भिंडी की फलियों में आयोडीन और आयरन भरपूर मात्रा में मिलता है. इसकी खेती देश के लगभग हर हिस्से में प्रमुखता से की जाती है जिसमें हरी भिंडी के साथ लाल भिंडी का भी रोल है. हालांकि भिंडी की खेती में किसानों को सबसे अधिक सफेद मक्खी और उसके वायरस से सावधान रहना पड़ता है क्योंकि इससे फसल का भारी नुकसान होता है. तो आइए जानते हैं क्या है ये सफेद मक्खी कीट जो भिंडी को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाता है.

50 फीसदी तक फसल का नुकसान 

किसान भिंडी पर लगने वाली सफेद मक्‍खी से काफी परेशान रहते हैं. ये मक्‍खी अक्‍सर भिंडी की फसल को चौपट कर देती है.  कृषि विशेषज्ञों के अनुसार भिंडी पर लगने वाली सफेद मक्खियां एलेरोडिडे परिवार से जुड़ी होती हैं और ये रस-चूसने वाले कीड़े हैं. सफेद मक्‍खी आमतौर पर सफेद या हल्के पीले रंग की नजर आती हैं और उनके चार पंख ढंके हुए होते हैं.

यह भी पढ़ें-A1-A2 Ghee Ban: अब बाजार में A1 और A2 के नाम से नहीं बिकेगा घी-मक्खन 

सफेद मक्‍खी गर्मी के मौसम में बहुत ज्‍यादा एक्टिव होती है और पत्तियों के नीचे की तरफ इकट्ठा होती है. सफेद मक्खियां पौधे का रस चूस लेती है और इस वजह से पौधा कमजोर हो जाता है. सफेद मक्‍खी की वजह से किसानों को भिंडी की फसल में 10 फीसदी से 50 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है. 

यह भी पढ़ें-महाराष्‍ट्र के लातूर में बढ़ी अंगूर की बागवानी, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से खेती कर रहे हैं 30 गांवों के किसान 

कैसे रोकें सफेद मक्‍खी का प्रकोप 

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सफेद मक्‍खी के वायरस को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. ऐसे में इन्‍हें रोकने के लिए ऑर्गेनिक ट्रीटमेंट पर यकीन करना बेहतर रहेगा. उनका कहना है कि सफेद मक्‍खी के प्रकोप की शुरुआत में कीटनाशक का प्रयोग प्रभावशाली रहता है. लेकिन धीरे-धीरे सफेद मक्‍खी में हर कीटनाशक के लिए इम्‍युनिटी डेवलप हो जाती है.

यह भी पढ़ें-UP News: खेती में ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरों के बीच ऐसे हो रहा बदलाव, किसानों की बढ़ेगी आमदनी

आज हम आपको ऐसे 4 उपायों के बारे में बताते हैं जिन्‍हें अपनाकर आप अपने किचन गार्डन या फिर बगीचे में लगे भिंडी के पौधे को सफेद मक्‍खी के प्रकोप से बचा सकते हैं. 

  • सफेद मक्‍खी को खत्‍म करने के लिए एसेटेमीप्रिड 20 एसपी केमिकल का 40 ग्राम प्रति हेक्‍टेयर के दो छिड़काव इसके वायरस को कम करने में कारगर हो सकते हैं. साथ ही खेत को हमेशा खरपतवार से मुक्‍त रखना जरूरी है. 
  • भिंडी में फूल आने से पहले और  फूल आने के बाद मैलाथियान 50 ईसी एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने से रोग के प्रकोप को कम किया जा सकता है. 
  • डायमेथेएट 2 मिलीलीटर/लीटर या नीम ऑयल 5 मिलीलीटर/लीटर या एसिटामिप्रीड 2 ग्राम /लीटर दवा को पानी में मिलाकर छिड़काव करें. साथ ही जरूरत पड़ने पर 10 दिनों के अंतराल पर 4 से 5 बार छिड़काव करना चाहिए. 
  • साइपरमेथ्रिन या डेल्टामेथ्रिन का छिड़काव इस रोग के प्रकोप को कम करने के लिए न करें क्योंकि इसके प्रयोग से रोग बढ़ता है. 

 

POST A COMMENT