अगस्त का महीना आ चुका है ऐसे में लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई पूरी हो चुकी है. वहीं, कुछ राज्य के किसान अभी भी धान की पछेती किस्मों की खेती कर रहे हैं. लेकिन कई बार किसान रोपाई के समय और कुछ हफ्तों बाद फसल में अधिक सिंचाई कर देते हैं, जिससे खेत में ज्यादा नमी होने से कई बीमारियों के लगने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में कृषि एक्सपर्ट कि मानें तो जो किसान परंपरागत तरीके से धान की खेती करते हैं, उनके लिए यह जानना बेहद जरूरी होता है कि रोपाई और उसके बाद धान की फसल में कब और कितना पानी देना चाहिए. आइए जानते हैं.
धान की रोपाई के 20 से 25 दिन के बाद धान के पौधे में कल्ले निकलने लगते हैं. उस समय खेत में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है, लेकिन इस समय ये भी ध्यान रखना चाहिए कि खेत में नमी बनी रहे. अगर समय पर बारिश ना हो तो खेत में सिंचाई कर दें. नहीं तो इस स्थिति में खेत में दरारें पड़ सकती हैं. जिससे धान के पौधों की ग्रोथ पर असर पड़ता है और उत्पादन प्रभावित होता है.
धान के पौधों में बाली निकलने की अवस्था में सिंचाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है, क्योंकि बाली निकलने के बाद दूध से दाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. उस समय खेत में 3 से 5 सेंटीमीटर तक पानी भरें. दरअसल, इस समय पौधे को पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है.
धान की फसल में ज्यादा पानी भरने से पौधे रोग के चपेट में आ जाते हैं. वहीं, खेतों में अधिक दिनों तक पानी भरे रहने की वजह से गर्मी में पानी का तापमान बढ़ता है. जिसका सीधा असर धान के पौधों की जड़ों पर पड़ता है. ऐसे में धान के पौधे ऑक्सीजन भी नहीं ले पाते हैं, जिसके बाद जड़ें काली और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. ऐसे लक्षण होने के बाद धान के पौधे कमजोर हो जाते हैं. इस तरह कब और कैसे पानी देना है ये जानकर आप पानी की खपत को भी कम कर सकते हैं.
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