धान की रोपाई एक महत्वपूर्ण चरण होता है लेकिन असली खेती की शुरुआत इसके बाद होती है. अगर किसान रोपाई के बाद कुछ जरूरी कामों को सही समय पर कर लें, तो न सिर्फ फसल की पैदावार बढ़ती है बल्कि बीमारियों और कीटों से भी बचाव होता है. कृषि विशेषज्ञों की तरफ से किसानों को वो 6 अहम बातें बताई गई हैं जो धान की फसल के लिए फायदेमंद हो सकती है. इन छह बातों का ध्यान रखकर किसान बेहतर उपज पा सकते हैं और नुकसान को कम कर सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक फसल प्रबंधन में थोड़ी सी सावधानी, पूरे सीजन में बड़ा फायदा दे सकती है.
धान के किसानों को हर हाल में नीचे बताए गए इन 6 कामों को करना चाहिए:
धान एक बहुत पानी मांगने वाली फसल है, लेकिन रोपाई के तुरंत बाद खेत में पानी भरने की गलती न करें. रोपाई के 2-3 दिन बाद पहली सिंचाई करें, ताकि पौधे जमीन में अच्छी तरह जम जाएं. इसके बाद खेत में लगभग 5 से 7 सेमी. पानी बनाए रखें.
धान की फसल में अगर समय रहते खरपतवार को नहीं हटाया गया, तो ये पोषक तत्वों की प्रतिस्पर्धा कर फसल की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं. रोपाई के 15-20 दिन बाद पहली बार और फिर 30-35 दिन बाद दूसरी बार निराई करना चाहिए. चाहें तो अनुशंसित खरपतवारनाशी दवाओं का भी प्रयोग किया जा सकता है.
धान की अच्छी बढ़वार के लिए नाइट्रोजन जरूरी होता है. रोपाई के 20-25 दिन बाद पहली टॉप ड्रेसिंग करें और फिर दूसरी बार रोपाई के 40-45 दिन बाद. यह फसल को हरा-भरा बनाए रखने में मदद करता है.
धान की फसल को गंधी कीट, तना छेदक, पत्ती लपेटक जैसे रोगों से खतरा होता है. इसके लिए नियमित निरीक्षण जरूरी है. जरूरत पड़ने पर जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करें.
हर समय खेत में बहुत अधिक या बहुत कम पानी नुकसानदायक हो सकता है. फसल की वृद्धि अवस्था के अनुसार जल स्तर को नियंत्रित करें. फूल निकलने और दाना बनने के समय पानी की ज़रूरत ज्यादा होती है.
अगर रोपाई करते समय पौधों की दूरी सही नहीं रखी गई, तो रोपाई के बाद कुछ पौधों को री-अरेंज करें. इससे रोशनी और हवा का वेंटीलेशन अच्छा होगा और रोगों की संभावना कम होती है.
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