खासतौर पर ई-कॉमर्स प्लेटफार्म और सोशल मीडिया पर A2 के नाम से घी-मक्खन बेचने की बाढ़ सी आ गई है. ऐसे लोग दावा करते हैं कि ये देसी गाय के A2 दूध से बना है. और ऐसे घी के रेट की बात करें तो कोई दो हजार रुपये किलो बेच रहा है तो कोई तीन हजार रुपये किलो. घी ही नहीं और भी डेयरी प्रोडक्ट A2 दूध से बने होने का दावा करते हुए बेचे जा रहे हैं. लेकिन 21 अगस्त को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने इस पर रोक लगा दी है. एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इनोशी शर्मा ने एक पत्र जारी किया है.
उसका कहना है कि हमे लगातार ये जानकारी मिल रही थी कि कई फूड बिजनेस ऑपरेटर FSSAI लाइसेंस संख्या या पंजीकरण प्रमाणपत्र संख्या के तहत A1 और A2 के नाम से दूध और दूध से बने प्रोडक्ट घी, मक्खन, दही आदि की बिक्री कर रहे हैं. जबकि A1 और A2 दूध का संबंध प्रोटीन (बीटा कैसिन) से है. इसलिए, दूध और फैट उत्पादों पर किसी भी A2 दावे का इस्तेमाल भ्रामक (गलत) है. ये FSS अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए रेग्यूलेशन के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप नहीं है.
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FSSAI ने पत्र जारी करते हुए सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर को आगाह किया है कि अब दूध और दूध से बने प्रोडक्ट को A1-A2 का फर्क करते हुए नहीं बेचा जाएगा. इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. लेकिन फूड बिजनेस ऑपरेटर के पास प्री-प्रिंटेड लेबल को खत्म करने के लिए छह महीने का वक्त दिया गया है. लेकिन साथ ही ये भी कहा गया है कि इसके बाद ऑपरेटर को कोई और वक्त नहीं दिया जाएगा. साथ ही उन्हें ये चेतावनी भी दी है कि वे अपनी बेवसाइट से A1 और A2 प्रोटीन से संबंधित सभी दावों को फौरन हटा लें.
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डेयरी एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोंसले ने किसान तक को बताया कि गाय और भैंस के दूध में मौजूद प्रोटीन में कुछ हिस्सा बीटा केसिन होता है. लेकिन ये भी दो तरह का होता है. इसे सामान्य भाषा में इस तरह समझ सकते हैं कि जो बीटा केसिन गाय के दूध में होता है वो आसानी से हजम (पच) हो जाता है. लेकिन भैंस का दूध हजम करने में कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है. और हजम होने वाला बीटा केसिन भी खासतौर पर देसी नस्ल की गाय जैसे साहीवाल, गिर, राठी आदि में ही पाया जाता है. गौरतलब रहे बीती 29 जुलाई को किसान तक ने डेयरी एक्सपर्ट के साथ हुए एक लाइव शो में A1 और A2 दूध और उससे बने प्रोडक्ट के बारे में जागरुक करने का काम किया था.
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