महाराष्‍ट्र के लातूर में बढ़ी अंगूर की बागवानी, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से खेती कर रहे हैं 30 गांवों के किसान 

महाराष्‍ट्र के लातूर में बढ़ी अंगूर की बागवानी, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से खेती कर रहे हैं 30 गांवों के किसान 

महाराष्‍ट्र के लातूर के औसा तालुका के किलारी इलाके से ट्रेना नदी गुजरती है. यहां पर बारिश की मात्रा कम होती जा रही है. तालुका में करीब 151 हेक्‍टेयर क्षेत्र में अंगूरों की खेती की जाती है. पिछले 30 से 35 सालों से यहां पर किसान लगातार अंगूर उगा रहे हैं. अंगूर की खेती ने यहां के किसानों की आर्थिक तरक्‍की में भी एक बड़ा रोल अदा किया है.

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महाराष्‍ट्र के लातूर में बढ़ी अंगूर की बागवानी, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से खेती कर रहे हैं 30 गांवों के किसान कैसे अंगूर की खेती से मालामाल हो रहे हैं मराठवाड़ा के किसान

महाराष्‍ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र अंगूर की खेती के लिए जाना जाता है. यहां का लातूर जिला अपने अंगूरों के लिए मशूहर है. लेकिन लातूर के तहत आने वाला औसा तालुका वह जगह है जहां पर अक्‍सर बारिश कम होती है और इसके बाद भी यहां पर अंगूर की खेती करने वाले किसान परेशान नहीं हैं. दरअसल औसा के किलारी इलाके में बसे किसानों ने पानी को किफायत से प्रयोग करके बारिश की कमी को भी खुद पर हावी नहीं होने दिया है. इन किसानों ने जिस तरीके से अपनी मुश्किलों को खत्‍म किया है, उसकी हर तरफ तारीफ तो हो ही रही है, साथ ही साथ अंगूर के बाग भी पूरी तरह से खिले गए हैं. 

कम बारिश के बाद भी फायदा 

वेबसाइट लोकमत एग्रो की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल इस तालुका से करीब एक हजार 520 मीट्रिक टन अंगूरों का निर्यात किया गया था. साथ ही यहां पर अंगूर की फसल भी काफी अच्‍छी हुई है. लातूर के औसा तालुका के किलारी इलाके से ट्रेना नदी गुजरती है. यहां पर बारिश की मात्रा कम होती जा रही है लेकिन फिर भी यहां के 30 गांव जिसमें किलारी, लामजाना, बोरगांव, भादा, येलोरी अहम हैं, वहां पर किसानों ने ऐसी मॉर्डन टेक्निक्‍स का प्रयोग किया है जिसने अंगूर के उत्‍पादन को बढ़ाने में मदद की है. तालुका में करीब 151 हेक्‍टेयर क्षेत्र में अंगूरों की खेती की जाती है. 

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100 कंटेनर्स गए यूरोप को 

पिछले 30 से 35 सालों से यहां पर किसान लगातार अंगूर उगा रहे हैं. पिछले कुछ सालों से प्राकृतिक आपदा, बढ़ती मजदूरी, कीमतों में गिरावट और बीमारियों की वजह से कुछ किसानों को अपने वाइनयार्ड्स नष्‍ट करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. लेकिन पिछले दो सालों में यहां पर कुछ बदलाव हुए हैं. पिछले साल 100 कंटेनर्स अंगूरों को यूरोपियन देशों को निर्यात किया गया था. किसानों को इसकी न केवल अच्‍छी कीमत मिली बल्कि इसे उनकी आर्थिक तरक्‍की में भी एक बड़ा रोल अदा किया है. 

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कौन-कौन सी खास किस्‍में 

औसा तालुका में अंगूरों की जिन वैरायटीज को उगाया जाता है उनमें थॉमसन, सरिता, डबल एस, मेरलॉट, क्‍लोन 2 खास हैं. इस जिले से अंगूरों के निर्यात का कुल 80 फीसदी हिस्‍सा औसा तालुका से ही निर्यात किया जाता है. यूरोपियन देशों में यहां के अंगूरों की सबसे ज्‍यादा मांग है और ऐसे में इनकी कीमतें भी काफी ज्‍यादा है. पिछले साल 134 किसानों ने अपना रजिस्‍ट्रेशन कराया और अंगूरों का निर्यात किया जाता है. साथ ही मानिक चमन और दूसरी तरह की किस्‍मों को चीन, बांग्‍लादेश और सऊदी अरब को निर्यात किया जाता है. अच्‍छा उत्‍पादन होने की स्थिति में करीब 50 फीसदी तक का फायदा किसानों को हो जाता है. 

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