सिर्फ बकरी पालने पर ध्यान देने से ही इनकम नहीं बढ़ेगी. बकरी पालन अच्छी तरह से करने के साथ यह भी जरूरी है कि बकरा हो या बकरी वो वक्त से अच्छे दाम पर बिक भी जाए. इसलिए यह जरूरी है कि बकरियों की मार्केटिंग भी हो. बाजार में बकरे-बकरियों की खूबियों को बताया जाए. बाजार में आप अच्छे बकरे बेच रहे हैं इसके लिए फार्म का प्रचार किया जाए. अब तो यह काम सोशल मीडिया पर फ्री में भी हो जाता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा भी इसकी ट्रेनिंग दे रहा है.
आपकी बकरी खूब मोटी-ताजी है, दूध भी खूब देती है. बच्चे भी साल में दो बार दे रही है और हर बार दो और तीन बच्चे दे रही है. इन खूबियों के साथ आपको अपनी बकरी का प्रचार सोशल मीडिया पर करना होगा. तभी कोई ग्राहक आप तक पहुंचेगा. वरना तो अपने अच्छे बकरे और बकरियों को बेचने के लिए भी आपको हाट के चक्कर लगाने होंगे.
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सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट एके दीक्षित ने किसान तक को बताया कि साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन करने के साथ ही यह भी जरूरी है कि आप उसके लिए अच्छा बाजार तलाशें. या फिर बकरे-बकरी के ग्राहकों को अपने फार्म तक लेकर आएं. क्योंकि आपसे 50-100 किमी दूर बैठे ग्राहक को नहीं पता कि आपके फार्म की क्या क्वालिटी है. और न ही आपका फार्म सड़क किनारे किसी दुकान-शोरुम की तरह से है कि आते-जाते किसी की भी निगाह उस पर जाएगी.
आज सोशल मीडिया के जमाने में अपने कारोबार का प्रचार करना बहुत ही आसान और फ्री का या यह कह लें कि ना के बराबर खर्च का है. आपको तो फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर बकरे और बकरी का फोटो डालकर दो-चार लाइन में उसकी खूबियों को लिखना है. फार्म की फोटो डालकर यह बताना है कि इस जगह बकरे और बकरियों का फार्म है. यहां बकरे-बकरी बिकते हैं. आज इस जरूरत को समझते हुए हम अपने संस्थान में ट्रेनिंग के लिए आने वाले किसान और पशुपालकों को भी यह सिखाते हैं.
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एके दीक्षित का कहना है कि अगर आप बकरा बेच रहे हैं तो उसकी खूबियां अलग होंगी और बकरी बेच रहे हैं तो उसकी अलग. जैसे बकरा बेचना है तो उसके बारे में आपको बताना होगा कि वो किस नस्ल का है. उसकी उम्र बतानी होगी. उसका वजन कितना है. प्योर नस्ल है तो वो बताना होगा, नहीं तो उसके मां-बाप के बारे में पूरी डिटेल शेयर करनी होगी.
अगर बाजार में ईद के लिए बकरे खरीदे जा रहे हैं तो आपको उसके दांत कितने हैं या भी बताना होगा. बकरा चोटिल नहीं है और न ही उसके पैर, कान, पूछ कहीं से भी कटे हैं. उसके सींग भी कहीं से नहीं टूटे हैं. कुल मिलाकर बकरे की खूबसूरती बयां करनी होगी. क्योंकि चोटिल और कहीं से कटे बकरे की कुर्बानी नहीं होती है.
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