सूअर-नीलगाय के आतंक को खत्म करेगी एक लाल साड़ी, एक्सपर्ट ने दी ये खास टिप्स

सूअर-नीलगाय के आतंक को खत्म करेगी एक लाल साड़ी, एक्सपर्ट ने दी ये खास टिप्स

तेलंगाना मिर्च उत्पादन में दूसरे स्थान पर है. साल  2023 में 2.78 लाख एकड़ से 5.32 लाख टन मिर्च का उत्पादन हुआ था. देश के मिर्च क्षेत्र में इसका हिस्सा 13.27 प्रतिशत और उत्पादन में 23.34 प्रतिशत है. हालांकि, पिछले साल उत्पादन में गिरावट देखी गई, क्योंकि ब्लैक थ्रिप्स ने फसल को लगातार नुकसान पहुंचाया. राज्य ने 2022 में 7.16 लाख टन उत्पादन किया.

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सूअर-नीलगाय के आतंक को खत्म करेगी एक लाल साड़ी, एक्सपर्ट ने दी ये खास टिप्सअब नीलगाय फसलों को नहीं कर पाएंगे बर्बाद. (सांकेतिक फोटो)

उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब सहित कई राज्यों में किसानों की शिकायत रहती है कि बुवाई करने के बाद जंगली मवेशी फसलों को बर्बाद कर देते हैं. इससे फसल की उपज प्रभावित होती है. वहीं, कई बार तो जंगली सूअर और नीलगाय इतने अधिक फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं कि किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे बिना बहुत अधिक खर्च किए साड़ी से ही अपनी फसल को इन जानवरों से बचा सकते हैं. क्योंकि साड़ी के डर से ये खेतों में कदम तक नहीं रखते हैं. खास बात यह है कि तेलंगाना में किसान साड़ी से अपनी फसलों की सुरक्षा भी कर रहे हैं. इन किसानों का कहना है कि लाल साड़ी की वजह से नीलगाय और जंगली सूअर खेतों में नहीं आते हैं.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले के अंदरूनी इलाकों से भारी संख्या में किसान अपनी मिर्च और अन्य फसलों को साड़ी की मदद से कीटों व जंगली जानवरों से सुरक्षा कर रहे हैं. अगर आप इन इलाकों से गुजरेंगे, तो खेतों में रंगीन साड़ियां बिछी हुई देखकर दंग रह जाएंगे. पहली नज़र में ऐसा लगता है कि कुछ धोबी साड़ियों को धोने के बाद उन्हें सुखा रहे हैं. लेकिन करीब से देखने पर कुछ और ही कहानी सामने आती है. दरअसल, साड़ियों के नीचे मिर्च की नर्सरी होती है.

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साड़ी से भागेंगे जंगली जानवर

प्रो. जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व अनुसंधान निदेशक डॉ. जगदीश ने कहा कि साड़ियों के इस्तेमाल ने जंगली सूअर जैसे जंगली जानवरों के हमलों को रोक दिया है. वे साड़ियों को देखकर खेत के अंदर आने से डरते हैं. उन्हें लगता है कि खेत का मालिक मौके पर मौजूद है. उन्होंने कहा कि हालांकि, किसानों को अलग-अलग रंगों की साड़ियों का उपयोग करना चाहिए. अगर सभी साड़ियां एक जैसी रहेंगी, तो जानवर डरते नहीं हैं. 

क्या कहते हैं किसान

वहीं, बीज किसान बोड्डुपल्ली नरसिम्हा राव ने बिजनेसलाइन को बताया कि तुरंत बोई गई मिर्च के लिए साड़ी एक कवर की तरह काम करती है. उन्होंने कहा कि अचानक बारिश होने से ऊपरी मिट्टी बह सकती है, जिससे किसान को फिर से मिर्च के बीज बोने पड़ेंगे. लेकिन साड़ी की वजह से भारी बारिश के बाद भी बीजों को नुकसान नहीं पहुंचता है. उन्होंने आंध्र प्रदेश-तेलंगाना सीमा पर वत्सवई  के पास मिर्च किसानों को दो एकड़ ज़मीन किराए पर दी है. हालांकि वे मिर्च किसान नहीं हैं, लेकिन राव मिर्च किसानों को अपनी नर्सरी उगाने के लिए अपनी ज़मीन किराए पर देते हैं. वे अपनी नर्सरी के एक हिस्से की देखभाल करते हैं और अपनी पसंद की मिर्च की किस्म के बीज लगाते हैं.

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