बदलती जलवायु में जमीन से अच्छी पैदावार लेने के लिए खेतों का समतल होना बहुत जरूरी है. जमीन की असमतलता, मिट्टी में नमी एवं पोषक तत्वों के वितरण को प्रभावित करती है, जिससे बीज के अंकुरण और फसल की उपज प्रभावित होती है. खेती लायक भूमि समतल होने से किसानों को काफी लाभ होगा. समतल भूमि पर खेती करने से खेती की लागत कम होने के साथ समय की भी बचत होती है. खेती लायक भूमि एक बार समतल हो जाने के बाद फसल बोने, उवर्रक व पानी देने आदि कार्यों में काफी लाभ मिलेगा. बिहार के पूर्वी चंपारण स्थित परसौनी कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ डॉ. आशीष राय ने किसानों को इस तकनीक का इस्तेमाल करने की सलाह दी है.
'किसान तक' से बातचीत में उन्होंने कहा कि खेती के अन्य आधुनिक मशीनों की तरह भूमि समतलीकरण के लिए भी लेजर लैंड लेवलर मशीनें आ चुकी हैं. यह परंपरागत विधियों से एकदम हटकर एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें लेजर में लगे किरणों के द्वारा लेवलर को अपने आप नियंत्रित करके भूमि को बराबर मात्रा में समतल कर देते हैं. यह खेती के लिए बड़े काम की तकनीक है.
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लेजर लैंड लेवलर मशीन में कई भाग होते हैं. इसमें लेजर ट्रांसमीटर, कंट्रोल रिसीवर, नियंत्रण इकाई, स्क्रैपर, हाइड्रोलिक नियंत्रण इकाई प्रमुख हैं. इस केवीके के एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग साइंटिस्ट अंशू गंगवार ने बताया कि इस यंत्र का प्रयोग करने से पहले यह ध्यान रखने की जरूरत है कि खेत की गहरी व बारीक जुताई कर ली जाए. खेत में 5 फीसदी नमी होनी चाहिए. खेत में खरपतवार वह फसल के अवशेष धान अथवा गेहूं का पुआल एवं घास आदि नहीं होना चाहिए. यह यंत्र 50-60 हॉर्स पावर के ट्रेक्टर की सहायता से चलता है. एक एकड़ भूमि को समतल बनाने के लिए लगभग दो से ढाई घंटे का समय लगता है. यदि भूमि काफी ऊबड़-खाबड़ है तो इससे अधिक समय भी लग जाता है.
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