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Explained: ऐसा क्या हुआ क‍ि MSP पर गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की घट गई संख्या?

Explained: ऐसा क्या हुआ क‍ि MSP पर गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की घट गई संख्या?

MSP: दो साल पहले 2021-22 में भारत ने गेहूं खरीदने का बनाया था र‍िकॉर्ड, 49 लाख के पार पहुंच गई थी इसकी एमएसपी का लाभ लेने वाले क‍िसानों की संख्या. वर्तमान खरीद सीजन में तो नहीं टूट पाएगा यह र‍िकॉर्ड. आख‍िर क्यों कम हो रही है सरकार को गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की संख्या. 

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क‍ितने क‍िसानों ने एमएसपी पर बेची फसल (Photo-Kisan Tak). क‍ितने क‍िसानों ने एमएसपी पर बेची फसल (Photo-Kisan Tak).

बफर स्टॉक के ल‍िए हो रही गेहूं की सरकारी खरीद भले ही इस बार पिछले साल से अच्छी है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं बेचने वाले किसानों की संख्या में ग‍िरावट देखी जा रही है. प‍िछले साल यानी रबी मार्केट‍िंग सीजन (RMS) 2022-23 के दौरान पूरे सत्र में स‍िर्फ 187.92 लाख मीट्र‍िक टन ही गेहूं खरीदा गया था. इतना गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की संख्या 17,83,192 थी. जबक‍ि, आरएमएस 2023-24 में इस साल 30 अप्रैल तक उससे कहीं अध‍िक 222.89 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद हो चुकी है और इसे बेचने वालों की संख्या प‍िछले साल से कम है. इस बार अब तक 17,24,203 क‍िसानों ने गेहूं की एमएसपी का फायदा उठाया है. 

मएसपी पर गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की संख्या 2021-22 में सबसे अध‍िक थी. उस साल भारत के इत‍िहास में सबसे ज्यादा 433.44 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी और बेचने वाले क‍िसानों की संख्या का भी र‍िकॉर्ड बना था. बेचने वालों की संख्या 49,19,891 तक पहुंच गई थी. उस साल ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से कम था और खरीद व्यवस्था अच्छी थी इसल‍िए यह र‍िकॉर्ड बना था. लेक‍िन 2022-23 में हीट वेव की वजह से उत्पादन में कमी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हुए ज्यादा एक्सपोर्ट ने गेहूं की सरकारी खरीद घटने का र‍िकॉर्ड बना द‍िया.

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क्या इसल‍िए घटी गेहूं बेचने वालों की संख्या?

मार्केट के जानकारों का कहना है क‍ि एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की संख्या इसल‍िए घट रही है क्योंक‍ि इस बार ज्यादातर क‍िसान अपना अच्छा गेहूं स्टोर कर रहे हैं. उन्हें लग रहा है क‍ि प‍िछले साल जैसा दाम म‍िलेगा. मई 2022 में बढ़ती घरेलू कीमतों को कंट्रोल करने से मकसद से सरकार ने गेहूं एक्सपोर्ट पर रोक लगाई थी. यह रोक अब भी जारी है. ऐसे में कुछ क‍िसानों को उम्मीद है क‍ि इस साल सरकार एक्सपोर्ट बैन हटा सकती है. ऐसा हुआ तो उन्हें अच्छा दाम म‍िल जाएगा. इस समय भी ओपन मार्केट में गेहूं का दाम 2000 से 2200 रुपये तक चल रहा है. जबक‍ि एमएसपी 2125 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. उस पर भी खराब गुणवत्ता की कटौती अलग. 

कम क‍िसान गेहूं बेचने आएंगे यह अंदाजा सरकार को भी था. इसील‍िए उसने इस बार गेहूं खरीद का लक्ष्य घटाकर स‍िर्फ 341.5 लाख मीट्र‍िक टन कर द‍िया है. जबक‍ि रबी मार्केट‍िंग सीजन 2022-23 में र‍िकॉर्ड 444 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय क‍िया था. 

सबसे पहले गेहूं पर ही शुरू हुई थी एमएसपी

दरअसल, सबसे पहले गेहूं पर ही एमएसपी शुरू की गई थी. यह व्यवस्था क‍िसानों और गरीबों दोनों के ह‍ित के ल‍िए बनी थी. इसके जर‍िए सार्वजन‍िक व‍ितरण प्रणाली (PDS) के ल‍िए अनाज की खरीद हो जाती है और व‍िपरीत पर‍िस्थ‍ित‍ियों में क‍िसानों को सहारा भी म‍िल जाता है. ओपन मार्केट में ज्यादा दाम होने पर क‍िसान न‍िजी क्षेत्र को गेहूं बेचने के ल‍िए स्वतंत्र हैं, लेक‍िन जब उन्हें लगे क‍ि न‍िजी क्षेत्र को बेचने से कोई फायदा नहीं हो रहा तो वो एमएसपी पर बफर स्टॉक यानी सेंट्रल पूल के ल‍िए बेच सकते हैं. मान लीजिए अगर कभी गेहूं की कीमत ओपन मार्केट में गिर भी जाती है तो भी केंद्र सरकार एमएसपी पर ही किसानों से उसे खरीदती है.  

क‍िस राज्य के क‍िसानों को ज्यादा फायदा

  • भारतीय खाद्य न‍िगम (FCI) के अनुसार इस साल 30 अप्रैल तक पंजाब में सबसे अध‍िक 6,87,442 क‍िसानों को एमएसपी का फायदा म‍िला है. जबक‍ि देश के कुल गेहूं उत्पादन में पंजाब का तीसरा स्थान है. यहां देश का 15.3 फीसदी गेहूं पैदा होता है.
  • गेहूं की एमएसपी का लाभ लेने वाले क‍िसानों के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है. यहां 30 अप्रैल तक 6,05,760 क‍िसानों ने सरकार को गेहूं बेचा है. गेहूं उत्पादन के मामले में भी मध्य प्रदेश 18.7 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर ही है. 
  • हर‍ियाणा की बात करें तो यह 10.8 फीसदी ह‍िस्सेदारी के साथ गेहूं उत्पादन के मामले में चौथे स्थान पर है. जबक‍ि, गेहूं की एमएसपी का लाभ लेने वालों की संख्या के मामले में यह 3,94,108 क‍िसानों के साथ तीसरे नंबर पर है. 

यूपी का क्या है हाल? 

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक प्रदेश है. यहां कुल उत्पादन का 32.1 फीसदी गेहूं पैदा होता है. लेक‍िन, एमएसपी पर गेहूं बेचने के मामले में इस साल अब तक यह चौथे स्थान पर है. यहां 30 अप्रैल तक स‍िर्फ 1.31 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया है. एमएसपी पर गेहूं बेचने वालों की संख्या महज 27,105 है.

राजस्थान और ब‍िहार का तो और बुरा हाल है. भारतीय खाद्य न‍िगम यानी एफसीआई के मुताबिक ब‍िहार में महज 119 और राजस्थान में 8395 क‍िसानों ने एमएसपी पर गेहूं बेचा है. कुल उत्पादन में राजस्थान 9.9 फीसदी जबक‍ि ब‍िहार 5.4 फीसदी गेहूं का योगदान करता है.

पंजाब, हर‍ियाणा में क‍िसानों को राहत

पंजाब और हर‍ियाणा में बेमौसम बार‍िश और ओलावृष्ट‍ि की वजह से बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल खराब हुई है. केंद्र इसे खरीद रहा है लेक‍िन एमएसपी पर 37 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक की कटौती कर रहा है. इन दोनों सूबों की सरकारें इस कटौती की रकम खुद अपने फंड से वहन कर रही हैं. यानी खराब गेहूं का भी यहां पूरी एमएसपी म‍िल रही है. इन दोनों में र‍िकॉर्ड गेहूं खरीद की एक वजह यह भी है.

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