जानकारों का कहना है कि अगर कोई भैंस हीट में आती है और वक्त रहते वो गाभिन (गर्भवती) नहीं होती है तो इसका एक बड़ा नुकसान पशु पालक को होता है. क्योंकि जब तक भैंस गाभिन नहीं होगी और बच्चा नहीं देगी तो तब तक वो दूध देना भी शुरू नहीं करेगी. कई बार होता यह है कि भैंस हीट में आती है और पशु पालक उसे गाभिन कराने की प्रक्रिया का पालन भी करता है, लेकिन किसी ना किसी वजह से भैंस गाभिन होने से रह जाती है. लेकिन पशु पालक को इस बात का पता बहुत देरी से चल पाता है और तब तक भैंस के गाभिन होने का वक्त निकल चुका होता है.
इसी को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार और भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने मिलकर प्रेग डी किट तैयार की है. 10 रुपये में इस किट की मदद से गाय-भैंस के गर्भधारण की जांच अब घर बैठे ही की जा सकेगी. किट पर रिसर्च करने वाले संस्थान के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक बल्हारा ने बताया कि जल्द ही बाजार में यह किट उपलब्ध हो जाएगी.
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सीआईआरबी के डायरेक्ट र टीके दत्ता ने किसान तक को बताया कि प्रेग डी किट एक जैव रसायनिक प्रक्रिया है. जब हम किट का इस्तेमाल करते हुए भैंस का मूत्र इस पर डालते हैं और मूत्र का रंग गहरा लाल या बैंगनी हो जाता है तो इसका मतलब भैंस गाभिन हो चुकी है. अगर किट पर पीला रंग या हल्का रंग दिखाई दे तो समझ जाइए कि भैंस अभी गाभिन नहीं हुई है.
और एक खास बात यह कि अगर आपका पशु बीमार है तो यह किट सही-सही 100 फीसद रिजल्ट नहीं बताएगी. और जांच करते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें कि जब आप भैंस का मूत्र ले रहे हों तो उस वक्त मूत्र अपने सामान्य तापमान यानि 20 से 30 डिग्री सेल्सि यस पर होना चाहिए.
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हाल ही में सीआईआरबी ने नागालैंड में मिथुन (पहाड़ी गोजातीय) पर भी इस प्रेग डी किट का सफल ट्रायल किया है. नार्थ-ईस्ट के पहाड़ी इलाकों में मिथुन पशु बहुत पाया जाता है. यह समुंद्र तल से तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक पाले जाते हैं. कुछ दिन पहले ही आईसीएआर के डीडीजी बीएन त्रिपाठी, सीआईआरबी के डायरेक्टर टीके दत्ता और राष्ट्री य मिथुन अनुसंधान संस्थान, नागालैंड के डायरेक्टर गिरीश पाटिल भी इस मौके पर मौजूद थे.
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