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Milk Price: दूध की कमी और दामों में बढ़ोतरी पर ये बोले Amul के पूर्व एमडी आरएस सोढी 

Milk Price: दूध की कमी और दामों में बढ़ोतरी पर ये बोले Amul के पूर्व एमडी आरएस सोढी 

कॉमर्स इंडस्ट्री, एपीडा, डीजीसीआई (कोलकाता) के आंकड़े और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2021-22 में रिकॉर्ड 19954 टन मक्खन एक्सपोर्ट किया गया था. साल 2020-21 के मुकाबले यह करीब चार गुना था. इस साल सिर्फ 4449 टन मक्खन एक्सपोर्ट किया गया था.

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दूध का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट संदीप सिंह दूध का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट संदीप सिंह

दूध के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. दूध और दूध से बने प्रोडक्टोंं की कमी है. इस बीच आने वाली गर्मियों में दूध की किल्लत होने और इस वजह से दूध के दामों में बढ़ोत्तरी की अटकलें लगाई जा रही हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी ऐसी ही कई पोस्ट शेयर की जा रही हैं. इस बारे में जब किसान तक ने अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढी से बात की तो उन्होंने इस तरह की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया. साथ ही उन्होंने दूध के रेट बढ़ने के उस गणित को भी साझा किया, जिसके चलते बीते कुछ दिनों में रेट बढ़े हैं. 

अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढी का कहना है कि पशु पालकों और बाजार को ध्यान में रखते हुए दूध के दाम तो हर साल बढ़ते हैं, लेकिन कुछ कारणों के चलते इस बार जल्दी‍-जल्दी दूध के दाम बढ़े हैं. लेकिन मैं अपने पूरे अनुभव से कह सकता हूं कि अब दूध के दाम बढ़ने की उम्मीद ना के बराबर ही है. क्यों कि कोरोना-लॉकडाउन के चलते जो हालात डेयरी सेक्टर में बने थे उससे अब यह सेक्टर उबर चुका है.

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दूध के रेट नहीं बढ़ते तो किसान अपने पशु बेच देते 

आरएस सोढी का कहना है कि कोरोना-लॉकडाउन के दौरान साल 2020 और 2021 में दूध के साथ जो हुआ उसे बहुत कम लोग जानते हैं. उस दौरान बाजार बंद थे. दूध की खपत कम हो रही थी. लेकिन हालात कोई भी हों पशु तो दूध देगा ही. चारा खिलाने वाला किसान तो उसे दूध लेगा ही. ऐसे में बटर-घी और मिल्क पाउडर सरप्लस हो गए. माल सरप्लस था तो किसानों को उनके दूध का सही दाम भी नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में सरकार ने बटर-घी के एक्सपोर्ट का दरवाजा खोलकर डेयरी सेक्ट र को राहत बख्शी . इसका बड़ा फायदा पशु पालकों को भी हुआ. 

अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढी. फोटो क्रेडिट ट्वटिर
अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढी. फोटो क्रेडिट ट्वटिर

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वर्ना तो उस दौरान हालात ऐसे हो गए थे कि किसानों को उनके दूध का दाम ही नहीं मिल पा रहा था. अगर सरकार यह कदम नहीं उठाती तो छोटे-छोटे पशुपालक तो अपने पशु बेचकर कोई दूसरा काम-धंधा कर रहे होते. अब एक से सवा साल करीब चले एक्सपोर्ट से सरप्ल स प्रोडक्ट बैलेंस हो गए. किसानों से खरीदे जाने वाले दूध के दाम भी बढ़ गए. लेकिन ऐसा हरगिज नहीं है कि हमने बटर-घी एक्सपोर्ट कर दिया तो गर्मियों के लिए हमारे पास कोई स्टाक नहीं है. अब बीते कुछ वक्त  से एक्सपोर्ट बंद है. एक बार फिर गर्मियों के लिए हमारे पास उतना बटर, मिल्क पाउडर है जितने की जरूरत होती है. 

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