चैट जीपीटी तकनीक का आविष्कार अब किसानों के लिए भी मददगार साबित हो सकता है. ये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का एक ऐसा रूप है जो हर विषय की जानकारी रखने में सक्षम है. ऐसे में इसे ना सिर्फ आम आदमी के लिए बल्कि किसानों के लिए भी उपयोगी बनाने का काम किया जा रहा है. चैट जीपीटी की तरह ही किसानों के लिए किसान जीपीटी (Kissan GPT) तैयार किया गया है. कृषि क्षेत्र में काम कर रहे लोगों का कहना है कि यह खेती और किसानों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. जानिए क्या है ये और कैसे करेगा आपकी मदद-
चैटजीपीटी एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से हम अपने हर सवाल का जवाब आसानी से ढूंढ सकते हैं. यह गूगल की तरह ही काम करता है लेकिन इसका तरीका काफी अलग है. यह आपके पूछे गए प्रशनों का वास्तविक उत्तर देने का प्रयास करता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च फर्म OpenAI द्वारा विकसित, चैटबॉट AI का उपयोग न केवल आपके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार किया गया है, बल्कि यह एक मानव की तरह आपसे बातचीत भी कर सकता है.
किसान जीपीटी (Kisan GPT) को कृषि क्षेत्र में नई क्रांति लाने वाला तकनीक बताया जा रहा है. इस तकनीक की मदद से किसानों को किसी इंसान पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा. यानी इस तकनीक कि मदद से किसान आने वाले समय और उस परिस्थिति से कैसे बचा जाए इसका उपाय खोज सकते हैं. किसान न केवल अपनी समस्याओं का सही और सटीक समाधान प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि किसान जीपीटी की कृषि सलाह के माध्यम से फसल उत्पादन भी बढ़ा सकते हैं. किसान जीपीटी खेती-बाड़ी से जुड़ी सभी जानकारी किसानों को देने में सक्षम है. फिर वह मौसम से संबंधी हो या फिर कीटों कि समस्या हो, किसान जीपीटी के पास हर समस्या का समाधान है.
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कृषि और एआई का यह तालमेल नया नहीं है. देश में आज कई किसान ऐसे हैं जो फसलों, मिट्टी, उर्वरकों और मौसम की स्थिति से संबंधित वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए एआई का लाभ उठा रहे हैं. किसान वास्तव में वॉयस इंटरफेस को पसंद करते हैं जो कि बहुत आसान. ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इस वॉयस इंटरफेस की मदद से किसान आसानी से बोलकर अपने सवालों का जवाब पा सकते हैं. यह किसानों के लिए बेहद आसान और उपयोगी साबित हुआ है. ऐसे में इसी डेटाबेस पर किसान जीपीटी को तैयार किया गया है ताकि किसानों को किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो.
भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं. यहाँ के किसान देश के हर कोने-कोने में फैले हुए हैं, और हर किसी की भाषा भी अलग है. ऐसे में किसानों को कोई दिक्कत न हो इसलिए अलग-अलग भाषाओं के लिए इसको तैयार किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक किसान जीपीटी एआई चैटबॉट को 9 भाषाओं में लॉन्च किया जा चुका है.
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