जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और रासायनिक कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से खेती के सामने गंभीर संकट आ खड़ा हुआ है, जिसके समाधान के तौर पर जैविक और प्राकृतिक खेती को प्रचारित किया जा रहा है. इसी कड़ी में देश के किसानों के बीच जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बीत दिनों नोएडा के सेक्टर 151 में एक दिवसीय प्राकृतिक जैविक कृषि जागरूकता कार्यशाला का आयोजन पाठशाला के रूप किया गया, जिसमें किसानों ने प्राकृतिक खेती और जैविक खेती के माध्यम से स्वास्थ्य के लिए बेहतर खेती के हुनर सीखे.
नीरकेयर एग्रो और जैविक गुरुग्राम के संयुक्त तत्वाधान में की गई. इस कार्यशाला में मौजूद किसानों ने प्राकृतिक जैविक खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी ली एवं भूमि के स्वास्थ की जानकारी एवं फसल बोने से पहले भूमि को तैयार करने की भी संपूर्ण जानकारी किसान को दी गई.
इस कार्यक्रम में बतौर अतिथि मौजूद डॉ बीजी सिंह ने किसानों को बताया कि हमारे पूर्वज प्राकृतिक और जैविक खेती ही किया करते थे और उन लोगों की आयु करीब 100 वर्ष तक हुआ करती थी. आज के दौर में बढ़ती खतरनाक बीमारियों से बचने के लिए देश के किसानों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है कि वो जैविक खेती से जुड़े.
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नीरकेयर एग्रो के संस्थापक विवेक खुराना ने उनके द्वारा किसानों के लिए बनाए गए कृषि ऐप के बारे में जानकारी दी, जो किसानों को उनकी समस्याओं का समाधान करेगा. जैविक गुरुग्राम के प्रमुख यतेन्द्र झा ने कृषकों को जैविक कृषि के अपने अनुभव साझा किए एवं किसानों को उनकी उपज के अच्छे दाम मिलने के रास्ते सुझाएं.
मल्टी-लेयर फार्मिंग विशेषज्ञ आकाश चौरसिया ने किसानों को बताया कि कैसे वो इस तकनीक की मदद से एक समय पर एक ही जमीन पर कई फसल उगा सकते हैं. जरूरत है तो बस मल्टी लेयर फार्मिंग तकनीक की बारीकियों को समझने की. इसकी मदद से किसानों की आय भी बढ़ेगी और मिट्टी की सेहत में भी सुधार आएगा.
इस दौरान आकाश चौरसिया, मल्टी-लेयर फार्मिंग विशेषज्ञ भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि किसानों को सही ज्ञान और संसाधनों के साथ सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है. ग्रामीण भारत के सतत विकास के साथ किसानों को आज एक ऐसी तकनीक की आवश्यकता है, जो आर्थिक रूप से सही हो और प्रकृति में टिकाऊ हो और किसानों को आत्म-निर्भर भी बनाती हो.इस कार्यक्रम की मदद से किसानों को कृषि क्षेत्र की नवीन तकनीकों और प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी दी गई व फसल की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने में मदद करने वाले पहलुओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई.
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