आईसीएआर (ICAR) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (आईआईएचआर) ने लिलियम और जरबेरा जैसे फूलों के साथ ही गोभी और फूलगोभी जैसी फसलों की "संरक्षित" खेती के लिए एक नई वर्टिकल फार्मिंग की नई तकनीक विकसित की है. यह नई तकनीक एक स्ट्रक्चर है. जो 12 फीट ऊंची हो सकती है, एक पॉली-हाउस में इस प्रभावी तकनीक का उपयोग किया जा सकता है. वैज्ञानिकों ने दावा किया कि इसके परिणामस्वरूप प्रति इकाई क्षेत्र के आधार पर पारंपरिक खेती की तुलना में इसका उत्पादकता छह गुना तक बढ़ सकता है. IIHR के प्रधान वैज्ञानिक, सी अश्वथ ने कहा कि कम लागत और ऊंचाई वाली कृषि संरचनाओं में लगभग 11 स्तरों की खड़ी खड़ी परतें होती हैं और इसमें इनबिल्ट विक-आधारित ड्रिप सिंचाई होती है.
जिसमें फसलों को कोको-पीट, वर्मीकम्पोस्ट, धान की भूसी और मिट्टी रहित सब्सट्रेट मिश्रण वाले बैग में उगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मल्टीपल स्टैक्ड लेयर्स के साथ पॉली-हाउस में उपलब्ध यूनिट एरिया के 5-6 गुना अधिक उपयोग की अनुमति देता है और उच्च रोपण घनत्व के माध्यम से उपज और उत्पादकता को छह गुना बढ़ाया जा सकता है.
अश्वथ ने कहा कि इनमें से प्रत्येक संरचना को स्थापित करने की लागत लगभग 25,000 रुपये आती है, इसकी संरचना जो चौड़ाई में एक मीटर और ऊंचाई लगभग 12 फीट होती है. उन्होंने कहा कि आईआईएचआर ने शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में पॉली-हाउस खेती करने वाले किसानों द्वारा नई संरचनाओं को व्यापक रूप से अपनाने के लिए बागवानी के एकीकृत विकास मिशन के तहत 50 प्रतिशत की सब्सिडी का प्रस्ताव दिया है.
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IIHR ने हेसरघट्टा, बेंगलुरु में अपने परिसर में बागवानी फसलों की संरक्षित खेती पर उत्कृष्टता केंद्र में इन नई वर्टिकल फार्मिंग संरचनाओं की स्थापना की है, ताकि लिलियम जैसी उच्च मूल्य वाली फूलों की फसलों और ब्रोकली और बैंगनी जैसी उच्च मूल्य वाली सब्जियों की खेती का प्रदर्शन किया जा सके. आईआईएचआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक सफीना एसए ने कहा कि संस्थान नए वर्टिकल फार्मिंग स्ट्रक्चर डिजाइन को पेटेंट कराने पर विचार कर रहा है. बुधवार (22 फरवरी) से शुरू होने वाले आगामी राष्ट्रीय बागवानी मेले में, आईआईएचआर किसानों को वर्टिकल फार्मिंग तकनीकों पर प्रशिक्षण देगा.
सिकुड़तेभू-संसाधनों के साथ वर्टिकल फार्मिंग, जो साल भर छोटे क्षेत्रों से अधिकफसलों का उत्पादन करने में मदद करती है, उस बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने मेंमदद करने के लिए एक अभिनव समाधान के रूप में देखा जाता है. खेती की इस विशिष्टपद्धति का उद्देश्य उपलब्ध उच्चे स्थान का कुशल उपयोग करके छोटे स्थानों में उच्चउत्पादकता और मिट्टी रहित खेती के तरीकों का उपयोग करना है.
अस्वथ ने कहा कि अन्य सब्जियों की फसलें जैसे बीन्स, फूलगोभी, विभिन्न पत्तेदार सब्जियां,स्ट्रॉबेरीजैसे फल और जरबेरा, जिप्सोफिलिया, ग्लेडियोलस जैसे फूल उंच्ची खेती पद्धतिके तहत उगाए जा सकते हैं.
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