हिमाचल: छात्रों ने किसानों के लिए बनाया ऐसा डिवाइस, खेतों से खुद ही भगाएगा जंगली जानवर और पक्षी

हिमाचल: छात्रों ने किसानों के लिए बनाया ऐसा डिवाइस, खेतों से खुद ही भगाएगा जंगली जानवर और पक्षी

हिमाचल प्रदेश के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों के एक समूह ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) आधारित एक उपकरण विकसित किया है जो हिमाचल प्रदेश में किसानों को जंगली जानवरों और पक्षियों से अपनी फसलों की रक्षा करने में मदद कर सकता है.

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छात्रों ने किसानों के लिए बनाया ऐसा डिवाइस, खेतों से खुद ही भगाएगा जंगली जानवर और पक्षीपॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों के एक समूह ने बनाया डिवाइस (Photo: AI)

हिमाचल प्रदेश के राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों के एक ग्रुप ने किसानों की बहुत बड़ी समस्या को हल करने वाला एक डिवाइस बनाया है. कॉलेज के इन छात्रों ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) आधारित एक उपकरण विकसित किया है जो किसानों को जंगली जानवरों और पक्षियों से अपनी फसलों की रक्षा करने में मदद कर सकता है. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के छात्रों ने विभागाध्यक्ष पंकज ठाकुर और अन्य संकाय सदस्यों के मार्गदर्शन में "मास सर्विलांस क्रॉप सिस्टम" विकसित किया है.

कैसे काम करता है ये डिवाइस

विभागाध्यक्ष पंकज ठाकुर ने इस बारे में बताया कि यह उपकरण एक सेंसर की तरह काम करता है, जो किसी जानवर या पक्षी के खेत के पास आने पर गोली चलने जैसी आवाज निकालता है, जिससे वे डरकर भाग जाते हैं. उन्होंने कहा कि बंदर, जंगली सूअर और अन्य जंगली जानवर अक्सर पहाड़ी राज्य में फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं और यह उपकरण उन्हें भगाने में कारगर साबित हो सकता है. ठाकुर ने कहा कि यह नवाचार किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है.

क्या है इस डिवाइस की खासियत

इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले छात्र अंजलि और सचिन चौधरी ने बताया कि यह डिवाइस कम लागत वाला है, इसे लगाना आसान है और हलचल का पता चलने पर यह अपने आप सक्रिय हो जाता है. उन्होंने बताया कि सीसीटीवी कैमरों के उलट, यह लगातार रिकॉर्डिंग या डेटा संग्रहीत नहीं करता है, बल्कि केवल तभी काम करता है जब कोई जानवर या पक्षी पास आता है.

क्या है इंटरनेट ऑफ थिंग्स

दरअसल, खेतों से जंगली जानवर और पक्षियों को दूर रखने में मदद करने वाला ये डिवाइस इंटरनेट ऑफ थिंग्स की तकनीक पर आधारित है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का आसान भाषा में मतलब हुआ कि ऐसे डिवाइस - इनमें मशीन, सेंसर या गैजेट हो सकते हैं - जो इंटरनेट के जरिए आपस में जुड़े होते हैं और आपस में डेटा शेयर करते हैं. इस तरह से ये आपस में जुड़े सारे डिवाइस बिना इंसानों के आदेश के भी अपने-आप काम कर सकें.

स्मार्ट फार्मिंग में इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इस्तेमाल बेहद कारगर साबित हो सकता है. जैसे मान लीजिए खेत में कुछ सेंसर लगा दिए जाएं जो मिट्टी की नमी और तापमान लगातार मापते रहें. जब मिट्टी सूखी होने लगे तो ये सेंसर वाटर पंप को अपने आप चालू कर सकते हैं. इसके साथ ही किसान मोबाइल ऐप पर भी देख सकता है कि कौन-सा खेत कितना सिंचित है.

यही वजह है कि ये इनोवेशन भारत में छात्र-नेतृत्व वाले, तकनीक-संचालित कृषि समाधानों के बढ़ते चलन का हिस्सा है. अपने किफायती और स्वचालित डिज़ाइन के साथ, यह IoT डिवाइस तकनीक के माध्यम से ग्रामीण चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से इसी तरह की कम लागत वाली परियोजनाओं को प्रेरित कर सकता है. 

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