बहुत सारे किसान ट्रैक्टर लेते वक्त हर तरह का मंथन करते हैं. इनमें सबसे ज्यादा माथापच्ची ट्रैक्टर के बजट को लेकर करनी पड़ती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकतर किसानों को ट्रैक्टर के लिए लोन लेना पड़ता है. लोन तो किसान ले लेते हैं मगर असली समस्या आती है इस लोन की किस्त को लेकर. कई किसान ट्रैक्टर की किस्त को गलत अनुमान लगा लेते हैं और फिर इसे चुकाने में उनपर अत्यधिक आर्थिक भार पड़ता है. इसलिए हम आपको ट्रैक्टर की किस्त का सही हिसाब-किताब समझाने के लिए एक बेहद जरूरी फॉर्मूला बता रहे हैं.
इस चीज को लेकर आर्थिक विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसान को ट्रैक्टर की किस्त (EMI) अपनी मासिक शुद्ध आय के 20 से 25% से ज़्यादा नहीं रखनी चाहिए. सीधा हिसाब समझें तो अगर किसी किसान की खेती से महीने में ₹25,000 की शुद्ध बचत होती है (सालाना 3 लाख रुपये), तो उस किसान को ट्रैक्टर की किस्त ₹5,000–₹6,000 के आसपास बनवानी चाहिए. अगर इस फॉर्मूला पर चलेंगे तो किसान को ट्रैक्टर का लोन चुकाने में अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. इस तरह ट्रैक्टर का लोन भी चुकाते रहेंगे और साथ में खेती के बाकी खर्च भी आराम से पूरे होते रहेंगे.
लोन पर ट्रैक्टर लेते वक्त डाउन पेमेंट की राशि भी बहुत मायने रखती है. डाउन पेमेंट के तौर पर कम से कम 15 से 20% नकद कैश खुद से दें. इससे आपकी EMI का बोझ कम होगा. यानी करीब 9 लाख रुपये के ट्रैक्टर के लिए 1,35,000 से 1,80,000 रुपये डाउन पेमेंट के तौर पर जरूर दें.
ट्रैक्टर के लोन की ब्याज दर कम लगे इसके लिए आप सरकारी बैंकों से लोन लें. इन बैंकों में ब्याज दर 8–10% तक होती है. वहीं प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां 12–15% तक ब्याज ले सकती हैं. इसके साथ ये कोशिश करें लोन की अवधि 5 साल से ज्यादा लंबा ना रखें. इससे लंबा लोन होने पर आपके ऊपर ब्याज का बोझ बढ़ेगा. इसके अलावा हर साल ट्रैक्टर के बीमा और रखरखाव के लिए करीब ₹10,000 से ₹15,000 रुपये अलग से बचाएं.
ये भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today