वर्ल्ड बैंक ग्रुप के प्रेसिडेंट अजय बंगा ने उत्तर प्रदेश के छोटे किसानों के लिए प्रदेया के मजबूत खेती मॉडल की तारीफ की. उन्होंने इसे सस्टेनेबल खेती और क्लाइमेट अडैप्टेशन के लिए ग्लोबल बेंचमार्क बताया. बंगा ने योगी आदित्यनाथ सरकार की क्लाइमेट-टॉलरेंट बीज, मिट्टी के हिसाब से खाद, रीजेनरेटिव खेती की तकनीक, कुशल सिंचाई सिस्टम और मजबूत फसल बीमा फ्रेमवर्क को जोड़ने की पहल की भी तारीफ की. साथ ही उन्होंने खेती में AI के फायदे भी गिनाए.
बंगा ने एक इवेंट में कहा, 'मैंने उत्तर प्रदेश में जो देखा वह कोई थ्योरी नहीं है बल्कि एक असलियत है.' उन्होंने पूरे सिस्टम को जोड़ने वाले 'गोंद' के तौर पर डिजिटल टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि एक आसान AI टूल या मोबाइल फोन फसल की बीमारियों का पता लगा सकता है, खाद का सुझाव दे सकता है, मौसम की शुरुआती चेतावनी दे सकता है और सुरक्षित पेमेंट कर सकता है. उनका कहना था कि इस तरह के डेटा से किसानों की क्रेडिट हिस्ट्री बनती है, जिससे सस्ते लोन और मजबूत फाइनेंशियल इनक्लूजन पक्का होता है और इससे भरोसे और निवेश का एक 'अच्छा लूप' बनता है.
बंगा ने जो कुछ कहा, अब वह न सिर्फ यूपी बल्कि देश के कुछ और राज्यों में भी हकीकत बन रहा है. https://indiaai.gov.in/ की एक रिपोर्ट के अनुसार एग्रीकल्चर मार्केट में ग्लोबल AI के साल 2023 में USD 1.7 बिलियन से बढ़कर 2028 तक USD 4.7 बिलियन होने का अनुमान है. इसमें 23.1 फीसदी की शानदार कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) होगी. रिपोर्ट का कहना है कि यह टेक्नोलॉजी भारतीय किसानों को ऐसे टूल्स से मजबूत बनाती है जो रियल-टाइम जानकारी देते हैं, फसल की पैदावार बढ़ाते हैं और ज्यादा मेहनत वाले प्रोसेस को ऑटोमेट करते हैं.
यूपी के अपने हालिया दौरे के दौरान, बंगा ने इस इकोसिस्टम को काम करते हुए देखा. उन्होंने देखा कि कैसे लोकल कोऑपरेटिव और डिजिटल प्लेटफॉर्म किसानों को मजबूत बनाने के लिए बिना किसी रुकावट के काम कर रहे हैं. वर्ल्ड बैंक और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच सहयोग पर जोर देते हुए, उन्होंने UP AGRISE प्रोजेक्ट के लॉन्च का जिक्र किया. इसे राज्य के एग्रीकल्चर सिस्टम को टेक्नोलॉजिकली और फाइनेंशियली मजबूत करने के लिए डिजाइन किया गया है.
AI टेक्नोलॉजी पर आधारित सटीक खेती से किसान फसल मैनेजमेंट के बारे में सोच-समझकर फैसले ले पा रहे हैं. AI ऑपरेटेड टूल ड्रोन, सेंसर और सैटेलाइट इमेजरी से मिले डेटा को एनालाइज करके सिंचाई, फर्टिलाइजेशन और पेस्ट कंट्रोल को बेहतर बनाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, एडवांस्ड कंप्यूटर विजन से लैस ड्रोन से एरियल सर्विलांस, फसल की सेहत से जुड़ी समस्याओं का रियल-टाइम पता लगाने में मदद करता है.
ये ड्रोन उन जगहों की पहचान करते हैं जिन पर ध्यान देने की ज़रूरत है और पेस्टीसाइड या न्यूट्रिएंट्स को सही तरीके से डालते हैं, जिससे बर्बादी और पर्यावरण पर असर कम होता है. बंगा के अनुसार डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम के जरिए मौसम, बीज, बाजार और इंश्योरेंस की जानकारी तक रियल-टाइम एक्सेस देकर करीब 10 लाख छोटे और मार्जिनल किसानों को सीधे फायदा पहुंचाया जा सकता है.
बंगा की बात काफी हद तक सही है और आज भारतीय किसानों के लिए तीन अहम एआई ऑप्शन मौजूद हैं जो खेती में उनकी मदद कर रहे हैं. ये विकल्प हैं
किसान ई-मित्र चैटबॉट- यह किसानों के लिए एक AI-पावर्ड असिस्टेंट है जो PM किसान सम्मान निधि स्कीम और दूसरी सरकारी पहलों से जुड़े सवालों के लिए कई भाषाओं में मदद देता है.
AI-बेस्ड क्रॉप हेल्थ मॉनिटरिंग: पूरी क्रॉप हेल्थ जांच के लिए सैटेलाइट डेटा, मौसम की स्थिति और मिट्टी की नमी के लेवल का इस्तेमाल करना.
नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम: कीड़ों से जुड़ी मुश्किलों का पता लगाने और उन्हें कम करने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करना.
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