देसी अंदाज में मशरूम उत्पादन कर रहीं महिलाएं, प्लास्टिक बाल्टी और भूसे से 7 दिन में तैयार करने में रहीं सफल

देसी अंदाज में मशरूम उत्पादन कर रहीं महिलाएं, प्लास्टिक बाल्टी और भूसे से 7 दिन में तैयार करने में रहीं सफल

बिहार मशरूम उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है. मशरूम उत्पादन में महिलाओं का योगदान सराहनीय है. वहीं, मशरूम उत्पादन न केवल किसान परिवार के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है, बल्कि यह फसल अवशेष प्रबंधन में भी सहायक है.

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देसी अंदाज में मशरूम उत्पादन कर रहीं महिलाएं, प्लास्टिक बाल्टी और भूसे से 7 दिन में तैयार करने में रहीं सफलदेसी अंदाज में मशरूम उत्पादन

मशरूम की खेती करते और उगाते तो आपने कई लोगों को देखा या सूना होगा. लेकिन बाल्टी में मशरूम उगाना ये थोड़ी अलग है. जी हां, सही सुना आपने दरअसल, बिहार के गया जिला के अंतर्गत बांकेबाजार की महिलाएं देसी अंदाज में नये तरीके से मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. ये महिलाएं इस नई तकनीक के तहत अब ऑएस्टर मशरूम के लिए बार-बार पॉलीथिन का उपयोग न करके एक बार में ही प्लास्टिक बाल्टी में मशरूम उगा रही हैं और बेहतर उत्पादन ले रही हैं. आइए जानते हैं प्लास्टिक के बाल्टी में मशरूम उगाने की क्या है विधि और उससे होने वाले लाभ.  

मशरूम उत्पादन की विधि

• प्लास्टिक की बाल्टी में पांच किलो गर्म पानी से उपचारित भूसा रखकर उसमें मशरूम बीज छिड़क दें.
• इस विधि से एक बार में एक बाल्टी से पांच से सात किलो मशरूम उत्पादित हो जाता है.
• जब मशरूम तैयार हो जाए तो उसे तोड़कर बाल्टी में भूसा दोबारा भर सकते हैं.
• महिलाएं इससे अच्छी आय प्राप्त कर रही हैं और प्लास्टिक के अनावश्यक उपयोग से बच रही हैं.

प्लास्टिक की बाल्टी में मशरूम उगा रही हैं महिलाएं
प्लास्टिक की बाल्टी में मशरूम उगा रही हैं महिलाएं

मशरूम उत्पादन के लाभ

• गर्म पानी से भूसा उपचारित होने के कारण इससे उत्पादित मशरूम जैविक होते हैं.
• कुछ बड़े मशरूम उद्यमी इन बाल्टियों को अपने प्लांट में भी इस सुविधा को उपलब्ध कराते हैं.
• इनमें माईसीलियम रहने के कारण मात्र सात दिनों में ही इससे मशरूम तैयार हो जाता है.

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मशरूम उत्पादन में बिहार नं.-1

बिहार के कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार मशरूम उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है. मशरूम उत्पादन में महिलाओं का योगदान सराहनीय है. वहीं, मशरूम उत्पादन न केवल किसान परिवार के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है, बल्कि यह फसल अवशेष प्रबंधन में भी सहायक है.

मशरूम के लिए योजनाएं

कृषि विभाग के सचिव ने बताया कि कृषि विभाग उद्यान निदेशालय के माध्यम से वाणिज्यिक मशरूम उत्पादन इकाई के स्थापना के लिए 50 प्रतिशत और 10 लाख रुपये प्रति इकाई, मशरूम स्पॉन निर्माण के लिए 7.50 लाख रुपये प्रति इकाई और मशरूम कम्पोस्ट इकाई के स्थापना के लिए 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है. साथ ही, झोपड़ी में मशरूम उत्पादन के लिए 89.75 हजार रूपये की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा मशरूम किट के लिए 54 रुपये प्रति इकाई (90 प्रतिशत) का प्रावधान किया गया है.

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