हमारे यहां लगभग हर कोई डायरेक्ट-इनडायरेक्ट खेती से जुड़ा है. देश की बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जिनकी आय का साधन केवल खेती ही है. खेती करने वाला हर किसान नकदी फसलों की खेती कर अपनी आर्थिक आय बढ़ाना चाहता है. ऐसे किसानों को सही जलवायु और मौसम की जानकारी लेने के बाद उसी के अनुकूल फसलें उगानी चाहिए. अक्टूबर-नवंबर के महीने में किसान लहसुन की खेती कर अधिक लाभ कमा सकते हैं. इस खबर में लहसुन की खेती से जुड़ी सभी छोटी-बड़ी बातें बताने जा रहे हैं.
अगर आप घर के गमले या किचन गार्डन में लहसुन उगाना चाहते हैं तो सीधे लहसुन की कलियां मिट्टी में रोप सकते हैं. लेकिन अगर आप बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती कर अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो फिर नर्सरी में अच्छी क्वालिटी के पौध लाकर रोपने होंगे, लेकिन उससे पहले खेत की तैयारी के बारे में जानना होगा.
लहसुन की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिट्टी में इसकी खेती के अधिक फायदे हैं. सबसे पहले खेत की दो-तीन बार जुताई करें जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए. अब खेत में 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गोबर डालकर पाटा चला दें जिससे मिट्टी को पोषण मिल सके. अब पूरे खेत में मेड़नुमा कतारें बना लें और इन क्यारियों में पौध रोप दें. कतारों के बीच लगभग 15 सेमी और पौध से पौध के बीच 8 सेमी दूरी का ध्यान रखें.
किसी भी फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिए खाद-पानी देने की सही जानकारी होनी चाहिए. अगर आप लहसुन की खेती कर रहे हैं तो पौध रोपाई से पहले ही सड़े हुए गोबर को खाद के रूप में मिट्टी के साथ मिलाना होगा. इसके अलावा एक हेक्टेयर के खेत में 50 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और लगभग 100 किलो पोटाश नर्सरी में कलियां आने से पहले डालें. सिंचाई की बात करें तो मिट्टी के नमी की जांच करते हुए 8-12 दिनों में सींचते रहें.
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लहसुन की फसल से अच्छी पैदावार के लिए उन्हें रोग और कीटों से बचाना भी एक बड़ी चुनौती है. आमतौर पर इन फसलों पर थ्रिप्स यानी पर्णजीवी कीटों का प्रकोप होता है. तापमान बढ़ने के साथ-साथ इनका प्रकोप भी बढ़ जाता है. वहीं बीमारियों की बात करें तो अंगमारी रोग देखा जाता है जिससे पौधों की पत्तियों में सफेद धब्बे पड़ जाते हैं. कीटों और बीमारियों से बचाव के लिए विशेषज्ञों की सलाह पर रासायनिक कीटनाशकों का यूज कर सकते हैं.
जब पत्तियां पीली पड़ने लगें तो उस समय खेत के किनारे से एक पौधा खोदकर जांच कर लें. अगर लहसुन की कलियां परिपक्व हो गई हैं तो खुदाई शुरू कर सकते हैं. लहसुन की फसल तैयार होने में 5 महीने या उससे भी अधिक का समय लग सकता है. एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 120 क्विंटल तक की पैदावार ले सकते हैं. भंडारण के लिए लहसुन के कंद से सूखी पत्तियों को काटकर अलग करें और टोकरियों में भरकर साफ और सूखी जगह पर स्टोर कर लीजिए.
लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों रूप में उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही लहसुन से जुड़े कई औषधीय महत्व भी बताए जाते हैं. यही कारण है कि लहसुन की बाजार मांग साल भर बनी रहती है. दाल में तड़का लगाने से लेकर लगभग सभी मसालेदार खाने में इसका उपयोग होता है. बाजार मांग अधिक होने से इसकी कीमत भी अच्छी खासी रहती है. कई बार मनमुताबिक कीमत ना मिलने पर किसान वेयरहाउस में लहसुन स्टोर कर सही समय पर बेचते हैं जिससे उसकी कीमत बढ़ जाती है और किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है.
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