खेती-बाड़ी के अधिकतर काम हमारे देश में पारंपरिक तरीके से किए जाते हैं. पारंपरिक तरीके से किसानों को वक्त भी ज्यादा लगता है और खाद, बीज जैसी जरूरी चीजों की खपत भी काफी होती है. इसी तरह का एक काम है खेतों में कीटनाशक छिड़कने का. हाथों से कीटनाशक छिड़कने पर किसानों को त्वचा संबंधी परेशानियां हो जाती हैं. इससे बचाव के लिए अब ऐसे ड्रोन आ चुके हैं जो कम वक्त में अधिक मात्रा में खेतों में कीटनाशक छिड़क देते हैं. ऐसा ही एक ड्रोन बीते दिनों राजस्थान के पाली जिले के जंबूरी में मॉडल स्टेट राजस्थान विकास प्रदर्शनी में देखने को मिला. इस ड्रोन से खेतों में खड़ी फसल में कीटनाशक का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है.
ड्रोन टेक्नोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के शामिल होने से फसल की मॉनिटरिंग और न्यूट्रियंट मैनेजमेंट भी किया जाता है. इस ड्रोन के उपयोग से किसानों का समय बचेगा और वे कैंसर जैसी घातक बीमारी की चपेट में आने से भी बचेंगे.
राजस्थान में झालावाड़ की विजरोल प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी कृषि में काम आने वाले ड्रोन बना रही है. जंबूरी में प्रदर्शित ड्रोन की कीमत छह लाख रुपए है. जो किसान इसे खरीद न सकते, वे किसान 350 रुपए प्रति हेक्टयेर के हिसाब ड्रोन किराये पर ले सकते हैं.
ये भी पढ़ें- बढ़ती कीमतों के बीच आरसीडीएफ ने रचा इतिहास, एक दिन में सरस ने किया 50 लाख लीटर दूध इकठ्ठा
किसान तक ने विजरोल कंपनी के सीईओ विनय यादव से बात की. वे बताते हैं, “हमने इसकी शुरूआत 2017 में की. कंपनी के संज्ञान में आया कि किसान मैनुअली कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं और इससे उन्हें स्किन संबंधी बीमारी होती हैं. तब हमने किसान ड्रोन बनाने की शुरूआत की. 2018 में पहले ड्रोन का नाम किसान ड्रोन वीएस-01 रखा गया. इसमें ड्रोन पर एक किलो पेलोड के साथ उड़ाया गया.”
विनय बताते हैं कि जंबूरी के बाद कंपनी राजस्थान के सभी 33 जिलों में ड्रोन प्रदर्शिनी लगाएगी और अगले साल तक 10 हजार ड्रोन प्रदर्शित करेगी.
यादव बताते हैं कि अब तक कंपनी 12 राज्यों में पहुंच चुकी है. इनमें कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, एमपी, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश शामिल है. अब तक हम पांच हजार एकड़ भूमि को कवर कर चुके हैं. हम 100 से ज्यादा फसलों को टारगेट कर चुके हैं. यह ड्रोन पूरी तरह ऑटोमेटिक है. रिमोट से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. यह ड्रोन किसी भी तरह के मौसम में उड़ सकता है और एक बार में ही 30-40 एकड़ खेती में कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है.
देशभर में ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग देने वाले करीब 40 स्कूल है. ये स्कूल डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) की ओर से अप्रूव्ड हैं. ड्रोन की बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए कई और स्कूल भी अब खोले जा रहे हैं. खेती में ड्रोन का उपयोग विदेशों में कई साल पहले शुरू हो चुका है.
ये भी पढे़ें- PMFBY: बाड़मेर के किसानों को अब मिलेंगे 540 करोड़ रुपये
आज अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल समेत कई देशों में खेती के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में ड्रोन बनाने वाली कई कंपनियां है जो एग्री ड्रोन में तेजी से इन्वेस्ट कर रही हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today