राजस्थान के किसान ने अपनाई ऐसी तकनीक कि 50,000 रुपये प्रति बीघा होने लगी कमाई, अब खेती को बनाया बिजनेस

राजस्थान के किसान ने अपनाई ऐसी तकनीक कि 50,000 रुपये प्रति बीघा होने लगी कमाई, अब खेती को बनाया बिजनेस

मनोज खंडेलवाल ने धीरे-धीरे अपना ध्यान जैविक खेती की ओर लगाया और इसमें आधुनिक तकनीकों को शामिल किया. वह वर्तमान में 70 बीघा जमीन में खेती कर रहे हैं, जिसमें 10,000 अमरूद के पेड़, गेहूं, सरसों, सोयाबीन, सब्जियां और औषधीय पौधे शामिल हैं. उनके उगाए गए अमरूद हाई क्वालिटी वाले और बड़े आकार के होते हैं और उनका वजन औसतन 600 से 750 ग्राम के बीच होता है.

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शख्स ने अपनाई ऐसी तकनीक कि 50,000 रुपये प्रति बीघा होने लगी कमाई, अब खेती को बनाया बिजनेसअमरूद की खेती से किसान बना लखपति. (सांकेतिक फोटो)

यह कहानी राजस्थान के बागवानी किसान मनोज खंडेलवाल की है. उन्होंने अपने आइडिया और तकनीकी सोच से यह साबित कर दिया कि जज्बा हो तो किसी भी तरह के सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं. मनोज खंडेलवाल की कहानी बहुत दिलचस्प है. वे कोटा में शुरू में प्रॉपर्टी और शेयर बाजारों में दिमाग खपाते थे. हालांकि उन्हें खेती से गहरा, स्थायी जुड़ाव महसूस होता था. जब वे बच्चे थे तो अपने पिता के साथ अपने मामूली खेती की जमीन पर काम करते हुए कई घंटे बिताए. यही काम उन्हें बाद में काम आ गया. आज वे कॉर्पोरेट दुनिया से निकल कर सफल खेती में कदम रख चुके हैं और अच्छी-खासी आमदनी पा रहे हैं.

हालत ये थी कि उस समय उनके पास अपनी ज्यादा जमीन नहीं थी और 2009-10 में उनके परिवार के पास सिर्फ एक छोटा खेत था, लेकिन कुछ बड़ा करने की उनकी सोच ने उन्हें 6 बीघा किराए की जमीन पर खेती शुरू करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने अपना स्टॉक मार्केट का बिजनेस छोड़ दिया और 2010 तक सब्जियां उगाकर खेती शुरू कर दी, जिससे उन्हें खेती में लाभ का पहला मौका मिला. इस सफलता से प्रेरित होकर, मनोज ने खेती के ज्ञान को गहराई से समझा और अपने क्षेत्र के लिए क्लाइमेट स्मार्ट फसलों को लगाने पर ध्यान लगाया.

जैविक खेती का फायदा

मनोज खंडेलवाल ने धीरे-धीरे अपना ध्यान जैविक खेती की ओर लगाया और इसमें आधुनिक तकनीकों को शामिल किया. वह वर्तमान में 70 बीघा जमीन में खेती कर रहे हैं, जिसमें 10,000 अमरूद के पेड़, गेहूं, सरसों, सोयाबीन, सब्जियां और औषधीय पौधे शामिल हैं. उनके उगाए गए अमरूद हाई क्वालिटी वाले और बड़े आकार के होते हैं और उनका वजन औसतन 600 से 750 ग्राम के बीच होता है. ये अमरूद 70 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति किलो तक की प्रीमियम कीमतों पर बेचे जाते हैं. इन अमरूदों की दिल्ली, जयपुर और कोटा जैसे प्रमुख शहरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी काफी मांग है.

इन 3 तरीकों पर फोकस

किसान मनोज खंडेलवाल का मानना है कि अधिक दिनों तक चलने वाली टिकाऊ खेती के लिए फसलों का विविधीकरण बहुत जरूरी है. अलग-अलग फसलों को उगाने के साथ ही नई-नई एडवांस तकनीक अनपाने की भी जरूरत है. उन्होंने अपनी खेती को तीन फॉर्मेट में बांटा है जिसके आधार पर वे खेती करते बंपर कमाई कर रहे हैं-

  • बुनियादी खेती: लगातार आय के लिए गेहूं, सरसों और सोयाबीन जैसी मुख्य और नकदी फसलों पर ध्यान दें.
  • बाग-बगीचे: आय का एक स्थिर स्रोत बनाने के लिए अमरूद जैसी लंबे दिनों तक चलने वाली फसलों में पैसे लगाएं.
  • सब्जियों की खेती: नियमित, दिन-प्रतिदिन की आय के लिए सब्जियां उगाएं. इससे घर का खर्च चलने के साथ ही आमदनी भी होती रहेगी.

इन तीन तरीकों से खेती करके मनोज ने आज सफलता की बड़ी कहानी रची है. आज उनकी खेती का धंधा चमक गया है. वे कहते हैं कि किसी एक फसल की खेती करके और परंपरागत खेती में हमेशा कोई न कोई रिस्क है. इसलिए हमें हर हाल में फसलों का विविधीकरण करना चाहिए. इससे आपको प्रीमियम क्वालिटी की उपज मिलने की गारंटी अधिक होती है. 

50,000 रुपये होती है कमाई

मनोज खंडलेवाल अपना खेती का बिजनेस लगातार बढ़ा रहे हैं और अब हर बीघा से 50,000 रुपये कमा रहे हैं. उनके खेत से हाई क्वालिटी वाली जैविक उपज अब स्थानीय बाजारों के साथ-साथ भारत और बाहर के लोगों को भी उपलब्ध है. देश भर के किसान मनोज की कहानी से सीख सकते हैं. यह बताता है कि अच्छी सोच, अच्छी तकनीक और अच्छे विजन के साथ खेती करें तो नाकामी दूर-दूर तक नहीं फटक सकती. हां, कामयाबी की गारंटी जरूर मिलेगी.

 

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