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लोकसभा से बहुत अलग होते हैं राज्‍यसभा चुनाव, जीत का फॉर्मूला और वोटों की गणित भी है मुश्किल 

लोकसभा से बहुत अलग होते हैं राज्‍यसभा चुनाव, जीत का फॉर्मूला और वोटों की गणित भी है मुश्किल 

27 फरवरी को राज्‍यसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी, कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने अपने उम्‍मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं. राज्‍यसभा चुनाव लोकसभा चुनावों से काफी अलग होते हैं और इसकी प्रक्रिया भी बाकी चुनावों से अलग है. राज्‍यसभा चुनावों के लिए सीटें 15 राज्‍यों में फैली हुई हैं.

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27 फरवरी को होने हैं राज्‍यसभा चुनाव 27 फरवरी को होने हैं राज्‍यसभा चुनाव

27 फरवरी को राज्‍यसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी, कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने अपने उम्‍मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं. राज्‍यसभा चुनाव लोकसभा चुनावों से काफी अलग होते हैं और इसकी प्रक्रिया भी बाकी चुनावों से अलग है. राज्‍यसभा चुनावों के लिए सीटें 15 राज्‍यों में फैली हुई हैं. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी है. नामांकन वापस लेने की तारीख 20 फरवरी है. यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रेदश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में राज्‍यसभा चुनाव होने हैं. 

कुल कितनी सीटें 

राज्‍यसभा जो संसद का ऊपरी सदन है, उसके सदस्‍यों का कार्यकाल छह साल तक का होता है. जबकि लोकसभा में सांसद का कार्यकाल पांच साल का ही होता है. साथ ही इसकी 33 प्रतिशत सीटों के लिए हर दो साल के बाद चुनाव होते हैं. वर्तमान में, राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पुडुचेरी का प्रतिनिधित्व करती है.

कुल 245 सदस्यों में से 12 सीधे राष्ट्रपति द्वारा नामांकित होते हैं जो कला, साहित्य, खेल, विज्ञान आदि क्षेत्र के अनुभवी होते हैं.  जनसंख्या के आधार पर, हर राज्य के लिए उच्च सदन में उम्मीदवारों की एक निश्चित संख्या तय होती है. उत्तर प्रदेश में 31 राज्यसभा सीटें हैं जबकि गोवा में एक है.  संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार, राज्यसभा में सांसदों की कुल संख्या 250 हो सकती है. 

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कैसे होता है चयन 

राज्य विधान सभाओं के सदस्य एकल हस्तांतरणीय वोट (एसवीटी) के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व की अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के माध्यम से राज्यसभा सदस्यों का चयन करते हैं. दरअसल, आम चुनाव के इतर राज्यसभा में जाने वाले सांसदों का चुनाव जनता नहीं करती है. इन सांसदों का चुनाव जनता द्वारा चुने गए सांसद करते हैं. राज्यसभा एक स्थायी सदन होता है, जिस तरह लोकसभा भंग हो सकती है उस तरह राज्यसभा भंग नहीं होती. 

वोटों की गिनती मुश्किल फॉर्मूला 

राज्यसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती की प्रक्रिया एक जटिल प्रणाली है. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को एक तय संख्‍या में वोट हासिल करने की जरूरत होती है जिसे कोटा कहा जाता है.  कोटा की गणना भरी जाने वाली रिक्तियों की संख्या पर निर्भर करती है. अगर चुनाव एक पद को भरने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं, तो कोटा की गणना कुल वैध वोटों को भरी जाने वाली सीटों की संख्या से विभाजित करके, उसमें एक जोड़कर और भागफल में 1 जोड़कर की जाएगी. 

कोटा= [(वैध वोटों की कुल संख्या)/(सीटों की संख्या+1)]+1

ईवीएम का नहीं होता प्रयोग 

यदि एक से अधिक सीटें भरी जानी हैं, तो यह फॉर्मूला बदल जाता है. वैध वोटों की कुल संख्या को 100 से गुणा किया जाता है. इसके बाद कुल रिक्तियों की संख्या से विभाजित किया जाता है. फिर उसमें एक जोड़ा जाता है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है. ये फॉर्मूला कुछ इस तरह से है, विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या x 100/(राज्यसभा की सीटें+1)= +1. राज्यसभा चुनाव कोई गुप्त मतदान नहीं होता और न इसमें ईवीएम का प्रयोग होता है. यहां हर उम्मीदवार के नाम के आगे एक से चार तक का नंबर लिखा होता है. विधायकों को वरीयता के आधार पर उसपर निशान लगाना होता है. 

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