19 अप्रैल से भारत में 18वीं लोकसभा चुनावों के लिए वोटिंग की शुरुआत होगी. पहले चरण के मतदान में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं. लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में मांग की गई है कि देश में सभी चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर या मतपत्रों से कराए जाएं. यह याचिका वकील महमूद प्राचा की तरफ से दायर की गई है. प्राचा ने इस याचिका में कुछ नियमों का भी हवाला दिया है. प्राचा ने इन नियमों के हवाले से कहा है कि देश में सिर्फ कुछ असाधारण स्थितियों में ही ईवीएम की मदद से चुनाव कराये जाने चाहिए.
महमूद प्राचा ने ईवीएम पर पेंडिग याचिका को लेकर जो एप्लीकेशन फाइल की है उसमें कहा है, 'मतपत्रों और मतपेटियों के इस्तेमाल से चुनाव कराना नियम है. इसलिए, सभी चुनाव मतपत्रों के इस्तेमाल से ही होने चाहिए और वोटिंग मशीनों का सहारा लेने पर चुनाव आयोग की तरफ से सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में ही केस-टू-केस आधार पर विचार किया जा सकता है. वह भी खास कारणों पर ही जिन्हें अलग से चिन्हित किया गया है. यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित एक मामले में अंतरिम आवेदन के रूप में दायर की गई है.
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याचिका में कहा गया है, 'अगर कोई बैलेट पेपर और बैलेट बॉक्स की जगह पर ईवीएम को पढ़े तो हास्यास्पद और कभी-कभी खतरनाक स्थिति सामने आती है. काउंटरफॉइल के प्रावधान मतदान और चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को सुरक्षित रखने का एक और तरीका है, जो ईवीएम के मामले में संभव नहीं है और लागू नहीं है.' याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और निर्वाचन संचालन नियम, 1961 का हवाला दिया गया है. इसमें यह नियम है कि हर चुनाव में जहां मतदान होगा, वहां वोट निर्धारित तरीके से बैलेट पेपर के जरिये ही डाले जा सकेंगे.
याचिका के मुताबिक इस प्रकार, मतपत्रों और मतपेटियों के माध्यम से चुनाव कराना नियम है. इसमें यह भी कहा गया है कि सभी चुनाव मतपत्रों के माध्यम से ही कराए जाने चाहिए और चुनाव आयोग द्वारा वोटिंग मशीनों के उपयोग पर केवल मामले-दर-मामला आधार पर ही विचार किया जा सकता है.
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