
उत्तर प्रदेश के इटावा में गेहूं की सरकारी खरीद एक तारीख से शुरू हो गई है. लेकिन स्थिति ये रही कि पहले दिन मंडी में गेहूं की आवक नहीं हुई. मंडी में गेहूं का समर्थन मूल्य बाजार भाव से कम रहा जिसकी वजह से भी मंडी में कोई सरकारी खरीद नहीं हो सकी. सरकारी गेहूं का क्रय मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार भाव 2200 रुपये प्रति क्विंटल है. ऐसे में किसान प्राइवेट आढ़ती को अपना गेहूं बेच रहे हैं क्योंकि गेहूं का सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक भाव प्राइवेट में मिल रहा है. किसानों का कहना है कि सरकारी बिक्री में रजिस्ट्रेशन की दिक्कत होती है. जबकि प्राइवेट बिक्री में नकद पैसा और भाव अधिक मिलता है.
सरकारी नियम के मुताबिक, इटावा में सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर एक अप्रैल से 15 जून तक गेहूं खरीदा जाएगा, इसके लिए इटावा जिले में 60 क्रय केंद्र बनाए गए हैं. ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत गेहूं की बिक्री हो रही है, लेकिन अब बिक्री करने वाले किसानों का फोटो भी ऑनलाइन अपलोड होगा.
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इटावा में एक अप्रैल को पहले दिन मंडी में कोई किसान नहीं आया. इटावा जिले में 60 गेहूं क्रय केंद्र खोले गए हैं. सभी क्रय केंद्र एक अप्रैल से सक्रिय हो गए हैं और समर्थन मूल्य भी बढ़ाकर 2125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. किसानों के रजिस्ट्रेशन का पूरा काम ऑनलाइन हो रहा है. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद किसान मंडी में अपनी उपज बेच सकते हैं. लेकिन समस्या गेहूं की एमएसपी को लेकर है क्योंकि प्राइवेट आढ़ती सरकारी मंडी से अधिक रेट दे रहे हैं. इसलिए किसान सरकारी रेट पर गेहूं बेचने की बजाय प्राइवेट में उपज बेच रहे हैं.
इटावा के थाना बकेवर क्षेत्र के रहने वाले किसान रवि ने बताया कि उनके 11 बीघा खेत में गेहूं की फसल तैयार खड़ी है. गेहूं की कटनी शुरू हो गई है, मगर बीच-बीच में बेमौसम बरसात की वजह से कटाई में कठिनाई हो रही है. अभी वे प्राइवेट दुकान पर गेहूं की बिक्री कर रहे हैं क्योंकि बाजार भाव भी अधिक है. इसके साथ-साथ उनको ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाने में दिक्कत होती है. इसलिए सरकारी बिक्री करने से वे परेशान हो जाते हैं. जबकि प्राइवेट दुकानों पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होती जिससे उन्हें उपज बेचने में सहूलियत होती है.
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खाद्य विपणन अधिकारी लालमणि त्रिपाठी ने बताया कि जनपद में 60 केंद्र सरकारी गेहूं खरीद के लिए बनाए गए हैं. यहां एक अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू की गई है जो 15 जून तक चलेगी. खरीद की ऑनलाइन प्रक्रिया पहले की तरह ही है, लेकिन इस बार थोड़ा बदलाव हुआ है. नए बदलाव के मुताबिक जो भी किसान गेहूं बिक्री करेगा, उसका फोटो भी ऑनलाइन अपलोड होगा. लालमणि त्रिपाठी का कहना है कि छह हजार क्विंटल पिछले वर्ष गेहूं खरीदा गया था. पिछले साल बाजार भाव अधिक रहा, इसलिए गेहूं की आवक कम हुई थी. पूरे जनपद में इस बार 13 लाख क्विंटल गेहूं की पैदावार होने की संभावना है.
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