हमीरपुर जिले में अचानक हुई बरसात और ओले गिरने से खेतों में पक कर तैयार खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं. तेज हवा चलने से खेतों में खड़ी फसलें पानी में गिर गई हैं और खराब हो गई हैं. किसानों का कहना है कि उनकी 50 फीसद फसलें तबाह हुई हैं और प्रशासन 15 से 20 फीसद ही नुकसान दिखा रहा है. किसानों की शिकायत है कि जब फसलों का नुकसान कम करके दिखाया जाएगा तो उन्हें सही मुआवजा कैसे मिलेगा. किसान शिकायत कर रहे हैं कि सर्वे में 'खेल' हो रहा है और सही-सही नुकसान नहीं दिखाया जा रहा है.
एक तरफ सरकार ने घोषणा की है कि खराब फसलों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP पर खरीदा जाएगा. लेकिन दूसरी ओर फसलों के सर्वे में गड़बड़ी कर नुकसान कम दिखाया जा रहा है. इससे किसानों में भारी रोष और मायूसी है. किसान दुली चंद्र विश्वकर्मा कहते हैं, ओले और बरसात से फसलें बरबाद हो गई हैं और अब फसलों की बरबादी के सर्वे पर प्रशासन बड़ा खेल कर रहा है. सर्वे टीम सिर्फ 15 से 20 फीसद ही नुकसान की रिपोर्ट बना रही है. जबकि रेवेन्यू विभाग 33 फीसद से अधिक नुकसान पर ही मुआवजा देने की कार्यवाही करता है. यह रिपोर्ट इसलिए बनाई जा रही है क्योंकि किसानों को मुआवजा न देना पड़े.
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हमीरपुर जिले में हुई किसानों की फसलों के नुकसान के बारे में हमीरपुर जिले के कृषि उप निदेशक हरी शंकर भार्गव ने बताया कि जिले में 15 से 50 फीसद तक नुकसान हुआ है. इन फसलों का सर्वे करा कर फसल बीमा का लाभ दिलाए जाने की कार्यवाही की जा रही है. कृषि उप निदेशक कहते हैं, सरकार ने घोषणा की है कि जिन किसानों की फसल पानी और ओलों से खराब हुई है, उसको भी सरकारी MSP रेट पर खरीदा जाएगा. किसानों को सरकार की इस घोषणा से काफी उम्मीदें बढ़ी हैं.
कृषि उप निदेशक कहते हैं कि खराब फसलों को एमएसपी पर खरीदने की घोषणा अभी मध्य प्रदेश में हुई है जिसे जल्द ही बुंदेलखंड में लागू किया जाएगा. मध्य प्रदेश सरकार ने इस बार एमएसपी पर गेहूं खरीद के नियमों में थोड़ा बदलाव कर किसानों को राहत दी है. इसमें कहा गया है कि गेहूं की चमक कम भी रहती है तो उसकी सरकारी खरीद होगी, लेकिन एमएसपी में थोड़ी कटौती की जाएगी. अभी यह नियम केवल मध्य प्रदेश में है जिसे बुंदेलखंड में लागू किया जाएगा.
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बुंदेलखंड के किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले कई साल से अति वृष्टि, कम बरसात, सूखा, आंधी, तूफान और दैवीय आपदाओं ने इस इलाके के किसानों को बरबाद और तबाह कर रखा है. इस साल जब फसल अच्छी थी, तभी मार्च महीने के अखिरी दिनों में भीषण बरसात और ओलों ने खेतों में तैयार खड़ी फसलों को नष्ट कर दिया. इससे एक बार फिर बुंदेली किसानों के सामने नया संकट पैदा हो गया है.
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