उत्तर प्रदेश में धान की खरीद तेजी से चल रही है. मौजूदा खरीफ सीजन (2022-23) में उत्तर प्रदेश में धान की खरीद में अच्छी बढ़त देखी जा रही है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिल रही है. किसान की उपज अगर सही समय पर और सही दाम पर खरीद ली जाए तो उसे अगली फसल की तैयारी में कोई दिक्कत नहीं आती. उसके पास खेती से जुड़े संसाधन जुटाने में भी आसानी रहती है. यही बात उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ देखी जा रही है. अभी तक 25 लाख टन धानों की खरीद पूरी की जा चुकी है.
उत्तर प्रदेश सरकार और फूड कॉरपोरशन ऑफ इंडिया यानी कि FCI ने किसानों से अभी तक 25 लाख टन से अधिक धानों की खरीद कर ली है. इस काम में अच्छी तेजी देखी जा रही है. धान की खरीद से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है और किसानों की आमदनी बढ़ रही है.
किसानों को धान का पैसा भी जारी किया जा रहा है. 'बिजनेस स्टैंडर्ड' की एक रिपोर्ट में कहा गया है, अब तक लगभग 5200 करोड़ रुपये के धान खरीदे जा चुके हैं, जिनमें से किसानों को 4000 करोड़ रुपये दे दिए गए हैं. रिपोर्ट कहती है कि किसानों के रजिस्टर्ड बैंक खाते में 4000 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर कर दी गई है.
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2024 में लोकसभा चुनाव होना है. हर चुनाव में किसानों का मुद्दा खास होता है. इस लिहाज से उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए धान खरीद को प्राथमिकता में लेकर चल रही है. फसलों की खरीद को लेकर विपक्ष कोई सवाल उठाए उससे पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने धान खरीद की पूरी तैयारी कर ली है. इसी दिशा में अब तक 25 लाख टन से अधिक धानों की खरीद हो चुकी है. इससे किसानों में भी खुशी देखी जा रही है.
यूपी सरकार के मुताबिक, प्रदेश के 375,000 धान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत धान बिक्री का फायदा मिला है. इन किसानों को बाजार मूल्य का लाभ मिले इसके लिए एमएसपी के अंतर्गत फसल के दाम दिए गए हैं. सरकार ने 2022-23 खरीफ सीजन में धान के लिए एमएसपी 2040 रुपये प्रति कुंटल तय किया है. यह कीमत आम धानों के लिए है जबकि ग्रेड ए धान के लिए एमएसपी 2060 रुपये निर्धारित है.
उत्तर प्रदेश ने अक्टूबर से फरवरी तक के 5 महीनों में 70 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है. इसमें अब तक 35 परसेंट धान की खरीद पूरी कर ली गई है जबकि खरीद के लिए बाकी के दो महीने अभी बचे हुए हैं. मौजूदा तीन महीने में 25 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है जिसमें अगले दो महीने में और भी तेजी आने की उम्मीद है.
धान की खरीद के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 4400 खरीद केंद्र बनाए हैं. धान खरीद सेंटर पर कोई धांधली न हो और प्रोसेस पूरा निष्पक्ष और पारदर्शी हो, इसके लिए सेंटर को जियो टैग किया गया है. जियो टैगिंग के सहारे इन सेंटर्स को रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन सेंटर, लखनऊ से जोड़ा गया है.
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धान खरीद सेंटर को यूपी कोऑपरेटिव फेडरेशन (PCF), यूपी फूड एंड सिविल सप्लाईज डिपार्टमेंट, यूपी कोऑपरेटिव यूनियन, यूपी कंज्यूमर कोऑपरेटिव यूनियन, यूपी स्टेट कृषि उत्पादन मंडी परिषद् और एफसीआई मिलकर संचालित कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक, सरकार अगर पूरे धान की खरीद कर ले तो इस पर 14000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
हाल में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि खरीद की प्रक्रिया तेज होनी चाहिए और उसका पेमेंट भी उसी तेजी से मिलना चाहिए. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था जो अधिकारी इसमें ढिलाई बरतेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
यूपी में धान, गेहूं और गन्ना तीन मुख्य रूप से नकदी फसल हैं. इन तीनों फसलों से प्रदेश के किसानों को लगभग 50,000 करोड़ रुपये की कमाई होती है. एक तरफ जहां धान और गेहूं की खरीद का काम सरकारी एजेंसियां करती हैं, तो दूसरी ओर प्राइवेट सेक्टर की चीनी मिलों के द्वारा गन्ने की खरीद की जाती है.
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