Red Chilli: भारत में खरीफ का सीजन जारी है और जहां धान, दलहनी फसलों का रकबा बढ़ता जा रहा है तो वहीं किसान अब मिर्च की खासकर लाल मिर्च की खेती से दूरी बनाने लगे हैं. इस खरीफ फसल सीजन में भारत में मिर्च की खेती का रकबा कम होने की संभावना है. कीमतों में नरमी के साथ कैरीफॉवर्ड स्टॉक में भी तेजी से गिरावट आई है. विशेषज्ञों की मानें तो कमजोर कीमतों के कारण किसान की मिर्च की खेती में रुचि कम होने लगी है. साथ ही अब प्रमुख उत्पादक राज्यों के कुछ इलाकों में मक्का, कपास और मूंग जैसी दालों को प्राथमिकता मिलने लगी है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट में गुंटूर स्थित मिर्च निर्यातक संघ के अध्यक्ष संबाशिव राव वेलागपुडी के हवाले से लिखा है, 'पिछले साल की तुलना में इस साल मिर्च का रकबा कम होगा. अभी तक यह 20 प्रतिशत कम है. अगस्त के मध्य तक स्थिति साफ हो जाएगी. जलाशयों में पानी की उपलब्धता अच्छी होने के कारण, रोपाई सितंबर तक जारी रह सकती है.' उन्होंने कहा कि आमतौर पर मिर्च किसान कपास की खेती करते हैं, लेकिन इस साल मक्का एक विकल्प के रूप में उभरा है. पिछले साल के बढ़े हुए उत्पादन और करीब 2.2 करोड़ बोरी के कैरीफॉवर्ड स्टॉक के बीच कम मांग के कारण मिर्च की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक करीब 1 करोड़ बोरी, तेलंगाना में लगभग 50-55 लाख बोरी और कर्नाटक में लगभग 70 लाख बोरी होने का अनुमान है.
बिगहाट एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधक संदीप वोड्डेपल्ली ने कहा कि मिर्च क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं. इसकी वजह प्रमुख उत्पादक राज्यों में बीज की बिक्री और खेती में भारी गिरावट है. बिगहाट एक एग्रीटेक प्लेटफॉर्म है जो बीज और कृषि रसायन जैसे इनपुट बेचता है और मिर्च का निर्यात भी करता है. वोड्डेपल्ली ने कम कीमतों के कारण बीज की बिक्री में 35 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है. कर्नाटक में ब्यादगी और डब्बी किस्म के बीज की बिक्री में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है. जबकि आंध्र और तेलंगाना में तेजा बीज की बिक्री में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है. अन्य किस्मों में 30-35 प्रतिशत की गिरावट आई है.
कर्नाटक में, रकबा 45 प्रतिशत कम हुआ है, जबकि आंध्र प्रदेश में 35 प्रतिशत और तेलंगाना में 40 प्रतिशत, जहां किसान बड़े पैमाने पर कपास और मक्का की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में बुवाई 40 प्रतिशत कम हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर मिर्च की खेती में 35-40 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है. पिछले साल के 13 लाख एकड़ की तुलना में रकबा 9-9.5 लाख एकड़ रहने का अनुमान है. वोड्डेपल्ली ने कहा कि जुलाई के अंत तक, कोल्ड स्टोरेज में मिर्च का स्टॉक 2.5 करोड़ बैग (90 करोड़ किलोग्राम) था, जो पिछले साल की इसी अवधि के 1.5 करोड़ बैग (50 करोड़ किलोग्राम) से ज़्यादा है.
हुबली स्थित हम्पाली ट्रेडर्स के बसवराज हम्पाली ने कहा कि कर्नाटक में रकबा 20-25 प्रतिशत कम हो सकता है. राज्य में ब्यादगी मिर्च उगाने वाले किसानों का एक वर्ग मूंग और मक्का की खेती करने लगा है. उन्होंने कहा कि मूंग और मक्के की कीमतें ब्याडगी मिर्च की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर हैं. इनकी कीमतें पिछले साल की तुलना में 20-30 प्रतिशत कम हैं. ब्यादगी मिर्च और 5531 जैसी हाइब्रिड किस्में अपने गहरे रंग और कम तीखेपन के लिए जानी जाती हैं. इनकी कीमतों में इस साल लगभग 25-30 प्रतिशत की गिरावट आई है. जबकि मध्यम तीखेपन वाली किस्मों जैसे 341 और तेज़ तीखेपन वाली तेजा किस्मों की कीमतों में 10-20 प्रतिशत की गिरावट आई है.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today