चीनी के निर्यात में बंपर तेजी देखी जा रही है. आगे इसकी संभावनाएं और भी प्रबल होंगी. अभी तक 45-50 लाख टन चीनी के निर्यात का कांट्रेक्ट साइन हो चुका है. इसमें से 6 लाख टन चीनी का निर्यात 30 नवंबर तक किया जा चुका है. इसके बारे में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने जानकारी दी. इस्मा प्राइवेट मिलों की एक संस्था है जो चीनी के व्यापार का काम देखती है.
इस्मा ने कुछ मार्केट रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि 8-9 टन चीनी का निर्यात अगले कुछ दिनों में होने वाला है. इसकी प्लानिंग लगभग तैयार है. यह खेप इसी महीने भेजी जाएगी. इस तरह दिसंबर अंत तक चीनी का कुल निर्यात 15 लाख टन तक पहुंच सकता है.
पिछले साल की तुलना में इस साल चीनी का बंपर उत्पादन देखा जा रहा है. 15 दिसंबर तक देश में 82.1 लाख टन चीनी का उत्पादन दर्ज किया गया है. ठीक एक साल पहले इसी अवधि में देश में 77.9 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. उत्पादन बढ़ने से निर्यात बढ़ने की संभावनाएं भी तेज हुई हैं. इसमें लगातार मजबूती देखी जा रही है. देश में भी चीनी के भाव स्थिर देखे जा रहे हैं.
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देश में केवल चीनी का उत्पादन ही नहीं बढ़ा बल्कि चीनी से जुड़ी ऑपरेटिंग फैक्ट्रियों की तादाद में भी इजाफा हुआ है. एक तरफ चीनी का उत्पादन 4 लाख टन बढ़ा है तो दूसरी ओर ऑपरेटिंग फैक्ट्रियों की संख्या एक साल पहले की तुलना में 479 से 497 हो गई है. चीनी के व्यापार को लेकर यह अच्छा संकेत है.
उत्तर प्रदेश में 116 ऑपरेटिंग फैक्ट्रियां हैं जिनमें 20.3 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है. हालांकि उत्तर प्रदेश को महाराष्ट्र ने पार कर लिया है जहां 193 ऑपरेटिंग फैक्ट्रियां हैं जो 22 लाख टन चीनी की उत्पादन करती हैं. कर्नाटक में 73 चीनी मिल हैं जिनमें 18.9 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है. चीनी उत्पादन के इस आंकड़े को इस्मा ने जारी किया है. खास बात ये है कि चीनी से इथेनॉल बनाने के बाद उत्पादन का यह आंकड़ा जारी किया गया है.
अभी दिसंबर का महीना चल रहा है और व्यापारियों को उम्मीद है कि निर्यात के लिए कई करार पर दस्तखत होंगे. इन करारों के तहत मार्च 2023 तक चीनी निर्यात का एग्रीमेंट किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत के चीनी की मांग बहुत अधिक है. यही वजह है कि निर्यात में बंपर उछाल देखा जा रहा है. चीन, बांग्लादेश और अफ्रीकी देशों से भारत के चीनी की मांग सबसे अधिक है.
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भारत सरकार ने एक्सपोर्ट के लिए मिलों के लिए कोटा तय किया है. पहली खेप में 60 लाख टन चीनी का निर्यात होना है. उद्योगों को उम्मीद है कि एक बार 60 लाख टन चीनी का निर्यात पूरा हो जाएगा तो सरकार अतिरिक्त 20 लाख टन के निर्यात को मंजूरी दे सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय चीनी की मांग इसलिए भी ज्यादा देखी जा रही है क्योंकि पूर्व में मिलों ने कम रेट पर निर्यात किया था. इसी रेट को देखते हुए विदेशों से भारतीय चीनी की मांग तेज बनी हुई है. अब कांट्रेक्ट में रेट को रिन्यू किया जा रहा है.
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