यूपी में किसानों के सामने आई बड़ी समस्या, दशहरी आम के बाग क्यों बन रहे जंगल, जानें वजह?

यूपी में किसानों के सामने आई बड़ी समस्या, दशहरी आम के बाग क्यों बन रहे जंगल, जानें वजह?

Mango Story: वह कहते हैं कि समस्याओं को लेकर हम उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और प्रमुख सचिव बीएल मीणा से मिल चुके हैं. हम अन्य अधिकारियों को भी बताते रहते हैं. इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाकी है. बागवानों की जीविका इन्हीं बागों पर निर्भर है.

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यूपी में किसानों के सामने आई बड़ी समस्या, दशहरी आम के बाग क्यों बन रहे जंगल, जानें वजह?लखनऊ के मलिहाबाद, काकोरी व माल में सबसे ज्यादा दशहरी आम की पैदावार होती है. 

राजधानी लखनऊ के पास स्थित मलिहाबाद के एक छोटे से गांव की पहचान देश-विदेश में “दशहरी” आम की पैदावार के लिए मशहूर है. इस बीच आम की बागवानी करने वाले किसानों के सामने एक बड़ी समस्या सामने आ गई है. दरअसल आम के बाग अब एक घने जंगल का रूप लेने लगे है. अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव व बागवान उपेंद्र कुमार सिंह ने वीडियो जारी करते हुए बताया कि आम के पेड़ लंबे और घने होते जा रहे है, वहीं उनकी कटाई और छटाई नहीं हो पा रही है. क्योंकि अगर पेड़ छोटे नहीं होंगे तो आम का उत्पादन अच्छा नहीं होगा. उन्होंने बताया कि एक्सपोर्ट में भी बड़ी परेशानी होगी. सिंह ने आगे कहा कि योगी सरकार को इस गंभीर मामले में संज्ञान लेना चाहिए. क्योंकि प्रदेश के लाखों किसानों इससे प्रभावित हो रहे है. 

किसानों की सबसे बड़ी पीड़ा 

किसान उपेंद्र कुमार सिंह ने अपील करते हुए कहा कि यूपी सरकार को एक बड़ी पहल करनी चाहिए. जिसके तहत आईसीआर और रहमानखेड़ा में आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) के वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करके इस बड़ी समस्या का हल खोजना होगा. वहीं वन विभाग, उद्यान विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी भी शामिल हो. जिससे किसानों को राहत मिल सकें. उन्होंने बताया कि जब भी कोई किसान पेड़ की कटाई-छंटाई करता है तो फौरन वन विभाग और पुलिस की टीम परेशान करती है. मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही की धमकी देती है. उन्होंने कहा कि किसान कोई पेड़ को जड़ से नहीं काट रही है, लेकिन फिर भी किसानों को बेवजह पेरशान किया जा रहा है. 

वन विभाग से मिले किसानों को परमिशन

सिंह ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि दशहरी पेड़ की लंबाई 15 फीट के ऊपर नहीं होनी चाहिए. किसानों को वन विभाग की तरफ से अनुमति मिलनी चाहिए कि 15 फीट के ऊपर पेड़ की कटाई-छंटाई में कर सकता है. इसके लिए सभी विभागों को मिलकर कोई ठोस कदम उठाना होना. वरना वो दिन दूर नहीं जब दशहरी के पेड़ एक जंगल का रूप लेंगे. वहीं किसानों की आमदनी और उत्पादन पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. 

पुलिस और वन विभाग की मनमानी

अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि यहां की सबसे बड़ी समस्या है आम के बाग जंगल होते चले जा रहे हैं. हमें आम का बाग बनाना है, जंगल नहीं. अभी प्रदेश के पूर्व अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एक अच्छा आदेश किया है कि अब बागों की कटाई-छंटाई के लिए वन विभाग और पुलिस का हस्तक्षेप नहीं होगा. लेकिन उनके आदेश का कोई असर नहीं हुआ. पुलिस और वन विभाग अपनी मनमानी कर रही है. आज के मुख्य सचिव का आदेश कटाई छंटाई में प्रभावी साबित नहीं हो रहा है, उसमें कुछ संसोधन करने की आवश्यकता है.

बता दें कि बीते दिनों सीआईएसएच के निदेशक टी दामोदरन ने किसानों के साथ एक बैठक करके इस समस्या पर विचार-विमर्श किया था. जिससे कुछ ठोस और सकरात्मक नतीजे सामने आ सके. 

70 फीट ऊंचे आम के पेड़

उपेंद्र सिंह कहते हैं मलिहाबाद में 60-70 फीट ऊंचे आम के पेड़ आपको दिखाई देंगे. ऐसे पेड़ों का क्या मतलब है? इतनी ऊंचाई पर आम तोड़ना संभव नहीं. आंधी में गिरने पर आम खराब हो जाता है. हमारे पास हाइड्रोलिक और काटने वाली मशीनों का अभाव है. हमें आधुनिक तकनीक मिले, तभी हम बागों की बेहतर देखभाल कर पाएंगे और आम उत्पादन बढ़ेगा. 

उद्यान मंत्री और प्रमुख सचिव से लगाई गुहार

वह कहते हैं कि समस्याओं को लेकर हम उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और प्रमुख सचिव बीएल मीणा से मिल चुके हैं. हम अन्य अधिकारियों को भी बताते रहते हैं. इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाकी है. बागवानों की जीविका इन्हीं बागों पर निर्भर है. पिछले पांच साल का उत्पादन और हानि-लाभ देखें तो हम लोग शून्य पर हैं. बागवानों को कुछ नहीं मिला है.

सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कि बागों का आधुनिकीकरण कैसे किया जाए. ज्यादा से ज्यादा क्वालिटी वाला आम कैसे पैदा किया जाए. लखनऊ के मलिहाबाद, काकोरी व माल के फल पट्टी क्षेत्र में सबसे ज्यादा दशहरी आम की पैदावार होती है. 

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